हैदराबाद : हर साल सड़क हादसे के कारण 13.5 लाख (1.35 मिलियन) लोगों जान गंवा देते हैं. साथ ही हादसों में 5 करोड़ (50 मिलियन ) घायल होते हैं. इनमें से कई लोग आजीवन दिव्यांग हो जाते हैं. सड़क हादसे में घायलों को तुरंत सर्वोत्तम संभव देखभाल व मेडिकल सुविधा पहुंचाने के लिए अपील का दिन है. यह दिन हादसे के शिकार परिवारों के संघर्ष और पीड़ा को दूर करने, सड़कों को सुरक्षित बनाने, हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को याद दिलाता है. सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व स्मरण दिवस (World Day of Remembrance for Road Traffic Victims) आम लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ भविष्य में त्रासदियों से कैसे बचा जा सकता है, इस बारे में संदेश देता है.
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Upgrade Your Winter Driving with #FogLights. Illuminate the road ahead for enhanced visibility and safe journeys.#NHAI #BuildingANation #WinterDrivingTips pic.twitter.com/P90yHqvwx8
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इतिहास : सड़क हादसे के पीड़ितों की जरूरतों को ध्यान में रखकर 1993 में रोड पीस नामक एक गैर सरकारी संगठन की ओर से सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व स्मरण दिवस (World Day of Remembrance for Road Traffic Victims) की शुरुआत की. संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासभा की ओर से 26 अक्टूबर 2005 को सड़क हादसे के पीड़ितों और उनके परिवारों की उचित पहचान के इस दिवस को अपनाया गया.
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It's tip time!
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2023 थीम : सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व स्मरण दिवस का थीम 2022-2023 के लिए न्याय (Justice) रखा गया है. स्लोगन: वहीं स्लोगन याद रखें, सहायता, कार्य (REMEMBER. SUPPORT. ACT). सोशल मीडिया पर #WDoR2023 के साथ शेयर किया जा रहा है.
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भारत में सड़क हादसे एक नजर
- सड़क परिवहन और राज्य मार्ग मंत्रालय की ओर हर साल रोड एक्सीडेंट इन इंडिया जारी किया जाता है.
- रोड एक्सीडेंट इन इंडिया (भारत में सड़क दुर्घटनाएं-2022) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गई हैं
- कैलेंडर इयर 2022 के दौरान भारत में 168491 लोगों की जान गई और 443366 व्यक्ति घायल हुए.
- कैलेंडर इयर 2021 की तुलना में 2022 में हादसों की संख्या में 11.9 फीसदी, मौतों की संख्या में 9.4 फीसदी और घायलों की संख्या में 15.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है.
- भारत में प्रति घंटे 53 हादसे होते हैं. इन हादसों में हर घंटे 19 मौत होती हैं.
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 151997 (32.9 फीसदी) हादसे एक्सप्रेसवे व राष्ट्रीय राजमार्गों पर, 106682 (23.1 फीसदी) हादसे राज्य राजमार्गों पर और 202633 (43.9 फीसदी) हादसे अन्य सड़कों से जुड़ा हुआ होता है.
- सड़क हादसे में 2022 के दौरान सबसे अधिक मौत बाइक चालकों की हुईं. यह आंकड़ा कुल मौतों का 44.5 फीसदी है.
- वहीं इसी साल सड़क हादसे में 19.5 फीसदी पैदल यात्रियों की मौत हुईं.
- तमिलनाडु में 2022 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर सबसे अधिक 64105 हादसे (13.9 फीसदी) हुए. वहीं 54432 हादसे (यानी 11.8 फीसदी) के साथ मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर है.
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सड़क हादसों के कारण
- विचलित होकर वाहन चलाना.
- मानक के रूप में सड़कें न होना.
- वाहनों की स्थिति सही नहीं होना.
- बिना हेलमेट मोटरसाइकिल चलाना.
- अत्यधिक तेज गति से वाहन चलाना.
- बिना सीट-बेल्ट पहने वाहन चलाना.
- यातायात नियमों का पालन नहीं होना.
- सड़कों पर सुरक्षा मानकों का अभाव होना.
- गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन का उपयोग करना.
- शराब व अन्य नशाली पदार्थों का सेवन कर गाड़ी चलाना.
- कोहरा, हिमपात, भारी बारिश, हवा का झोंका सहित मौसम की स्थितियों को अनदेखी कर वाहन चलाना.
सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव
- जीवन की हानि
- शारीरिक चोटें
- आर्थिक बोझ बढ़ना
- भावनात्मक आघात
- आत्मविश्वास की हानि
- जीवन की गुणवत्ता में कमी
- मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
- सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
- परिवारों और रिश्तों पर प्रभाव
- विकलांगता के कारण जीवन में समस्याएं
दिवस का मुख्य उद्देश्य सड़क हादसे के पीड़ितों और उनके परिवारों को एक मंच प्रदान करना है:
- मानवता के आधार पर सड़कों हादसों में मृत और घायलों की मदद करें.
- आपातकालीन स्थितियों में महत्वपूर्ण दायित्वों को स्वीकार करें.
- सड़क हादसे में मृत और घायलों व उनके परिवारों की कानूनी रूप से मदद करें .
- सड़क हादसे के पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए मदद की वकालत करना.
- सड़क हादसे के लिए दोषी लोगों के खिलाफ साक्ष्य-आधारित कार्रवाइयों को बढ़ावा देना.