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रायपुर में रावण 150 साल से सीना ताने खड़ा, लोगों को रोज देता है सीख

old statue of Ravana in Ravanabhata दशहरा का त्यौहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. करीब डेढ़ महीने पहले से रावण बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है. रावण को बांस , बल्ली, कपड़े , कागज से बनाया जाता है, लेकिन राजधानी रायपुर के रावणभाटा का रावण खास है. यह एक ऐसा 10 सिर वाला रावण है, जो पिछले 150 साल से सीना ताने खड़ा है.

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Published : Oct 4, 2022, 7:43 PM IST

old statue of Ravana in Ravanabhata
रायपुर में रावण 150 साल से सीना ताने खड़ा

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के रावणभाटा के इस रावण को चूना पत्थर से बनाया गया है. रावणभाटा की दशहरा उत्सव समिति संयोजक सुशील ओझा कहते हैं कि " यह रावण प्रतिमा लगभग 150 साल पहले बनाई गई है. चूना पत्थर के बने इस रावण की खासियत यह है कि इसमें सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है. ना ही इस रावण को खड़ा करने के लिए किसी सरिए का इस्तेमाल किया गया है. सिर्फ चूना पत्थर से इस रावण की पूरी प्रतिमा बनाई गई है. " old statue of Ravana in Ravanabhata

रायपुर में 150 साल से सीना ताने खड़ा रावण लोगों को रोज देता है सीख

लोगों को रोज सीख देता है रावण: दशहरा उत्सव समिति सचिव अमित साहू ने बताया " रावण को महाबुद्धिमान और बलशाली माना जाता है, इसलिए दशहरा के दिन रावण की प्रतिमा की पूजा अर्चना की जाती है, लोग आशीर्वाद मांगते हैं कि रावण के अच्छे गुण उनमें आएं. लेकिन रावण ने कुछ ऐसे काम भी किए थे, जिसे आज कोई अपनाना नहीं चाहता. इसे बुरा और अवगुण माना जाता है. इस वजह से दशहरे के दिन शाम को रावण दहन भी किया जाता है. रायपुर के रावण भाटा का यह रावण रोज बच्चों और बड़ों को यह सीख देता है कि मन में रावण कभी पनपने ना पाए.''

यह भी पढ़ें: mythological story of dussehra : क्यों मनाया जाता है दशहरा का पर्व

दशहरे के दिन सुबह होती है रावण की पूजा: स्थानीय निवासी दया राम ने बताया "मेरी उम्र 73 साल है. बचपन से हम इस चूने पत्थर से बने रावण को देखते आए हैं. हमारे दादा को भी नहीं पता कि इस रावण को कब बनाया गया था. करीब 150 साल से यह रावण यहीं पर खड़ा है. हर साल दशहरा के पहले इसकी रंगाई पुताई कराई जाती है. दशहरे के दिन सुबह यहां मेला लगता है. इस रावण की पूजा की जाती है ताकि रावण के जो अच्छे गुण हैं, वह हमारे अंदर आए और शाम को हर साल बनाए जाने वाले रावण के पुतले का दहन किया जाता है ताकि रावण ने जो बुरे काम किए हैं, वह किसी में ना आएं.''

रावण भाटा का दशहरा उत्सव होता है खास: समिति संयोजक सुशील ओझा ने बताया " रायपुर के रावण भाटा मैदान में दशकों से रावण दहन की परंपरा चली आ रही है. रावण भाटा का यह मैदान दूधाधारी मठ का है. दशकों से हम यहां पर रावण दहन करते आ रहे हैं. हमसे पहले भी हमारे दादाओं ने यहां रावण दहन किया है. इस बार भी दशहरे का त्यौहार यहां पर बड़े ही धूमधाम से मनाने की तैयारी की जा रही है. मुंबई से कारीगरों को रावण बनाने के लिए यहां बुलाया गया है. 60-60 फीट के रावण, मेघनाथ, कुंभकरण को यहां बनाया जा रहा है."

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के रावणभाटा के इस रावण को चूना पत्थर से बनाया गया है. रावणभाटा की दशहरा उत्सव समिति संयोजक सुशील ओझा कहते हैं कि " यह रावण प्रतिमा लगभग 150 साल पहले बनाई गई है. चूना पत्थर के बने इस रावण की खासियत यह है कि इसमें सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है. ना ही इस रावण को खड़ा करने के लिए किसी सरिए का इस्तेमाल किया गया है. सिर्फ चूना पत्थर से इस रावण की पूरी प्रतिमा बनाई गई है. " old statue of Ravana in Ravanabhata

रायपुर में 150 साल से सीना ताने खड़ा रावण लोगों को रोज देता है सीख

लोगों को रोज सीख देता है रावण: दशहरा उत्सव समिति सचिव अमित साहू ने बताया " रावण को महाबुद्धिमान और बलशाली माना जाता है, इसलिए दशहरा के दिन रावण की प्रतिमा की पूजा अर्चना की जाती है, लोग आशीर्वाद मांगते हैं कि रावण के अच्छे गुण उनमें आएं. लेकिन रावण ने कुछ ऐसे काम भी किए थे, जिसे आज कोई अपनाना नहीं चाहता. इसे बुरा और अवगुण माना जाता है. इस वजह से दशहरे के दिन शाम को रावण दहन भी किया जाता है. रायपुर के रावण भाटा का यह रावण रोज बच्चों और बड़ों को यह सीख देता है कि मन में रावण कभी पनपने ना पाए.''

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दशहरे के दिन सुबह होती है रावण की पूजा: स्थानीय निवासी दया राम ने बताया "मेरी उम्र 73 साल है. बचपन से हम इस चूने पत्थर से बने रावण को देखते आए हैं. हमारे दादा को भी नहीं पता कि इस रावण को कब बनाया गया था. करीब 150 साल से यह रावण यहीं पर खड़ा है. हर साल दशहरा के पहले इसकी रंगाई पुताई कराई जाती है. दशहरे के दिन सुबह यहां मेला लगता है. इस रावण की पूजा की जाती है ताकि रावण के जो अच्छे गुण हैं, वह हमारे अंदर आए और शाम को हर साल बनाए जाने वाले रावण के पुतले का दहन किया जाता है ताकि रावण ने जो बुरे काम किए हैं, वह किसी में ना आएं.''

रावण भाटा का दशहरा उत्सव होता है खास: समिति संयोजक सुशील ओझा ने बताया " रायपुर के रावण भाटा मैदान में दशकों से रावण दहन की परंपरा चली आ रही है. रावण भाटा का यह मैदान दूधाधारी मठ का है. दशकों से हम यहां पर रावण दहन करते आ रहे हैं. हमसे पहले भी हमारे दादाओं ने यहां रावण दहन किया है. इस बार भी दशहरे का त्यौहार यहां पर बड़े ही धूमधाम से मनाने की तैयारी की जा रही है. मुंबई से कारीगरों को रावण बनाने के लिए यहां बुलाया गया है. 60-60 फीट के रावण, मेघनाथ, कुंभकरण को यहां बनाया जा रहा है."

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