नई दिल्ली: महिला खिलाड़ियों के साथ यौन शोषण के मामले पर भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा ने नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि खिलाड़ी उनके पास नहीं आए, बल्कि वह धरने पर बैठ गए. पीटी उषा ने कहा कि थोड़ा तो अनुशासन होना चाहिए. हमारे पास आने के बजाय वे सीधे सड़कों पर उतर गए, यह खेल के लिए अच्छा नहीं है.
अपनी मांग को लेकर भारतीय पहलवानों के धरना-प्रदर्शन का गुरुवार को 5वां दिन है. 4 रात खुले आसमान के नीचे गुजर चुके हैं. वहीं, पहलवानों के प्रदर्शन को लेकर पीटी उषा ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी, जिसके बाद भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट ने उन्हें जवाब देते हुए कहा कि अगर हम सड़क पर बैठे हैं तो हमारी कुछ मजबूरी है.
पीटी उषा को जवाबः फोगाट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हम भारत के स्वतंत्र नागरिक हैं. हम कहीं भी आ और जा सकते हैं, लेकिन अगर हम सड़क पर बैठे हैं तो हमारी भी कुछ मजबूरी रही होगी. जिसकी वजह से हम आज सड़क पर बैठे हैं. चाहे IOA हो, खेल मंत्रालय हो, कुश्ती महासंघ हो किसी ने हमारी नहीं सुनी, जिसके बाद हमें मजबूरन जंतर मंतर की सड़क पर बैठना पड़ा है.
हम देश के लिए इतने मेडल लेकर आ रहे हैं, हमारी कोई नहीं सुन रहा है. पीटी ऊषा और मिल्खा सिंह को हम अपना आईकॉन मानते हैं, लेकिन आज जिस तरीके से पीटी उषा ने ऐसा बयान दिया है उन्हें ऐसा बयान नहीं देना चाहिए. फोगाट ने कहा कि हमने उनको फोन भी किया, लेकिन उन्होंने हमारे फोन का कोई जवाब नहीं दिया. 3 महीने से हम चक्कर काट रहे हैं. अगर उनके साथ ऐसा हुआ होता तो क्या वह इतना प्रेशर झेल पाती. हमें नहीं पता कि उनके ऊपर क्या प्रेशर है. आखिर किसकी डर की वजह से वह ऐसा बयान दे रही हैं. उनकी भी कोई मजबूरी हो सकती है.
इसे भी पढ़ें: दिल्ली सरकार ने नए इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ मुख्यालय के निर्माण को दी मंजूरी, 114 पेड़ हटेंगे
अपना दिन याद करें पीटी उषाः फोगाट ने कहा कि वह खुद आईओए में प्रेसिडेंट है. जब वह खुद मीडिया के सामने आकर न्याय की गुहार लगा रही थी, रो रही थी. तब उनके साथ न्याय नहीं हुआ, तो हम क्या चीज है? क्यों नहीं उन्होंने स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री को इनफॉर्म किया? क्यों नहीं उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात की जब वह मीडिया के सामने रोती हुई देखी थी. हमने भी उनसे खुद पर्सनली फोन करके उनकी समस्याओं को पूछा था, लेकिन उनके अंदर एक भी बार ख्याल नहीं आया कि आज पहलवान धरना प्रदर्शन पर मजबूर हैं तो उनसे फोन कर उनका हालचाल पूछा जाए. देश का बहुत ही बड़ा दुर्भाग्य है, हमारा भविष्य अंधकार में चल रहा है. हमारी कोई सुनने वाला नहीं है.
इसे भी पढ़ें: Drug Free Delhi: दिल्ली को नशा मुक्त बनाने के एलजी ने अफसरों को दिए निर्देश