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लोकसभा चुनाव : सबरीमला विवाद का भी पड़ेगा प्रभाव ! - लोकसभा चुनाव 2019

सबरीमला अयप्पा सेवा समाधान ने इस आम चुनाव से पहले 18 सूत्री मागों की सूची राजनीतिक दलों के सामने रखी है. साथ ही लोकसभा चुनाव पर इसका असर देखने को मिलेगा.

SASS के महासचिव इरोड एन. राजन
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Published : Mar 20, 2019, 12:13 AM IST

नई दिल्ली: सबरीमला अयप्पा सेवा समाजम (SASS) ने आम चुनावों में राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को मांगों की 18 बिंदु वाली सूची देने का निर्णय लिया है.

SASS एक ऐसा संगठन है, जो 2008 में अस्तित्व में आया है. अब यह देश के 15 राज्यों में विस्तारित हो गया है और सबरीमाला भक्तों की सेवा के लिए काम करता है.

देश भर में भक्तों की पर्याप्त संख्या का दावा करने के बाद, सेवा समुदाय ने राजनीतिक दलों से सभी मंदिरों में सालों से चली आ रही परंपराओं को बचाने की मांग की है.

SASS के महासचिव इरोड एन. राजन से बातचीत.

SASS ने भक्तों से अपील की है. इसके साथ ही आगामी लोकसभा चुनावों से पहले अपने चार्टर का भी उल्लेख किया है कि एक भक्त मतदाता केवल ऐसे दलों को वोट दे, जो खुले तौर पर सबरीमाला के चार्टर में अपनी मांगों का समर्थन करते हैं. साथ ही देश में मंदिरों और हिंदू धर्म की रक्षा करते हैं.

ईटीवी भारत ने SASS के महासचिव इरोड एन. राजन से बात की. उन्होंने दावा किया कि अयप्पा भक्त देश भर में कुल 20 करोड़ से अधिक मतदाता हैं. साथ ही हालिया घटनाक्रम और विवाद का असर आने वाले आम चुनाव में देखने को मिलेगा.

आम चुनाव से पहले इस तरह के घटनाक्रम का संभावित तौर पर आम चुनावों में असर देखने को मिल सकता है.

नई दिल्ली: सबरीमला अयप्पा सेवा समाजम (SASS) ने आम चुनावों में राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को मांगों की 18 बिंदु वाली सूची देने का निर्णय लिया है.

SASS एक ऐसा संगठन है, जो 2008 में अस्तित्व में आया है. अब यह देश के 15 राज्यों में विस्तारित हो गया है और सबरीमाला भक्तों की सेवा के लिए काम करता है.

देश भर में भक्तों की पर्याप्त संख्या का दावा करने के बाद, सेवा समुदाय ने राजनीतिक दलों से सभी मंदिरों में सालों से चली आ रही परंपराओं को बचाने की मांग की है.

SASS के महासचिव इरोड एन. राजन से बातचीत.

SASS ने भक्तों से अपील की है. इसके साथ ही आगामी लोकसभा चुनावों से पहले अपने चार्टर का भी उल्लेख किया है कि एक भक्त मतदाता केवल ऐसे दलों को वोट दे, जो खुले तौर पर सबरीमाला के चार्टर में अपनी मांगों का समर्थन करते हैं. साथ ही देश में मंदिरों और हिंदू धर्म की रक्षा करते हैं.

ईटीवी भारत ने SASS के महासचिव इरोड एन. राजन से बात की. उन्होंने दावा किया कि अयप्पा भक्त देश भर में कुल 20 करोड़ से अधिक मतदाता हैं. साथ ही हालिया घटनाक्रम और विवाद का असर आने वाले आम चुनाव में देखने को मिलेगा.

आम चुनाव से पहले इस तरह के घटनाक्रम का संभावित तौर पर आम चुनावों में असर देखने को मिल सकता है.

Intro:Sabrimala Ayyappa Sewa Samadhan (SASS) has decided to submit an 18 point charter of demands to political parties and candidates contesting in general elections. SASS is an organisation which came into existence in 2008 has now expanded to 15 states in the country and serves to the devotees visiting Sabrimala. Having claimed a substantial following of devotees across the country, the Sewa Samajam has demanded political parties to protect and keep the old age traditions in all the temples.
SASS has appealed to the devotees and also mentioned in their charter before the forthcoming Lok Sabha elections that the vote of a devotee will be given to such parties only who openly support their demands in the charter to Save Sabrimala and protect temples and Hindu religion in the country.


Body:ETV Bharat talked to the general secretary of Sabrimala Ayyappa Sewa Samajam, Erode N. Rajan who claimed that Ayyappa devotees constitute a total of more than 20 crore voters across the country and the recent developments and controversies will affect the voting pattern in general elections as well.


Conclusion:With such developments coming before the general elections, it is likely that the issue will be forced to play a role in the general elections.
Watch this interview to know how SASS, said to be backed by the right wing organisations has to say on Sabrimala and the forthcoming general elections.
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