जबलपुर: गर्मी का मौसम अपने साथ मिठास भी लेकर आता है और इस मौसम में सबसे ज्यादा मीठा अगर कुछ है तो वह आम. भारत में आम को फलों का राजा भी कहते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि आम सिर्फ भारत में ही नहीं होता बल्कि विदेशी भी आम के दीवाने हैं. अंतर बस इतना है कि देश में पैदा होने वाली आम की किस्म और विदेश में मिलने वाली आम की किस्म अलग होती हैं.(Black Mango being grown in Jabalpur)
जबलपुर में उगाए जा रहे विदेशी वैरायटी के आम: देश के कई राज्यों में आम की पैदावार की जाती है लेकिन, मध्यप्रदेश में जबलपुर मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर नानाखेड़ा हिनोता में आम की नई-नई किस्में पैदा की जा रही हैं. आम की नई प्रजातियां पैदा करने के लिए मशहूर संकल्प सिंह परिहार द्वारा श्री महाकालेश्वर हाइब्रिड फार्महाउस में इन किस्मों को तैयार किया जा रहा है, जिसमें 3 हजार 600 पौधे लगाए गए हैं. खास बात है कि यहां भारत में पाई जाने वाली आम की करीब 20 तरह की वैरायटी के अलावा विदेशों में पाई जाने वाली करीब 8 किस्मों की पौध तैयार की जा रही है.
इस वैरायटी के आम हैं खास: संकल्प सिंह परिहार के इस बागान में कई विदेशी किस्म के आम लगे हुए हैं, जिसमें खास हैं- जंबो ग्रीन आम जिसे तलाला-गिर केसर आम भी कहा जाता है, नेपाल का केशर बादाम आम, चीन का आइवरी हाथी दांत आम, अमेरिका के फ्लोरिडा में पैदा होने वाला मेंगीफेरा 'टॉमी' एटकिंस जिसे ब्लैक मेंगो भी कहा जाता है. इसके अलावा जापानीज बैगन, मियाजाकी, जापानी का टाइयो नो टमैंगो जिसे EGG ऑफ SUN यानी सूर्य का अंडा भी कहा जाता है, यह काफी महंगा भी होता है. इनके साथ ही आठ इंटरनेशनल आम की वैरायटी के साथ 20 इंडियन आम की वैरायटी इस बागान में उपलब्ध हैं.
लखटकिया 'मियाजाकी आम': संकल्प सिंह कहते हैं कि जापान का मियाजाकी आम दुनिया का सबसे महंगा आम है, यह जापान के मियाजाकी प्रांत में ही उगाया जाता है उसी के नाम पर इसका भी नाम 'मियाजाकी' है. लाखों में कीमत होने के कारण जापान में तो इसकी बोली लगाई जाती है, इसी के साथ भारतीय रुपयों में इसकी कीमत 2 लाख 70 हजार रुपये है. अब देश में भी इसे कई जगहों पर लोग इसे उगा भी रहे हैं.
ब्लैक मेंगो खाया क्या?: संकल्प सिंह ने इस साल अपने बागान में आमों की एक नई किस्म की खेती की है. अमेरिका के फ्लोरिडा में पैदा होने वाला मैंगिफेरा 'टॉमी एटकिंस' जिसे ब्लेक मेंगो के नाम से भी जाना जाता है. ब्लेक मेंगो में कई विशेष गुण होते हैं, जिनमें से एक यह है कि इसका सेवन करने से ब्लड शुगर नहीं बढ़ता है. यह मधुमेह के रोगियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जिन्हें आमतौर पर फलों का सेवन करने से बचना पड़ता है वह यह स्वादिष्ट आम खा सकते हैं. यह किस्म, जिसे काला आम भी कहा जाता है गहरे बैंगनी रंग का होती है और इसका पल्प (गूदा) लाल रंग का होता है. इस आम में चीनी भी बहुत कम होती है और स्वाद में अधिक अम्लीय होता है जो, इसे मधुमेह के रोगियों के लिए उपभोग के लिए एक आदर्श किस्म बनाता है.
एक आम ऐसा भी जिसका वजन 4 किलो: संकल्प सिंह बताते हैं कि उनके बागान में चीन में पाया जाने वाला 'आइवरी' भी उपलब्ध है, जिसे हाथी दांत और 2KG आम भी कहा जाता है. इस आम का औसत वजन 2 से 3 किलो तक का होता है, कई बार 4 किलो तक के भी आम मार्केट में देखे जा चुके हैं. ये आम एक फिट से डेढ़ फीट तक लंबे होते हैं, जिसकी जनवरी महीने में ही बौर आने शुरू हो जाती है और जून के आखिर तक फल पककर तैयार होते हैं. आइवरी की गुठली का वजन भी सौ से दो सौ ग्राम तक का होता है. यह बाकी आमों के मुकाबले बड़ा होता है और देखने में अलग नजर आता है, इसलिए कई लोग इस आम के लिए बड़ी कीमत अदा करने को भी तैयार रहते हैं.
आमों की वीआईपी सुरक्षा:संकल्प सिंह के बागान में आम की सुरक्षा में डॉग की 12 विदेशी नस्ल और 3 देशी डॉग लगे हैं, इसके अलावा 4 मजदूर भी है जो कि 24 घंटे आमों की सुरक्षा में तैनात रहते हैं. इतना ही नहीं बागान की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं, जिनके जरिए भी निगरानी की जाती है.
सेल्फी लीजिए पर छुएं नहीं: संकल्प सिंह परिहार ने बताया कि यह आम के फल उनके लिए बच्चों के समान हैं, यही वजह है कि उन्होंने बागान में आने वाले लोगों से अपील की है कि वह आमों को देखें और उसके साथ सेल्फी भी लें लेकिन इसे छुए नहीं. उनका कहना है कि आम बहुत ही नाजुक होते हैं और जरा सा धक्का लगने से ही टूट जाते हैं. लिहाजा संकल्प सिंह ने लोगों से निवेदन किया है कि इसे टच ना करें.