इंदौर (मध्यप्रदेश) : अंदरूनी अंगों की अजब-गजब स्थिति वाली जन्मजात विकृति (congenital malformation of internal organs) से जूझ रहे 26 वर्षीय IT पेशेवर ने इंदौर के एक अस्पताल में जटिल ऑपरेशन के दौरान अपने लीवर का हिस्सा दान कर पिता की जान बचाई.
चोइथराम अस्पताल (Choithram Hospital) के डॉक्टरों के मुताबिक लीवर प्रतिरोपण (Liver transplant) की यह सर्जरी चिकित्सा जगत में दुर्लभ है क्योंकि अंगदान करने वाले IT पेशेवर प्रखर कौशल (26) का लीवर और अन्य महत्वपूर्ण अंग सामान्य स्थिति की तुलना में उल्टी दिशा में हैं.
अस्पताल के अंग प्रतिरोपण सर्जन सुदेश शारदा ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया, मनुष्य के शरीर में आम तौर पर लीवर शरीर में दायीं ओर होता है. लेकिन जन्मजात विकृति के कारण यह अंग कौशल के जिस्म में बायीं ओर है.
उन्होंने बताया कि चार सर्जनों समेत डॉक्टरों के सात सदस्यीय दल ने 28 अगस्त को कई घंटे चले जटिल ऑपरेशन के दौरान युवक के लीवर का हिस्सा उसके शरीर से निकाला और फिर उसे लीवर सिरोसिस रोग से जूझ रहे उसके 59 वर्षीय पिता के शरीर में प्रतिरोपित किया.
शारदा ने बताया, "अगर यह प्रतिरोपण समय रहते नहीं किया जाता, तो लीवर सिरोसिस पीड़ित मरीज की जान को खतरा हो सकता था.
उन्होंने बताया कि मानवीय शरीर में अंदरूनी अंगों की अजब-गजब स्थिति एक लाख में से केवल 10 लोगों में होती है और इस दुर्लभ जन्मजात विकृति को चिकित्सकीय भाषा में "साइटस इन्वर्सस टोटेलिस" कहते हैं.
शारदा के मुताबिक चोइथराम अस्पताल में संपन्न ऑपरेशन से पहले, दुनिया भर में इस तरह के लीवर प्रतिरोपण की केवल पांच सर्जरी हुई है जिनमें "साइटस इन्वर्सस टोटेलिस" से जूझ रहे व्यक्तियों ने जरुरतमंद मरीजों को उनके लीवर का हिस्सा दान किया है.
उन्होंने बताया कि अपने पिता को लीवर का हिस्सा दान करने करने वाले IT पेशेवर प्रखर कौशल की अस्पताल से छुट्टी हो चुकी है, जबकि उनके पिता को अगले दो दिन में अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है.
कौशल ने बताया, मुझे यह तो बचपन से मालूम था कि मेरा हृदय बायीं ओर के बजाय दायीं ओर है. लेकिन मेरे शरीर में लीवर की भी अलग स्थिति के बारे में मुझे तब पता चला, जब मैंने पिता को लीवर का हिस्सा दान करने से पहले अस्पताल में अपनी जांच कराई.
IT पेशेवर ने बताया कि उनके पिता प्रदीप कुमार कौशल नजदीकी महू कस्बे में सिविल डिफेंस में काम करते हैं और उन्होंने उन्हें लीवर का हिस्सा दान करने का फैसला लेने में जरा भी देर नहीं लगाई.
(पीटीआई-भाषा)