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सेक्स वर्कर पुनर्वास: बंगाल सरकार की योजना से 3 साल में मात्र 75 लोगों को लाभ - पश्चिम बंगाल न्यूज

पश्चिम बंगाल सरकार की योजना से तीन साल में सिर्फ 75 लोगों को लाभ मिला. ममता सरकार ने साल 2016 में मुक्तिर अलो योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत अब तक लगभग 55.73 लाख रुपये आवंटित किए जा चुके हैं.

सोनागाछी में अंतर्राष्ट्रीय सेक्स वर्कर अधिकार दिवस पर आयोजित एक रैली में भाग लेते हुए वर्कर्स.
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Published : Mar 19, 2019, 10:48 PM IST

Updated : Mar 19, 2019, 11:32 PM IST

कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार की मुक्तिर अलो (स्वतंत्रता का प्रकाश) योजना की 2016 में शुरुआत से अब तक मात्र 75 सेक्स वर्कर ही लाभान्वित हुई हैं. कोलकाता के एक वकील द्वारा मांगे गए RTI जवाब में इस बात का खुलासा हुआ है.

सोनागाछी में अंतर्राष्ट्रीय सेक्स वर्कर अधिकार दिवस पर आयोजित एक रैली में भाग लेते हुए वर्कर्स.
सोनागाछी में अंतर्राष्ट्रीय सेक्स वर्कर अधिकार दिवस पर आयोजित एक रैली में भाग लेते हुए वर्कर्स.

इस योजना का मकसद उन सेक्स वर्कर को पुनर्वास मुहैया कराना था, जो यह पेशा छोड़ना चाहती हैं. इस योजना में सेक्स ट्रैफिकिंग की पीड़िताओं को सहायता देना और उन्हें जिंदगी जीने में सक्षम बनाना लक्ष्य था.

परिणामों की मांगी जानकारी
वकील विपान कुमार ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत पश्चिम बंगाल महिला विकास विभाग से पिछले साल अक्टूबर में योजना के कार्यान्वन और परिणामों की जानकारी मांगी थी.

केवल 75 पीड़िताओं को मिला लाभ
कुमार ने बताया, 'मैंने पूछा था कि कितनी पीड़िताओं ने योजना के लिए आवेदन किया है. जानकारी में स्पष्ट हुआ कि NGO ही केवल आवेदन कर सकते हैं. आवेदन करने वाले छह में से दो NGO को ही मंजूरी दी गई. हैरान कर देने वाली बात यह है कि मात्र 75 सेक्स वर्कर और सेक्स ट्रैफिकिंग की पीड़िताएं ही योजना के शुरू होने के बाद से अब तक लाभान्वित हुई हैं.'

समुदायों पर ध्यान केंद्रित
उनके मुताबिक, मुक्तीर अलो को उन समुदायों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जहां पीड़िताएं सामूहिक रूप से रह रही हैं बजाए गैर सरकारी संगठनों पर, जो आश्रय गृह चलाते हैं या महिला विकास में अनुभव रखते हैं.

44 प्रतिशत तस्करी
NCRB के आंकड़े बताते हैं कि 2016 में पश्चिम बंगाल से 3,579 व्यक्तियों की तस्करी हुई, जो कि देश में हुई कुल तस्करी की संख्या का 44 प्रतिशत है. उन्होंने कहा, 'इसलिए हम योजनाओं के अधिकतम लाभ की उम्मीद करते हैं.' हालांकि, राज्य सरकार का कहना है कि किसी को योजना की सफलता का आकलन करने के लिए केवल संख्याओं पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए.

योजना से फायदा
महिला विकास, सामाजिक कल्याण एवं बाल विभाग मंत्री शशि पांजा ने बताया, 'मुक्तिर अलो मुख्य रूप से सेक्स वर्कर के लिए है और पुनर्वास कोई आसान प्रक्रिया नहीं है. इसलिए केवल संख्या पर ध्यान केंद्रित मत कीजिए. किसी एक महिला को भी मुख्यधारा समाज में लाना एक उपलब्धि है.' उन्होंने कहा, 'अगर अधिक संगठन आगे आएंगे तो उन्हें भी योजना से फायदा मिलेगा.'

50 और 25 लाभार्थी प्रशिक्षित
RTI से यह जानकारी सामने आई कि एनजीओ वुमेन इंटरलिंक फाउंडेशन (डब्ल्यूआईएफ) और डिवाइन स्क्रिप्ट (डीएस) ने क्रमश: 50 और 25 लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया. डब्ल्यूआईएफ ने उनमें से 20 को हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग, 20 को कटिंग और टेलरिंग और 10 को मसाला पीसने का प्रशिक्षण दिया. एडीएस ने 12 को उत्पाद बनाने और 13 को कैफेटेरिया प्रबंधन में प्रशिक्षित किया.

WIF को 24,24,000 रुपये आवंटित
RTI के जवाब के अनुसार, योजना के कार्यान्वन के लिए डीएस को 31,49,260 रुपये और WIF को 24,24,000 रुपये आवंटित किए गए थे.

75 पीड़िताएं प्रशिक्षित
कुमार ने कहा, 'विभाग का कहना है कि दोनों गैर-सरकारी संगठनों ने पूरी आवंटित राशि का उपयोग किया और अब तक 75 पीड़िताओं को प्रशिक्षित किया. यह दर्शाता है कि प्रत्येक पीड़िता पर प्रशिक्षण के लिए करीब 75 हजार रुपये खर्च किए गए और यह एक अच्छा संकेत है.' उन्होंने कहा, 'अगर इस योजना का व्यापक प्रसार होता है तो अधिक NGO आगे आकर योजना को लागू कर सकते हैं.'

कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार की मुक्तिर अलो (स्वतंत्रता का प्रकाश) योजना की 2016 में शुरुआत से अब तक मात्र 75 सेक्स वर्कर ही लाभान्वित हुई हैं. कोलकाता के एक वकील द्वारा मांगे गए RTI जवाब में इस बात का खुलासा हुआ है.

सोनागाछी में अंतर्राष्ट्रीय सेक्स वर्कर अधिकार दिवस पर आयोजित एक रैली में भाग लेते हुए वर्कर्स.
सोनागाछी में अंतर्राष्ट्रीय सेक्स वर्कर अधिकार दिवस पर आयोजित एक रैली में भाग लेते हुए वर्कर्स.

इस योजना का मकसद उन सेक्स वर्कर को पुनर्वास मुहैया कराना था, जो यह पेशा छोड़ना चाहती हैं. इस योजना में सेक्स ट्रैफिकिंग की पीड़िताओं को सहायता देना और उन्हें जिंदगी जीने में सक्षम बनाना लक्ष्य था.

परिणामों की मांगी जानकारी
वकील विपान कुमार ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत पश्चिम बंगाल महिला विकास विभाग से पिछले साल अक्टूबर में योजना के कार्यान्वन और परिणामों की जानकारी मांगी थी.

केवल 75 पीड़िताओं को मिला लाभ
कुमार ने बताया, 'मैंने पूछा था कि कितनी पीड़िताओं ने योजना के लिए आवेदन किया है. जानकारी में स्पष्ट हुआ कि NGO ही केवल आवेदन कर सकते हैं. आवेदन करने वाले छह में से दो NGO को ही मंजूरी दी गई. हैरान कर देने वाली बात यह है कि मात्र 75 सेक्स वर्कर और सेक्स ट्रैफिकिंग की पीड़िताएं ही योजना के शुरू होने के बाद से अब तक लाभान्वित हुई हैं.'

समुदायों पर ध्यान केंद्रित
उनके मुताबिक, मुक्तीर अलो को उन समुदायों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जहां पीड़िताएं सामूहिक रूप से रह रही हैं बजाए गैर सरकारी संगठनों पर, जो आश्रय गृह चलाते हैं या महिला विकास में अनुभव रखते हैं.

44 प्रतिशत तस्करी
NCRB के आंकड़े बताते हैं कि 2016 में पश्चिम बंगाल से 3,579 व्यक्तियों की तस्करी हुई, जो कि देश में हुई कुल तस्करी की संख्या का 44 प्रतिशत है. उन्होंने कहा, 'इसलिए हम योजनाओं के अधिकतम लाभ की उम्मीद करते हैं.' हालांकि, राज्य सरकार का कहना है कि किसी को योजना की सफलता का आकलन करने के लिए केवल संख्याओं पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए.

योजना से फायदा
महिला विकास, सामाजिक कल्याण एवं बाल विभाग मंत्री शशि पांजा ने बताया, 'मुक्तिर अलो मुख्य रूप से सेक्स वर्कर के लिए है और पुनर्वास कोई आसान प्रक्रिया नहीं है. इसलिए केवल संख्या पर ध्यान केंद्रित मत कीजिए. किसी एक महिला को भी मुख्यधारा समाज में लाना एक उपलब्धि है.' उन्होंने कहा, 'अगर अधिक संगठन आगे आएंगे तो उन्हें भी योजना से फायदा मिलेगा.'

50 और 25 लाभार्थी प्रशिक्षित
RTI से यह जानकारी सामने आई कि एनजीओ वुमेन इंटरलिंक फाउंडेशन (डब्ल्यूआईएफ) और डिवाइन स्क्रिप्ट (डीएस) ने क्रमश: 50 और 25 लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया. डब्ल्यूआईएफ ने उनमें से 20 को हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग, 20 को कटिंग और टेलरिंग और 10 को मसाला पीसने का प्रशिक्षण दिया. एडीएस ने 12 को उत्पाद बनाने और 13 को कैफेटेरिया प्रबंधन में प्रशिक्षित किया.

WIF को 24,24,000 रुपये आवंटित
RTI के जवाब के अनुसार, योजना के कार्यान्वन के लिए डीएस को 31,49,260 रुपये और WIF को 24,24,000 रुपये आवंटित किए गए थे.

75 पीड़िताएं प्रशिक्षित
कुमार ने कहा, 'विभाग का कहना है कि दोनों गैर-सरकारी संगठनों ने पूरी आवंटित राशि का उपयोग किया और अब तक 75 पीड़िताओं को प्रशिक्षित किया. यह दर्शाता है कि प्रत्येक पीड़िता पर प्रशिक्षण के लिए करीब 75 हजार रुपये खर्च किए गए और यह एक अच्छा संकेत है.' उन्होंने कहा, 'अगर इस योजना का व्यापक प्रसार होता है तो अधिक NGO आगे आकर योजना को लागू कर सकते हैं.'

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muktir alo rehabilitation scheme in west bengal

 


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Last Updated : Mar 19, 2019, 11:32 PM IST
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