नई दिल्ली: एचडीएफसी लिमिटेड के चेयरमैन और प्रसिद्ध बैंकर दीपक पारेख ने बिल्डरों को समर्थन की वकालत की है, जिससे उन्हें संकट से बाहर निकाला जा सके. उन्होंने कहा कि सरकार की पहल से सस्ते मकानों के क्षेत्र को प्रोत्साहन मिला है लेकिन घर के खरीदार अब स्पष्ट रूप से 'सही बिल्डर, सही दाम, सही आकार और सही फाइनेंसर' चाहते हैं.
पारेख ने पीटीआई भाषा से साक्षात्कार में कहा कि सरकार के प्रस्तावित 20,000 करोड़ रुपये के कोष से रियल्टी क्षेत्र को लटकी परियोजनाओं को पूरा करने में काफी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि हमारी कंपनी इस कोष में योगदान करने की काफी इच्छुक है.
यह पूछे जाने पर क्या उद्योग की प्रतिष्ठा वाली आवाज होने की वजह से वह इस कोष के प्रबंधन को बोर्ड में शामिल होना चाहेंगे, पारेख ने कहा कि अभी इस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगा. इस कोष में सरकार 10,000 करोड़ रुपये डालेगी. इतनी ही राशि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के संस्थानों से आएगी.
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पारेख ने कहा, "सरकार उद्योग को समर्थन को काफी प्रयास कर रही है. हमें ऊंचे मूल्य पर जमीन खरीदने और लक्जरी अपार्टमेंट तैयार करने की अपनी पुरानी गलतियों को भूलना होगा. आप कितने लक्जरी अपार्टमेंट बेच सकते है, इसकी भी सीमा है."
उन्होंने कहा कि यह धारणा कि पूरे क्षेत्र में गिरावट आ रही है सही नहीं है. सस्ते और मध्यम बाजार खंड में अच्छी बिक्री है. उन्होंने बताया कि एचडीएफसी कैपिटल अफोर्डेबल हाउसिंग रियल एस्टेट फंड (एच-केयर) के तहत 1.1 अरब डॉलर के कोष ने एनसीआर, पुणे और मुंबई सहित कई क्षेत्रों में निवेश किया है. इनमें से ज्यादातर परियोजनाएं कुछ दिन में ही बिक गईं.
इस कोष का प्रबंधन विपुल रूंगटा की अगुवाई वाले एचडीएफसी कैपिटल एडवाइजर्स लि द्वारा जा रहा है. यह एचडीएफसी लि.की 100 प्रतिशत अनुषंगी है. इस कोष में अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथारिटी (एडीआईए) ने 82 प्रतिशत, एनआईआईएफ ने नौ प्रतिशत तथा एचडीएफसी ने नौ प्रतिशत का निवेश किया है.