मुंबई: औद्योगिक घरानों को अपना बैंक शुरू करने की अनुमति दिये जाने का सुझाव रिजर्व बैंक का नहीं है. एक आंतरिक समिति ने यह सुझाव दिया है. इस पर और अन्य सुझावों पर केन्द्रीय बैंक सार्वजनिक स्तर पर सुझाव और टिप्पणियां लेने के बाद ही कोई फैसला करेगा. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को यह कहा.
रिजर्व बैंक के एक आंतरिक कार्य समूह ने औद्योगिकी घरानों को खुद का बैंक शुरू करने की अनुमति दिये जाने का सुझाव दिया है. समिति के इस सुझाव की तीखी आलोचना हुई है.
विशेषज्ञों, रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर, डिप्टी गवर्नर और मुख्य आर्थिक सलाहकारों ने इसकी कड़ी आलोचना की है.
उनका मानना है कि यदि ऐसा किया गया तो जमाकर्ताओं का धन जोखिम में पड़ जायेगा और कंपनियों को उनके समूह के भीतर से ही कर्ज उपलब्ध होने लगेगा.
कार्यसमूह ने 50 हजार कराड़ रुपये से अधिक संपत्ति वाली गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को भी बैंक में परिवर्तित करने पर विचार किये जाने का सुझाव दिया है.
समिति ने यह भी कहा है कि भुगतान बैंक को लघु वित्त बैंक में बदलने पर लगने वाला समय भी कम किया जाना चाहिये. आरबीआई की समिति के इन सुझावों को लेकर भी आलोचना झेलनी पड़ी है.
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दास ने कहा कि विशिष्ट मुद्दों पर जाने से पहले, "मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि यह आरबीआई के आंतरिक कार्य समूह की रिपोर्ट है. इसे रिजर्व बैंक का विचार अथवा फैसला नहीं माना जाना चाहिये. इस बात को स्पष्ट तौर पर समझ लिया जाना चाहिये."
समिति के पांच सदस्यों में जिनमें दो सदस्य रिजर्व बैंक के केन्द्रीय बोर्ड और तीन आरबीआई के अधिकारी शामिल थे, उन्होंने स्वतंत्र रूप से काम किया और विचार विमर्श के बाद अपने विचार और सुझाव दिये हैं.
दास ने कहा, "रिजर्व बैंक ने इन मुद्दों पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है."
उन्होंने कहा कि किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले रिजर्व बैंक इसमें संबंधित पक्षों और सार्वजनिक तौर पर टिप्पणियों और सुझावों को लेगा.
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने औद्योगिक घरानों को बैंक खोलने की अनुमति दिये जाने के सुझावों की कड़ी आलोचना की है.
(पीटीआई-भाषा)