पटना : कैमूर से सटे उत्तर प्रदेश की सीमा पर योगी सरकार ने बिहार से जाने वाले शवों के वहां पर अंतिम संस्कार पर रोक लगा दी है. इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने सीमा पर पुलिस के जवानों को तैनात कर दिया है. यूपी सरकार के इस फरमान से कैमूर के लोग काफी आहत हैं.
धार्मिक मान्यता के अनुसार, शवों का अंतिम संस्कार प्रथागत तरीके से नहीं हो तो लोगों के अंदर पछतावा रह जाता है. बता दें कि कैमूर जिले का पश्चिमी हिस्सा यूपी से सटा हुआ है. उत्तर प्रदेश का गाजीपुर जिला का जमानियां, जो महर्षि जमदग्नि के नाम से विख्यात है. जहां से मोक्षदायिनी मां गंगा की पवित्र नदी गुजरती है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, शवों का अंतिम संस्कार गंगा के तट पर करने की परंपरा बहुत पुरानी है. मगर इन सभी के बीच सोमवार की शाम से यूपी सरकार ने बिहार से उत्तर प्रदेश में शवों के दाह संस्कार पर रोक लगा दी है.
सीमा पर बरती जा रही है सख्ती
बिहार से उत्तर प्रदेश के जमनियां स्थित गंगा नदी के तट पर अंतिम संस्कार के लिए शव ले जाने के दौरान यूपी पुलिस द्वारा सीमा पर सख्ती बरती जा रही है. बड़ौरा बॉर्डर के करमहरी गांव के समीप यूपी पुलिस की तैनाती की गई है. गांव के समीप बैरियर लगाकर यूपी पुलिस द्वारा बिहार से शवों का उत्तर प्रदेश में दाह संस्कार करने वाले जाने वाले वाहनों को रोका जा रहा है.
यूपी सरकार का नया फरमान
ग्रामीणों के मुताबिक, सोमवार की रात से लगभग 4 दर्जन से अधिक शव लदे वाहनों को बॉर्डर पर से उत्तर प्रदेश की पुलिस ने लौटा दिया. वहीं, मौके पर मौजूद कुछ पुलिस के जवानों ने कहा कि जिस राज्य का शव है, उसी राज्य में अंतिम संस्कार करने का फरमान जारी हुआ है. इसे लेकर सोमवार की रात से उत्तर प्रदेश में बिहार से जाने वाले शव लदे वाहनों को प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है.
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बक्सर में गंगा में मिली थी 40 लाशें
बड़ौरा बॉर्डर के आस-पास के लोगों ने बताया कि 2 दिनों पहले बिहार के बक्सर में गंगा नदी के महादेव घाट पर एक साथ लगभग 40 लाशें देखी गई थीं. स्थानीय प्रशासन ने बताया था कि उक्त लाशें उत्तर प्रदेश से बहकर बिहार में आ रही हैं. इसके बाद यूपी के जमानियां स्थित गंगा नदी के तट पर बिहार जाने वाले शवों के दाह संस्कार पर रोक लगाने का फरमान जारी हुआ है.
दो अलग-अलग स्थानों पर दाह संस्कार
बता दें कि, कैमूर जिले के रामगढ़, नुआंव एवं मोहनिया प्रखंड के लोग बड़ौरा बॉर्डर पार कर शव को जमनियां ले जाकर अंतिम संस्कार करते हैं. जबकि, भभुआ, चैनपुर, चांद, दुर्गावती आदि के लोग वाराणसी में शवों का दाह संस्कार करते हैं.