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रिपोर्ट : शहरों में आसमान छूती इमारतें बदल रहीं लोगों की जीवनशैली - प्रमुख शहरी अर्थशास्त्री सौमिक लॉल

विश्व बैंक (World Bank) के शोधकर्ताओं ने शहरों में आसमान छूती इमारतों (Skyscrapers Buildings) को लेकर एक अध्यन किया है. संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गंगनचुंबी इमारतें बनाने से बेहतर है कि उन्हें लोगों के रहने लायक बनाया जाए.

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Published : Jun 8, 2021, 9:28 PM IST

हैदराबाद : विश्व बैंक (World Bank) के शोधकर्ताओं ने शहरों में आसमान छूती इमारतों (Skyscrapers Buildings) को लेकर एक अध्यन किया है. संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गंगनचुंबी इमारतें बनाने से बेहतर है कि उन्हें लोगों के रहने लायक बनाया जाए.

विश्व बैंक के प्रमुख शहरी अर्थशास्त्री सौमिक लॉल ने थॉमसन रॉयटर फाउंडेशन को बताया ऊंची इमारतें बनाने से ज्यादा, इसके क्षैतिज निर्माण पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है, इसका फायदा यह होगा कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रहने के लिए छत मिल सकेगी.

ये भी पढे़ं : पुणे की केमिकल फैक्ट्री में भीषण आग, 17 की मौत, पीएम ने जताया शोक

रिपोर्ट में बताया गया है कि हालांकि, ऊंची इमारतों से आबादी बढ़ने के साथ लोगों के लाइफस्टाइल में बदलाव आ रहा है, लेकिन आने वाली जनसंख्या को देखते हुए इमारतों का निर्माण क्षैतिज रूप (Horizontal Expansion) से किया जाना चाहिए.

25 सालों में शहरी निर्माण में वृद्धि हुई

रिपोर्ट के मुताबिक, 1990 और 2015 के बीच दुनिया भर में शहरी निर्माण में 30 फीसदी की वृद्धि हुई है और नई इमारतों का क्षेत्रफल लगभग श्रीलंका के पूरे क्षेत्रफल के बराबर हो रहा है. बता दें विश्व बैंक की यह रिपोर्ट 10 हजार शहरों के सैटेलाइट डेटा विश्लेषण पर आधारित है.

अध्ययन के मुताबिक, गरीब देशों में लगभग 90 फीसदी नई इमारतें शहरों के किनारे बनी हैं, जबकि विकसित देशों में शहर के अंदर खाली जगहों पर लगभग 35 फीसदी इमारतों का निर्माण किया गया है.

सौमिक लॉल के मुताबिक, 2050 तक दुनिया की लगभग 70 फीसदी (वर्तमान में 55 फीसदी है) आबादी के शहरी क्षेत्रों में रहने की उम्मीद है. ऐसे में शहरों के अनियंत्रित फैलाव और भीड़भाड़ से बचाव के लिए विकास समायोजित योजना बनाने की आवश्यकता है.

शहरों का विकास

निम्न आय वाले शहरों में इमारते ऊंची न होकर क्षैतिज रूप से फैली हुई हैं. ऐसे में लोग क्वार्टर और सस्ती जगहों पर अपना घर बसा रहे हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आय बढ़ने पर निम्न आय वाले शहरों की इमारतें आसमान छूने लगती हैं.

शहरों के विकास के लिए उठाए जाने वाले उपाय

शोधकर्ताओं का कहना है कि शहरों की तरक्की के लिए नियोजन नियम नाकाफी है, क्योंकि अगर लोग शहरों की ऊंची इमारतों में रहने का खर्च वहन नहीं कर सकेंगे तो इनके खाली पड़े रहने का जोखिम बना रहता है.

ये भी पढे़ं : कोलकाता जा रही फ्लाइट में टर्बुलेंस से आठ यात्री घायल, तीन की हालत गंभीर

इसलिए, विकासशील शहरों में बाहरी इलाकों में रहने योग्य परिस्थितियों को सुनिश्चित करने और भविष्य के विकास की नींव रखने के लिए इमारतों का निर्माण क्षैतिज विस्तार, परिवहन लिंक और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है.

हैदराबाद : विश्व बैंक (World Bank) के शोधकर्ताओं ने शहरों में आसमान छूती इमारतों (Skyscrapers Buildings) को लेकर एक अध्यन किया है. संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गंगनचुंबी इमारतें बनाने से बेहतर है कि उन्हें लोगों के रहने लायक बनाया जाए.

विश्व बैंक के प्रमुख शहरी अर्थशास्त्री सौमिक लॉल ने थॉमसन रॉयटर फाउंडेशन को बताया ऊंची इमारतें बनाने से ज्यादा, इसके क्षैतिज निर्माण पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है, इसका फायदा यह होगा कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रहने के लिए छत मिल सकेगी.

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रिपोर्ट में बताया गया है कि हालांकि, ऊंची इमारतों से आबादी बढ़ने के साथ लोगों के लाइफस्टाइल में बदलाव आ रहा है, लेकिन आने वाली जनसंख्या को देखते हुए इमारतों का निर्माण क्षैतिज रूप (Horizontal Expansion) से किया जाना चाहिए.

25 सालों में शहरी निर्माण में वृद्धि हुई

रिपोर्ट के मुताबिक, 1990 और 2015 के बीच दुनिया भर में शहरी निर्माण में 30 फीसदी की वृद्धि हुई है और नई इमारतों का क्षेत्रफल लगभग श्रीलंका के पूरे क्षेत्रफल के बराबर हो रहा है. बता दें विश्व बैंक की यह रिपोर्ट 10 हजार शहरों के सैटेलाइट डेटा विश्लेषण पर आधारित है.

अध्ययन के मुताबिक, गरीब देशों में लगभग 90 फीसदी नई इमारतें शहरों के किनारे बनी हैं, जबकि विकसित देशों में शहर के अंदर खाली जगहों पर लगभग 35 फीसदी इमारतों का निर्माण किया गया है.

सौमिक लॉल के मुताबिक, 2050 तक दुनिया की लगभग 70 फीसदी (वर्तमान में 55 फीसदी है) आबादी के शहरी क्षेत्रों में रहने की उम्मीद है. ऐसे में शहरों के अनियंत्रित फैलाव और भीड़भाड़ से बचाव के लिए विकास समायोजित योजना बनाने की आवश्यकता है.

शहरों का विकास

निम्न आय वाले शहरों में इमारते ऊंची न होकर क्षैतिज रूप से फैली हुई हैं. ऐसे में लोग क्वार्टर और सस्ती जगहों पर अपना घर बसा रहे हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आय बढ़ने पर निम्न आय वाले शहरों की इमारतें आसमान छूने लगती हैं.

शहरों के विकास के लिए उठाए जाने वाले उपाय

शोधकर्ताओं का कहना है कि शहरों की तरक्की के लिए नियोजन नियम नाकाफी है, क्योंकि अगर लोग शहरों की ऊंची इमारतों में रहने का खर्च वहन नहीं कर सकेंगे तो इनके खाली पड़े रहने का जोखिम बना रहता है.

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इसलिए, विकासशील शहरों में बाहरी इलाकों में रहने योग्य परिस्थितियों को सुनिश्चित करने और भविष्य के विकास की नींव रखने के लिए इमारतों का निर्माण क्षैतिज विस्तार, परिवहन लिंक और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है.

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