नई दिल्ली: हिमाचली काला जीरा, छत्तीसगढ़ का जीराफूल और ओड़िशा की कंधमाल हल्दी सहित 14 उत्पादों को सरकार ने इस साल अब तक भौगोलिक संकेतक (जीआई) की पहचान रखने वाले उत्पादों का दर्जा दिया है.
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के अनुसार जिन अन्य उत्पादों को भौगोलिक पहचान मिली है उनमें कर्नाटक की कुर्ग अरेबिका कॉफी, केरल के वायनाड की रोबस्टा कॉफी, आंध्र प्रदेश की अराकू वैली अरेबिका, कर्नाटक की सिरिसी सुपारी और हिमाचल का चूली तेल शामिल हैं.
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खास भौगोलिक पहचान रखने वाले उत्पाद का यह दर्जा मिलने से इन उत्पादों के उत्पादकों को प्रीमियम मूल्य मिलता है क्योंकि कोई अन्य उत्पादक उस नाम का दुरुपयोग कर अपने सामान का विपणन नहीं कर सकता.
किसी विशेष क्षेत्र से आने वाले कृषि, प्राकृतिक या विनिर्मित उत्पाद को जीआई का दर्जा दिया जाता है. इस तरह का नाम किसी उत्पाद की गुणवत्ता या उसके अलग होने का भरोसा भी दिलाता है. दार्जिलिंग की चाय, तिरुपति का लड्डू, कांगड़ा की पेंटिंग, नागपुर का संतरा और कश्मीर का पश्मीना अन्य पंजीकृत जीआई दर्जे वाले उत्पाद हैं.
इस साल अब तक विभिन्न राज्यों के 14 उत्पादों को मिली जीआई पहचान
किसी विशेष क्षेत्र से आने वाले कृषि, प्राकृतिक या विनिर्मित उत्पाद को जीआई का दर्जा दिया जाता है. इस तरह का नाम किसी उत्पाद की गुणवत्ता या उसके अलग होने का भरोसा भी दिलाता है.
नई दिल्ली: हिमाचली काला जीरा, छत्तीसगढ़ का जीराफूल और ओड़िशा की कंधमाल हल्दी सहित 14 उत्पादों को सरकार ने इस साल अब तक भौगोलिक संकेतक (जीआई) की पहचान रखने वाले उत्पादों का दर्जा दिया है.
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के अनुसार जिन अन्य उत्पादों को भौगोलिक पहचान मिली है उनमें कर्नाटक की कुर्ग अरेबिका कॉफी, केरल के वायनाड की रोबस्टा कॉफी, आंध्र प्रदेश की अराकू वैली अरेबिका, कर्नाटक की सिरिसी सुपारी और हिमाचल का चूली तेल शामिल हैं.
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खास भौगोलिक पहचान रखने वाले उत्पाद का यह दर्जा मिलने से इन उत्पादों के उत्पादकों को प्रीमियम मूल्य मिलता है क्योंकि कोई अन्य उत्पादक उस नाम का दुरुपयोग कर अपने सामान का विपणन नहीं कर सकता.
किसी विशेष क्षेत्र से आने वाले कृषि, प्राकृतिक या विनिर्मित उत्पाद को जीआई का दर्जा दिया जाता है. इस तरह का नाम किसी उत्पाद की गुणवत्ता या उसके अलग होने का भरोसा भी दिलाता है. दार्जिलिंग की चाय, तिरुपति का लड्डू, कांगड़ा की पेंटिंग, नागपुर का संतरा और कश्मीर का पश्मीना अन्य पंजीकृत जीआई दर्जे वाले उत्पाद हैं.
इस साल अब तक विभिन्न राज्यों के 14 उत्पादों को मिली जीआई पहचान
नई दिल्ली: हिमाचली काला जीरा, छत्तीसगढ़ का जीराफूल और ओड़िशा की कंधमाल हल्दी सहित 14 उत्पादों को सरकार ने इस साल अब तक भौगोलिक संकेतक (जीआई) की पहचान रखने वाले उत्पादों का दर्जा दिया है.
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के अनुसार जिन अन्य उत्पादों को भौगोलिक पहचान मिली है उनमें कर्नाटक की कुर्ग अरेबिका कॉफी, केरल के वायनाड की रोबस्टा कॉफी, आंध्र प्रदेश की अराकू वैली अरेबिका, कर्नाटक की सिरिसी सुपारी और हिमाचल का चूली तेल शामिल हैं.
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खास भौगोलिक पहचान रखने वाले उत्पाद का यह दर्जा मिलने से इन उत्पादों के उत्पादकों को प्रीमियम मूल्य मिलता है क्योंकि कोई अन्य उत्पादक उस नाम का दुरुपयोग कर अपने सामान का विपणन नहीं कर सकता.
किसी विशेष क्षेत्र से आने वाले कृषि, प्राकृतिक या विनिर्मित उत्पाद को जीआई का दर्जा दिया जाता है. इस तरह का नाम किसी उत्पाद की गुणवत्ता या उसके अलग होने का भरोसा भी दिलाता है. दार्जिलिंग की चाय, तिरुपति का लड्डू, कांगड़ा की पेंटिंग, नागपुर का संतरा और कश्मीर कापश्मीना अन्य पंजीकृत जीआई दर्जे वाले उत्पाद हैं.
Conclusion: