नई दिल्ली: भारत के दूरसंचार संबंधी विनियामक विवाद अभी भी गेल, ऑयल और पावरग्रिड के लिए जोखिम है. फिच रेटिंग्स ने बुधवार को यह बात कही.
फिच रेटिंग्स ने कहा तीनों भारत-आधारित कंपनियां- गेल (इंडिया) लिमिटेड, ऑयल इंडिया लिमिटेड और पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, दूरसंचार विभाग को कोई भी भुगतान जारी करती हैं तो, मांग नोटिस के तहत कंपनियों की रेटिंग जोखिम में पड़ सकती है.
फिच तीनों कंपनियों पर तत्काल रेटिंग कार्रवाई नहीं कर रहा है, क्योंकि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कंपनियों को 14 फरवरी, 2020 को अपने स्पष्टीकरण आवेदन वापस लेने और अदालत के बाहर दूरसंचार विभाग के साथ उनके विवाद को हल करने की अनुमति दी थी.
फिच ने कहा कि विवाद में शामिल टेलीकॉम कंपनियों से तत्काल भुगतान की मांग करने के अदालत के फैसले के कारण है.
उन्होंने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि तीनों कंपनियां अंततः विवाद को सुलझा लेंगी, हालांकि रिज़ॉल्यूशन टाइमिंग अनिश्चित है. कंपनियों के निवेश की योजना को बाधित करने और उनके प्रदर्शन को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए एक त्वरित समाधान महत्वपूर्ण है. तीनों कंपनियां मांग नोटिस के खिलाफ अपील पर विचार कर रही हैं. हम समझ रहे हैं कि उनके पास राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों के लिए उपलब्ध वैकल्पिक विवाद-समाधान तंत्र के माध्यम से मामले को हल करने का विकल्प है. यह सामान्य रूप से दूरसंचार लाइसेंस धारकों के लिए उपलब्ध कानूनी विकल्पों के अतिरिक्त है."
दूरसंचार विभाग ने गेल, ऑयल और पॉवरग्रिड को क्रमश: 1,831 अरब रुपये, 480 बिलियन रुपये और 220 बिलियन की डिमांड नोटिस जारी किए हैं.
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नोटिस में गैर-दूरसंचार राजस्व पर लाइसेंस शुल्क और लाइसेंस शुल्क पर अतिरिक्त ब्याज और दंड शामिल हैं. लांकि, तीन कंपनियों के दूरसंचार से संबंधित राजस्व लगभग 0.5 बिलियन रुपये, 0.01 बिलियन और 23 बिलियन रुपये है, जो कि समान समय अवधि के लिए मांग नोटिस के रूप में है.
तीनों कंपनियों ने आंतरिक उपयोग के लिए दूरसंचार बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है और अतिरिक्त क्षमता किराए पर लेने के लिए राष्ट्रीय लंबी दूरी और इंटरनेट सेवा प्रदाता लाइसेंस प्राप्त किए हैं.वे कहते हैं कि उनके लाइसेंस दूरसंचार कंपनियों द्वारा रखे गए एकीकृत एक्सेस लाइसेंस से भिन्न हैं, इसलिए, दूरसंचार कंपनियों के लिए समायोजित सकल राजस्व पर अदालत का निर्णय उन पर लागू नहीं होता है.
(आईएएनएस)