नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने अहमदाबाद के पिराना लैंडफिल साईट को हटाने के लिए गुजरात सरकार को एस्क्रो अकाउंट में 75 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया है. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अहमदाबाद में वायु प्रदूषण का बड़ा स्रोत पिराना लैंडफिल साईट है. एऩजीटी ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि राज्य सरकार सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रुल्स के तहत संबंधित पक्षों से मुआवजा वसूल सकती है.
कमेटी का हुआ गठन
एनजीटी ने गुजरात के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का भी गठन किया जो इस मसले को देखेगी. कमेटी में गुजरात के वित्त सचिव, गुजरात के शहरी विकास सचिव, अहमदाबाद नगर निगम के आयुक्त, अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकार के सीईओ, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक और गुजरात राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव शामिल होंगे.
एनजीटी ने इस काम में समन्वय और पूरा कराने के लिए गुजरात के शहरी विकास सचिव को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है. एनजीटी ने निर्देश दिया कि अगर ये कमेटी चाहे तो दूसरे तकनीकी व्यक्तियों या एजेंसियों को कमेटी में बतौर सदस्य नियुक्त कर सकती है. एनजीटी ने कहा कि कमेटी इंदौर नगर निगम के आयुक्त डॉ. सैयद असल अली वारसी और इंदौर नगर निगम के सीईओ को विशेष आमंत्रित सदस्यों के रुप में आमंत्रित कर सकती है.
'स्वास्थ्य पर पड़ रहा बुरा असर'
एनजीटी ने कहा कि अगर पिराना लैंडफिल साईट हटा दिया जाता है तो इससे मिले अनुभव का इस्तेमाल गुजरात सरकार राज्य के दूसरे लैंडफिल साईट को हटाने में कर सकती है. एनजीटी ने कहा कि पिराना लैंडफिल साईट की वजह से शहर के लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर हो रहा है और वहां से कचरा हटाने का काम एक महीने के अंदर शुरू किया जाए.
एनजीटी ने कहा कि लैंडफिल साईट से कचरा हटाने के बाद उस स्थान का इस्तेमाल खतरनाक कचरे के निस्तारण के लिए किया जा सकता है. एनजीटी ने सुझाव दिया कि उस स्थान पर एक बायोडाइवर्सिटी पार्क भी बनाया जा सकता है ताकि वायु की गुणवत्ता में सुधार हो.
फिलहाल एनजीटी ने आदेश के अनुपालन के लिए उठाए गए कदमों की अंतरिम रिपोर्ट अगले सप्ताह दाखिल करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को होगी.