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वायुसेना कर्मियों की हत्या मामला, मलिक ने अदालत की कानूनी सहायता की पेशकश ठुकरायी

जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक ने कानूनी सहायता की पेशकश ठुकरा दी है. टेरर फंडिंग में उम्रकैद की सजा काट रहा मलिक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जम्मू की विशेष अदालत में पेश हुआ.

Yasin Malik
यासीन मलिक
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Published : Aug 22, 2022, 5:50 PM IST

जम्मू : जम्मू की एक विशेष अदालत ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) प्रमुख यासीन मलिक (Yasin Malik) को सोमवार को कानूनी सहायता की पेशकश की, लेकिन उसने इसे ठुकरा दिया और 1990 में भारतीय वायुसेना (IAF) के चार कर्मियों की हत्या मामले की सुनवाई के दौरान अपनी भौतिक पेशी पर फिर जोर दिया. सीबीआई की स्थायी वकील मोनिका कोहली ने कहा कि मलिक दिल्ली की तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई में पेश हुआ, जहां वह फिलहाल बंद है. 56 वर्षीय मलिक आतंकवाद वित्तपोषण मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है.

कोहली ने कहा कि जेकेएलएफ प्रमुख मलिक द्वारा कानूनी सहायता की पेशकश ठुकरा दिए जाने के बाद अदालत ने उससे कहा कि वह सितंबर के तीसरे सप्ताह में अगली सुनवाई पर अपना पक्ष लिखित में रखे. अदालत ने भौतिक पेशी की उसकी अर्जी खारिज करते हुए कहा कि सभी मामलों में आरोपी को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए पेश करने के लिए उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देश हैं. सीबीआई वकील ने कहा कि हालांकि, अदालत ने उसे कानूनी सहायता की पेशकश की, लेकिन उसने मना कर दिया.

रूबैया सईद अपहरण मामले की सुनवाई कर रही जम्मू की एक अदालत में उसे भौतिक रूप से पेश होने की अनुमति देने के अनुरोध वाली उसकी अर्जी पर केंद्र द्वारा जवाब नहीं देने के बाद मलिक ने 22 जुलाई से 10 दिनों की भूख हड़ताल की. इस मामले में मलिक एक आरोपी है. मलिक के खिलाफ दो प्रमुख मामलों में कोहली मुख्य अभियोजक हैं. इनमें 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का अपहरण और वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या का मामला शामिल है. वायुसेना कर्मियों की हत्या कश्मीर घाटी में आतंकवाद की शुरुआत के दौरान हुई थी.

कोहली 2015 से जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. भारतीय वायुसेना के जवानों की हत्या के मामले में मलिक, अली मोहम्मद मीर, मंजूर अहमद सोफी उर्फ ​​मुस्तफा, जावेद अहमद मीर उर्फ ​​'नलका', शौकत अहमद बख्शी, जावेद अहमद जरगर और नानाजी के खिलाफ मार्च 2020 में आरोप तय किए गए थे. इन सभी पर हत्या, हत्या के प्रयास और आतंकवादी एवं विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया गया है जो अब अस्तित्व में नहीं है.

आरोप श्रीनगर के बाहरी इलाके में 25 जनवरी, 1990 को भारतीय वायुसेना के अधिकारियों की हत्या से संबंधित मामले के संबंध में तय किये गए थे. सीबीआई ने उसी साल अगस्त में आरोपपत्र दाखिल किया था. सीबीआई के अनुसार, वायुसेना के जवानों पर आतंकवादियों ने गोलियां चलाईं, जिसमें एक महिला सहित उनमें से 40 गंभीर रूप से घायल हो गए और वायुसेना के चार जवानों की मौके पर ही मृत्यु हो गई.

हाल ही में, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने मुख्य गवाह रुबैया सईद को बयान दर्ज करने के लिए सम्मन जारी किया था, जिसका दिसंबर 1989 में अपहरण कर लिया गया था. 33 साल में पहली बार वह अदालत में पेश हुई. मुकदमे के दौरान, रुबैया सईद ने मलिक की पहचान अपहरणकर्ताओं में से एक के रूप में की. मलिक ने हाल ही में अनुरोध किया था कि मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करने के लिए उसे जम्मू की अदालत के समक्ष भौतिक रूप से पेश होने की अनुमति दी जाए.

ये भी पढ़ें - रुबिया सईद अपहरण मामला: यासीन मलिक ने गवाहों से खुद जिरह करने की अनुमति मांगी

जम्मू : जम्मू की एक विशेष अदालत ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) प्रमुख यासीन मलिक (Yasin Malik) को सोमवार को कानूनी सहायता की पेशकश की, लेकिन उसने इसे ठुकरा दिया और 1990 में भारतीय वायुसेना (IAF) के चार कर्मियों की हत्या मामले की सुनवाई के दौरान अपनी भौतिक पेशी पर फिर जोर दिया. सीबीआई की स्थायी वकील मोनिका कोहली ने कहा कि मलिक दिल्ली की तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई में पेश हुआ, जहां वह फिलहाल बंद है. 56 वर्षीय मलिक आतंकवाद वित्तपोषण मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है.

कोहली ने कहा कि जेकेएलएफ प्रमुख मलिक द्वारा कानूनी सहायता की पेशकश ठुकरा दिए जाने के बाद अदालत ने उससे कहा कि वह सितंबर के तीसरे सप्ताह में अगली सुनवाई पर अपना पक्ष लिखित में रखे. अदालत ने भौतिक पेशी की उसकी अर्जी खारिज करते हुए कहा कि सभी मामलों में आरोपी को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए पेश करने के लिए उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देश हैं. सीबीआई वकील ने कहा कि हालांकि, अदालत ने उसे कानूनी सहायता की पेशकश की, लेकिन उसने मना कर दिया.

रूबैया सईद अपहरण मामले की सुनवाई कर रही जम्मू की एक अदालत में उसे भौतिक रूप से पेश होने की अनुमति देने के अनुरोध वाली उसकी अर्जी पर केंद्र द्वारा जवाब नहीं देने के बाद मलिक ने 22 जुलाई से 10 दिनों की भूख हड़ताल की. इस मामले में मलिक एक आरोपी है. मलिक के खिलाफ दो प्रमुख मामलों में कोहली मुख्य अभियोजक हैं. इनमें 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का अपहरण और वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या का मामला शामिल है. वायुसेना कर्मियों की हत्या कश्मीर घाटी में आतंकवाद की शुरुआत के दौरान हुई थी.

कोहली 2015 से जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. भारतीय वायुसेना के जवानों की हत्या के मामले में मलिक, अली मोहम्मद मीर, मंजूर अहमद सोफी उर्फ ​​मुस्तफा, जावेद अहमद मीर उर्फ ​​'नलका', शौकत अहमद बख्शी, जावेद अहमद जरगर और नानाजी के खिलाफ मार्च 2020 में आरोप तय किए गए थे. इन सभी पर हत्या, हत्या के प्रयास और आतंकवादी एवं विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया गया है जो अब अस्तित्व में नहीं है.

आरोप श्रीनगर के बाहरी इलाके में 25 जनवरी, 1990 को भारतीय वायुसेना के अधिकारियों की हत्या से संबंधित मामले के संबंध में तय किये गए थे. सीबीआई ने उसी साल अगस्त में आरोपपत्र दाखिल किया था. सीबीआई के अनुसार, वायुसेना के जवानों पर आतंकवादियों ने गोलियां चलाईं, जिसमें एक महिला सहित उनमें से 40 गंभीर रूप से घायल हो गए और वायुसेना के चार जवानों की मौके पर ही मृत्यु हो गई.

हाल ही में, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने मुख्य गवाह रुबैया सईद को बयान दर्ज करने के लिए सम्मन जारी किया था, जिसका दिसंबर 1989 में अपहरण कर लिया गया था. 33 साल में पहली बार वह अदालत में पेश हुई. मुकदमे के दौरान, रुबैया सईद ने मलिक की पहचान अपहरणकर्ताओं में से एक के रूप में की. मलिक ने हाल ही में अनुरोध किया था कि मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करने के लिए उसे जम्मू की अदालत के समक्ष भौतिक रूप से पेश होने की अनुमति दी जाए.

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