हैदराबाद: पृथ्वी पर घटते वन क्षेत्र और बढ़ते प्रदूषण संपूर्ण जीव-जन्तु के लिए खतरनाक हैं. सबसे बड़ा खतरा ओजोन परत में प्रदूषण के कारण लगातार जारी क्षय है. वैज्ञानिकों के अनुसार इसके पीछे मुख्य कारण पर्यावरण में हानिकारक रसायनों का उत्सर्जन माना जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र संघ के वेबसाइट के अनुसार हेलो कार्बन नामक रसायन की मात्रा से ओजोन परत को ज्यादा मात्रा में नुकसान हो रहा है. हेलोकार्बन में एक या इससे अधिक परमाणु कई हैलोजन परमाणुओं से आपस में जुड़े होते हैं. हैलोजन परमाणु में क्लोरीन, फ्लोरीन, आयोडीन या ब्रोमीन मौजूद होता है. ब्रोमीन युक्त हेलो कार्बन के अनुपात में क्लोरीन युक्त हेलोयुक्त कार्बन में काफी ज्यादा मात्रा में ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने की क्षमता (Ozone Depleting Potential) होती है. अलग-अलग कामों के लिए इंसानों के द्वारा तैयार रसायनों से ओजोन लेयर को काफी नुकसान पहुंचता है.
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Thanks to global cooperation, the ozone layer is on track to recover by the 2060s.
— António Guterres (@antonioguterres) September 16, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
We must now channel the same energy to avert the worst impacts of the climate crisis and build a sustainable & resilient world for all. #OzoneDay pic.twitter.com/CGhGuvvQz4
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In 1995 Paul Crutzen, Mario Molina and Sherwood Rowland were awarded the #NobelPrize in Chemistry for helping us understand why the ozone layer was disappearing.#OTD in 1987, nations signed the Montreal Protocol to help us protect it.
— The Nobel Prize (@NobelPrize) September 16, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
GIF: @NASA/NASA Ozone Watch/Katy Mersmann pic.twitter.com/OpjW9ifTdL
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16 सितंबर 1987 को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हुआ था हस्ताक्षर
संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 16 सितंबर 1994 को ओजोन परत संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किया. 16 सितंबर 1987 को ओजनो लेयर को नष्ट करने वाले पदार्थों (Ozone Layer commemorating) के संबंध में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (Montreal Protocol On Substances) पर हस्ताक्षर किया गया था, इसी कारण इसी तिथि को ओजोन परत संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने का फैसला लिया गया.
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Once meant to replace ozone-depleting agents, hydrofluorocarbons (HFCs) are potent greenhouse gases.
— UN Environment Programme (@UNEP) September 15, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Phasing down HFCs via the Kigali Amendment could prevent up to 0.5°C of global temperature rise by the end of this century.@UNEPOzone has more: https://t.co/x927ju0FV3 pic.twitter.com/85kuyi73GA
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वियना कन्वेंशन मील का पत्थर
ओजोन लेयर नुकसान की वैज्ञानिक पुष्टि के बाद दुनिया के कई देशों ने साथ मिलकर इस दिशा में कदम उठाने का फैसला लिया. ओजोन परत को संरक्षण से बचाने के लिए वियना कन्वेंशन के दौरान एक तंत्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया. 1985 में 22 मार्च को 28 देशों ने वियना कन्वेंशन को अपनाया और हस्ताक्षरित किया. लेकिन इसमें दुनिया के बाकी देशों की सहभागिता जरूर है.
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Forests provide clean air, fresh water, carbon storage, and house a majority of Earth's biodiversity.
— UN Environment Programme (@UNEP) September 15, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
🌲 This is how you can help restore them. #GenerationRestoration pic.twitter.com/NRoq12d2lP
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क्यों महत्वपूर्ण है ओजोन परत
ओजोन (तीन ऑक्सीजन परमाणुओं का एक अणु) है. यह ऊपरी वायुमंडल में पाया जाने वाला एक क्षेत्र है, जिसे समताप मंडल (Stratosphere) कहा जाता है. ओजोन की दूरी पृथ्वी की सतह से 10 से 50 किमी की दूरी पर है. एक परत के रूप में बात की जाये तो वायुमंडल में ओजोन परत का धीरे-धीरे क्षय हो रहा है. बता दें कि ओजोन अणु पृथ्वी पर जीवन के लिए एक बड़े खतरे को खत्म करता है. यूवी किरणें त्वचा कैंसर और अन्य का कारण बन सकती हैं.
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@moefcc Ms Leena Nandan, Secretary, MOEFCC appreciated the efforts of @NMNHIndia on the occasion of World Ozone Day 2023 Celebration #ProPlanetPeople #MissonLiFE pic.twitter.com/r5wY9qCHsi
— National Museum of Natural History (@NMNHIndia) September 19, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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पृथ्वी पर सूर्य के प्रकाश के बिना जीवन संभव नहीं है. वहीं ओजोन लेयर नहीं रहने पर सूर्य से निकलने वाली किरणें पृथ्वी पर जीवन के लिए नुकसानदेह हो जायेगा. यह समतापमंडलीय परत पृथ्वी ( Stratospheric Layer Shields ) को सूर्य की अधिकांश हानिकारक पराबैंगनी विकिरणों (suns Harmful Ultraviolet Radiation) से बचाती है और जीवन को संभव बनाती है.
यूवी किरणों के हानिकारक प्रभाव:
- यूवी किरणों के कारण त्वचा कैंसर हो सकता है.
- यूवी किरणें त्वचा में जलन का कारण बन सकती हैं.
- यूवी विकिरणों के अधिक संपर्क में आने से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है.
- यूवी किरणों के कारण आंखों को नुकसान पहुंचता है और 'जलन' संभव है.
- यूवी किरणों के कारण 'स्नो ब्लाइंडनेस' (Snow Blindness) हो सकता है.
- यूवी किरणें त्वचा की उम्र बढ़ने की गति भी बढ़ा देती हैं.
यदि आप ओजोन परत को नुकसान से बचाने की दिशा में कदम उठाना जरूरी है. इस दिशा में दुनिया के सभी देशों की सरकारों के साथ-साथ आम लोगों को सामूहिक जिम्मेदारी लेनी होगी. इसके लिए इन कदमों पर फोकस करना जरूरी है.
- सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम किय जा सके. पब्लिक ट्रांसपोर्ट और कारपूलिंग बेहतर विकल्प है. साइकिल जैसे प्रदूषण रहित विकल्पों का उपयोग को बढ़ावा दिया जाय.
- सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम को बेहतर बनाया जाय. प्लास्टिक या पॉलिथीन के उत्पादन और प्रयोग को प्रतिबंधित किया जाय. रिसाइकिल होने वाले प्रोडक्ट्स को बढ़ावा दिया जाय. कचरा जलाने पर प्रतिबंध के साथ-साथ जागरूकता पर बल दिया जाय.
- पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले उत्पादों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाये जायें. इको प्रेंडली उत्पादों को बढ़ावा देने लिए हर स्तर पर कदम उठाये जायें. जैसे प्लास्टिक की जगह पर जूट के बैग को बढ़ावा दिया जाय. पेड़-पौधों के बर्बाद होने अव्यवों से ग्रीन उत्पाद तैयार किये जायें.
- कीटनाशकों में उपयोग होने वाले रसायन से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. फल-सब्जियों में कीटनाशक के उपयोग कीटनाशक के उपयोग के कारण मनुष्य और जानवरों पर भी खराब प्रभाव पड़ता है. कीटों के प्रबंधन के लिए इको-फ्रेंडली मॉडल पर विचार किया जाय.
- सीएफसी उत्सर्जित करने वाले उत्पादों के विकल्प पर और अधिक फोकस किया जाय, ताकि पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो.
- मौसम और रौशनी फ्रेंडली भवनों को प्राथमिकता के आधार पर बढ़ावा दिया जाय, ताकि उर्जा की बचत हो. इससे बिजली की खपत कम होने के साथ पर्यवारण को नुकसान पहुंचाने वाले उपकरण जैसे एसी आदि पर निर्भरता कम किया जा सके.