हरिद्वार : यूपी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की रिहाई को लेकर हरिद्वार में सर्वानंद घाट पर धरना दे रहे यति नरसिंहानंद गिरि ने बड़ा ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य की जयंती पर यति नरसिंहानंद हरिद्वार में एक बड़ी धर्म संसद का आयोजन (Yeti Narasimhanand Giri Announced about dharma Sansad) करेंगे. उन्होंने दावा किया है कि यह इतिहास का सबसे बड़ा धर्म संसद (dharma Sansad will be organized in Haridwar Uttrakhand) होगा.
यति नरसिंहानंद गिरि ने कहा कि आज हिंदू समाज में सबसे बड़ा संशय इस बात को लेकर है कि समाज की रक्षा में संतों की कोई भूमिका है भी या नहीं? इसी विषय पर धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा. नरसिंहानंद गिरि ने कहा कि इस देश में यदि मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों के साथ कुछ गलत होता है, तो उनके-उनके समुदाय के धर्मगुरु उनके लिए लड़ाई लड़ते हैं. लेकिन हिंदुओं पर चाहे कितना ही अत्याचार क्यों न हो, उनका कोई भी धर्मगुरु उनका साथ नहीं देता. न ही उनके लिए कोई आवाज उठाता है. ऐसे में हिन्दू जाए तो जाए कहां?
उन्होंने यह भी कहा कि सभी जानते हैं कि भारत में जितनी भी आतंकवादी घटना होती हैं, उसमें शामिल सभी आतंकवादियों के मुकदमे जमीयत उलेमा-ए-हिंद लड़ती है. फिर भी धर्म निरपेक्षता के नाम पर बहुत सारे तथाकथित सनातन के धर्मगुरु उनको अपने मंचों पर बुलाकर सनातन धर्म और हिन्दुओं के साथ विश्वासघात करते हैं. ये लोग हिन्दुओं के पक्ष में उठने वाली हर आवाज को अधार्मिक बता कर दबा देते हैं. ऐसे में हिन्दू समाज दिशाहीन होकर कभी भी हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों का विरोध नहीं कर पा रहा है और धीरे-धीरे सर्वनाश की ओर बढ़ रहा है. सनातन के महाविनाश के इन क्षणों में आज हिन्दुओं का यह संशय दूर होना ही चाहिए. यति नरसिंहानंद गिरि ने कहा कि इस बार का धर्म संसद इसी विषय को लेकर आयोजित की जाएगी, जिसमें सभी जगदगुरुओं, तेरह अखाड़ों के प्रमुखों सहित सनातन के प्रमुख धर्मगुरुओं को निमंत्रण दिया जाएगा. स्वामी अमृतानंद धर्म संसद के मुख्य संयोजक होंगे, जो पूरे देश में जाकर संतों को धर्म संसद के लिये आमंत्रित करेंगे.
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स्वामी अमृतानंद ने बताया कि आज सनातन धर्म और हिन्दू समाज के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न लग चुका है. हिन्दुओं के पास न तो कोई ऐसा प्रामाणिक धर्मगुरु है, जो उनके लिए लड़ता हो और न ही कोई राजनैतिक नेता साथ खड़ा है. जितने भी तथाकथित हिन्दू संगठन हैं, वे भी केवल अपने क्षुद्र स्वार्थों के लिए कार्य करते हैं. ऐसे में हिन्दुओं की स्थिति अनाथ जैसी हो चुकी है. ऐसी परिस्थितियों में हिन्दू समाज को अपने धर्मगुरुओं की ओर देखना चाहिए या नहीं, यह तय होना आज बहुत जरूरी हो चुका है. यह धर्म संसद इस यक्ष प्रश्न का उत्तर खोजने के लिए ही आयोजित की जाएगी. इस धर्म संसद में भारत वर्ष के सभी प्रमुख हिंदूवादी कार्यकर्ताओं से भी भाग लेने का आग्रह किया जाएगा.
बता दें कि, पिछले साल भी हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर के दौरान तीन दिवसीय धर्म संसद का आयोजन किया गया था. उस दौरान कुछ विवादित भाषण सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे, जिसे लेकर काफी हंगामा हुआ था. इस मामले को लेकर हरिद्वार की ज्वालापुर कोतवाली में धर्म संसद के आयोजक और वक्ताओं पर मुकदमा दर्ज हुआ था. हेट स्पीच केस में दर्ज एफआईआर में 10 से अधिक लोगों के नाम हैं. इसमें नरसिंहानंद, जितेंद्र त्यागी और अन्नपूर्णा शामिल हैं. इस मामले पर एक सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में भी चल रही थी.