हैदराबाद : कभी कुश्ती खिलाड़ियों का विरोध प्रदर्शन, तो कभी मराठा आरक्षण का विवाद, कभी कावेरी जल बंटवारे को लेकर अंसतोष तो कभी किसी और मुद्दे पर आमजनों का विरोध प्रदर्शन, साल 2023 में यह सब चलता ही रहा. ये तीनों मामले ऐसे थे, जिसने पूरे देश को इन मामलों पर सोचने को मजबूर कर दिया. इनमें से कुछ मामले तो सालों से चले आ रहे हैं, जैसे मराठा रिजर्वेशन और कावेरी जल विवाद. कुश्ती खिलाड़िय़ों का विरोध प्रदर्शन थोड़ा हटकर था. यहां पर महिला खिलाड़ियों ने अपने ही फेडरेशन के अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाए थे. आइए इन तीनों ही मामलों पर एक नजर डालते हैं.
कुश्ती खिलाड़ियों का प्रदर्शन - साल 2023 की शुरुआत बड़े आंदोलन से हुई थी. विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और अंशु मलिक जैसी महिला खिलाड़ियों ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह के खिलाफ जंतर मंतर पर धरना देना शुरू कर दिया था. इन खिलाड़ियों ने सांसद पर यौन प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए थे. पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं किए जाने के खिलाफ इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था. बाद में कोर्ट की इजाजत के बाद सांसद के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
जिस समय इन खिलाड़ियों ने विरोध प्रदर्शन किया था, उस समय बृजभूषण सिंह फेडरेशन के अध्यक्ष थे. कुछ महिला खिलाड़ियों ने आरोप लगाए कि सांसद ने उन्हें अनुचित तरीके से छुआ था और बिना उनकी सहमति से गले भी लगाया था. उन पर धमकी देने और कुश्ती प्रतियोगिता से नाम हटा देने के भी आरोप लगाए थे. जनवरी महीने में विरोध प्रदर्शन के बाद खिलाड़ियों ने अप्रैल में दोबारा से धरना प्रदर्शन दिया था. उनका कहना था कि जनवरी महीने में सरकार ने कार्रवाई की बात कही थी, लेकिन अप्रैल महीने तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसके बाद वे फिर से जंतर-मंतर पर पहुंच गए. बाद में कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज हुआ और आरोपी के खिलाफ पोक्सो एक्ट भी लगाया गया.
महिला कुश्ती खिलाड़ियों की ओर नए संसद भवन के उद्घाटन के दिन पर महिला महापंचायत लगाने की बात कही गई थी. हालांकि, सात जून को महिला खिलाड़ियों ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात की और उन्होंने अपने प्रदर्शन को निलंबित रखने का फैसला किया.
कावेरी जल पर विवाद - कावेरी जल बंटवारे को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच लंबे समय से विवाद चला आ रहा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जब कर्नाटक सरकार ने तमिलनाडु के लिए पानी छोड़ने का फैसला किया, तो कर्नाटक के किसानों ने विरोध शुरू कर दिया. पूरे राज्य में कई जगहों से हिंसा की भी खबरें आईँ. बेंगलुरु शहर बुरी तरह से प्रभावित हो गया. दुकानें बंद रखी गईं. बड़े-बडे़ शॉपिंग मॉल बंद कर दिए गए. स्कूल और कॉलेज बंद करना पड़ा. बड़ी-बड़ी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने को कहा. इसी तरह से तमिलनाडु के त्रिची में भी कर्नाटक के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा. किसानों ने अपने मुंह में मरे हुए चूहे को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. थंजावुर, थिरुवरुर और नागापट्टिनम क्षेत्र के किसानों ने तिरुवरूर रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों की आवाजाही रोक दी थी.
मराठा आरक्षण पर विरोध - पूरे मराठा समुदाय के लिए कुनबी प्रमाण पत्र की मांग को लेकर मराठा विरोध प्रदर्शन की शुरुआत हुई. इस आंदोलन के नेता मनो जरगने पाटिल थे. उनकी मांग थी कि सभी मराठा को ओबीसी माना जाए. और उन्हें आरक्षण दिया जाए. एक सितंबर को पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज कर दिया. इसका एक वीडियो तुरंत ही वायरल हो गया और उसके बाद इस आंदोलन की तीव्रता और अधिक बढ़ गई. 20 से अधिक सरकारी बसों को नुकसान पहुंचाया गया. बाद में सरकार ने उनकी मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया, तब जाकर आंदोलन स्थगित किया गया. हालांकि, मराठियों का एक समूह ऐसा भी है, जो आरक्षण तो चाहता है, लेकिन वे किसी भी तरीके से ओबीसी समुदाय में शामिल होना नहीं चाहते हैं.
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