नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में 20 मई के बाद एडमिशन शुरू हो जाएंगे. इसके लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों ने दाखिले की तैयारियां पूरी कर ली हैं. नए शैक्षणिक सत्र 2019-20 में भी कई बदलाव किए गए. दिल्ली विश्वविद्यालय ने इस साल दाखिला प्रक्रिया में कई बदलावों के साथ कई नई चीजों को भी लागू कर दिया है. ऐसे में कॉलेजों को दाखिले, शैक्षणिक योग्यता और इकोनॉमिक वीकर सेक्शन के संबंध में जानकारी देने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से सभी कॉलेजों के प्रिंसिपल की मीटिंग बुलाई गई थी.
इस पर हमने दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह कॉलेज के प्रिंसिपल आईएस बख्शी से बात की. उन्होंने बताया दिल्ली विश्वविद्यालय की हर साल यही कोशिश रहती है कि दाखिले बिना किसी परेशानी के और सावधानीपूर्वक हो सकें. क्योंकि जो भी बदलाव किए जाते हैं. वे छात्रों की सुविधाओं को देखकर ही किए जाते हैं.
1910 में लाहौर में बना था कॉलेज
हमने जब दयाल सिंह कॉलेज के प्रिंसिपल से नए छात्रों के लिए दाखिले की तैयारियों को लेकर सवाल किया तो उन्होंने बताया की दयाल सिंह कॉलेज पुराने और ऐतिहासिक कॉलेजों में से एक है. कॉलेज सन 1910 में लाहौर में बना था और देश की आजादी के बाद कॉलेज को दिल्ली में शिफ्ट कर दिया गया. प्रिंसिपल ने बताया कि इस समय कॉलेज में कुल 17 ऑनर्स कोर्स हैं. जिसमें छात्र दाखिला ले सकते हैं. इस के साथ ही कॉलेज में संस्कृत, उर्दू और पंजाबी में भी ऑनर्स कोर्स कराए जाते हैं.
'हाई रह सकती है कट ऑफ लिस्ट'
प्रिंसिपल आईएस बख्शी से हमने इस साल जारी होने वाली कटऑफ लिस्ट को लेकर सवाल किया तो उन्होंने बताया कि कट ऑफ छात्रों द्वारा चुने गए सबसे ज्यादा पॉपुलर कोर्सों पर डिपेंड करती है. जिस कोर्स की ज्यादा डिमांड होगी. उस कोर्स की कट ऑफ 90 फीसदी से ऊपर जा सकती है. इस के साथ ही प्रिंसिपल ने छात्रों को यह सलाह दी कि वह यूनिवर्सिटी की वेबसाइट और कॉलेज की वेबसाइट को चेक करते रहें.
'कोर्स को महत्व दें कॉलेज को नहीं'
एडमिशन के लिए आने वाले छात्रों के लिए प्रिंसिपल ने बताया कि नए छात्र एडमिशन के दौरान अपने ओरिजिनल सेल्फ अटेस्टेड दस्तावेज लेकर आएं. जिससे कि उनके दस्तावेजों की जांच के बाद एडमिशन प्रक्रिया पूरी की जा सके. प्रिंसिपल बख्शी ने छात्रों को ये सलाह भी दी कि छात्र कॉलेज से ज्यादा कोर्स को महत्व दें. क्योंकि कोर्स के आधार पर ही छात्रों का भविष्य तय होता है. आखिर में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रों को जो डिग्री दी जाती है. उस पर कॉलेज के बजाय दिल्ली विश्वविद्यालय का ही नाम लिखा होता है. जिससे कि सभी कॉलेजों की डिग्री एक समान दिल्ली विश्वविद्यालय की ही होती है.