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Joshimath Crisis: जोशीमठ में स्थिर हुई दरारें लेकिन बढ़ते वाटर डिस्चार्ज ने बढ़ाई चिंता, बारिश-बर्फबारी की चेतावनी - Ranjit Sinha gave update on Joshimath

जोशीमठ में भू-धंसाव के कारण असुरक्षित घोषित किए गये भवनों को तोड़ने का काम जारी है. गुरुवार को लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस को JCB की मदद से तोड़ा जा रहा है. रविवार को इस भवन को खाली करवाया गया था. इसी बीच कई अन्य भवनों में भी दरारें बढ़ गई हैं. मुख्यमंत्री धामी पूरी प्रक्रिया को लेकर पल-पल की जानकारी ले रहे हैं. वहीं, आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने जोशीमठ के ताजा हालातों को लेकर पूरी अपडेट भी दी है.

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Published : Jan 19, 2023, 6:04 PM IST

जोशीमठ में स्थिर हुई दरारें लेकिन बढ़ते वाटर डिस्चार्ज ने बढ़ाई चिंता.

चमोली: जोशीमठ भू-धंसाव संकट के बीच सिंहधार क्षेत्र में स्थित होटल मलारी इन और माउंट व्यू को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के साथ-साथ आज पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस को भी तोड़ा जा रहा है. लोक निर्माण विभाग के इस गेस्ट हाउस को रविवार को असुरक्षित घोषित कर खाली करा दिया गया था. इसके बाद यह भवन एक तरफ झुकने लगा था. मंगलवार को शासन ने इसे तोड़ने का आदेश दिया था. सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रुड़की के विज्ञानियों की निगरानी में ये सारा काम हो रहा है. वहीं, आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने जोशीमठ की ताजा स्थिति को लेकर अपडेट भी दी है.

वर्तमान स्थिति पर जानकारी: जोशीमठ में भू-धंसाव की स्थिति को लेकर आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि अब फिलहाल जोशीमठ में दरारों की संख्या और उनके बढ़ने की रफ्तार स्थिर हो गई है, लेकिन जेपी कॉलोनी में हो रहे पानी का रिसाव आज 100 LPM से बढ़कर 150 LPM हो गया है. भू-धंसाव के कारणों को लेकर सभी तकनीकी संस्थानों एवं वैज्ञानिकों की रिपोर्ट आते ही आगे की योजना पर तेजी से कार्य किया जाएगा. जोशीमठ के भू-धंसाव क्षेत्र के अध्ययन की फाइनल रिपोर्ट के बाद ट्रीटमेंट के कार्य तेजी से सुनिश्चित किए जाएंगे.
पढ़ें- Joshimath Disaster: शोध रिपोर्ट लेकर सो जाता है आपदा प्रबंधन विभाग, जागता तो बच जाता जोशीमठ

विस्थापन के लिए स्थानीय लोगों से लिए जाएंगे सुझाव: सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया है कि विस्थापन के लिए वहां के लोगों से मिलकर सुझाव लिए जाएं और जिलाधिकारी चमोली स्थानीय लोगों से सुझाव लेकर शासन को रिपोर्ट जल्द से जल्द भेजें. उन्होंने कहा कि जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्र से जिन लोगों को विस्थापित किया जाएगा, उनके लिए सरकार की ओर से बेहतर व्यवस्थाएं की जाएंगी. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य के जिन शहरों में समुचित ड्रेनेज प्लान एवं सीवर सिस्टम नहीं हैं, उनमें ड्रेनेज एवं सीवर सिस्टम के लिए चरणबद्ध तरीके से कार्ययोजना बनाई जाए और शहरों को श्रेणी वार चिन्हित किया जाए.

सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिंन्हा ने कहा कि राष्ट्रीय जल विज्ञान (एनआईएच) की प्राथमिक जांच रिपोर्ट में जोशीमठ में रिस रहा पानी और एनटीपीसी परियोजना के टनल का पानी अलग-अलग है. अन्य केन्द्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट एवं एनआईएच की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो पायेगी. उन्होंने कहा कि जोशीमठ के भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र के 259 परिवारों के 867 लोगों को राहत शिविरों में ठहराया गया है, उन्हें सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्र में पानी का डिस्चार्ज एवं सिल्ट दोनों काफी तेजी से कम हुआ है.

होटल तोड़े जाने का काम जारी: वहीं, बुधवार को होटल मलारी इन और माउंट व्यू की ऊपरी मंजिल में छत और कॉलम को तोड़ा गया. नीचे फ्लोर पर खिड़की-दरवाजे हटाए गए. इसी बीच होटल स्नो क्रिस्ट और कामेट लाज लगातार झुक रहे हैं और इनकी दरारों भी चौड़ी हो रही हैं. प्रशासन ने इस होटलों पर भी लाल क्रास के निशान लगा दिए हैं लेकिन अभी इन होटलों को हटाने पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है.

वहीं, मारवाड़ी क्षेत्र में स्थित जेपी कॉलोनी में भी 14 असुरक्षित भवनों को चिन्हित किया गया है, इनमें से अभी दो भवनों को डिस्मेंटल किया जा रहा है. ये काम जेपी कंपनी के इंजीनियरों और श्रमिकों ही कर रहे हैं. इसके साथ ही पिछले दो दिनों में अबतक करीब 60 भवन ऐसे हैं जिनमें दरारें बढ़ी हैं, जिसके चलते प्रशासन के सामने चुनौती भी बढ़ती जा रही है.

बता दें कि पालिका क्षेत्र में दर्ज लगभग 4500 भवनों में से 849 भवनों में दरारें बड़ी हो चुकी हैं. इस बीच बुधवार को आठ और परिवारों को राहत शिविरों में ले जाया गया है. अब तक 259 परिवारों को सुरक्षा की दृष्टि से शिफ्ट किया जा चुका है. प्रभावितों के पुनर्वास के लिए 5 स्थल चिन्हित किए गए हैं, जिनका भू-गर्भीय परीक्षण किया जा रहा है. जोशीमठ के कुल 9 वार्डों में से 4 वार्ड पूरी तरह प्रभावित हैं. 8 केंद्रीय तकनीकी संस्थान प्रभावित क्षेत्र में वैज्ञानिक परीक्षण कर रहे हैं. वहीं, एक तरफ जोशीमठ में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा रही है तो वहीं बारिश और बर्फबारी की चेतावनी जिला प्रशासन और सभी टीमों की मुसीबतों में इजाफा कर सकती है.

जोशीमठ में स्थिर हुई दरारें लेकिन बढ़ते वाटर डिस्चार्ज ने बढ़ाई चिंता.

चमोली: जोशीमठ भू-धंसाव संकट के बीच सिंहधार क्षेत्र में स्थित होटल मलारी इन और माउंट व्यू को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के साथ-साथ आज पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस को भी तोड़ा जा रहा है. लोक निर्माण विभाग के इस गेस्ट हाउस को रविवार को असुरक्षित घोषित कर खाली करा दिया गया था. इसके बाद यह भवन एक तरफ झुकने लगा था. मंगलवार को शासन ने इसे तोड़ने का आदेश दिया था. सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रुड़की के विज्ञानियों की निगरानी में ये सारा काम हो रहा है. वहीं, आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने जोशीमठ की ताजा स्थिति को लेकर अपडेट भी दी है.

वर्तमान स्थिति पर जानकारी: जोशीमठ में भू-धंसाव की स्थिति को लेकर आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि अब फिलहाल जोशीमठ में दरारों की संख्या और उनके बढ़ने की रफ्तार स्थिर हो गई है, लेकिन जेपी कॉलोनी में हो रहे पानी का रिसाव आज 100 LPM से बढ़कर 150 LPM हो गया है. भू-धंसाव के कारणों को लेकर सभी तकनीकी संस्थानों एवं वैज्ञानिकों की रिपोर्ट आते ही आगे की योजना पर तेजी से कार्य किया जाएगा. जोशीमठ के भू-धंसाव क्षेत्र के अध्ययन की फाइनल रिपोर्ट के बाद ट्रीटमेंट के कार्य तेजी से सुनिश्चित किए जाएंगे.
पढ़ें- Joshimath Disaster: शोध रिपोर्ट लेकर सो जाता है आपदा प्रबंधन विभाग, जागता तो बच जाता जोशीमठ

विस्थापन के लिए स्थानीय लोगों से लिए जाएंगे सुझाव: सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया है कि विस्थापन के लिए वहां के लोगों से मिलकर सुझाव लिए जाएं और जिलाधिकारी चमोली स्थानीय लोगों से सुझाव लेकर शासन को रिपोर्ट जल्द से जल्द भेजें. उन्होंने कहा कि जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्र से जिन लोगों को विस्थापित किया जाएगा, उनके लिए सरकार की ओर से बेहतर व्यवस्थाएं की जाएंगी. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य के जिन शहरों में समुचित ड्रेनेज प्लान एवं सीवर सिस्टम नहीं हैं, उनमें ड्रेनेज एवं सीवर सिस्टम के लिए चरणबद्ध तरीके से कार्ययोजना बनाई जाए और शहरों को श्रेणी वार चिन्हित किया जाए.

सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिंन्हा ने कहा कि राष्ट्रीय जल विज्ञान (एनआईएच) की प्राथमिक जांच रिपोर्ट में जोशीमठ में रिस रहा पानी और एनटीपीसी परियोजना के टनल का पानी अलग-अलग है. अन्य केन्द्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट एवं एनआईएच की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो पायेगी. उन्होंने कहा कि जोशीमठ के भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र के 259 परिवारों के 867 लोगों को राहत शिविरों में ठहराया गया है, उन्हें सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्र में पानी का डिस्चार्ज एवं सिल्ट दोनों काफी तेजी से कम हुआ है.

होटल तोड़े जाने का काम जारी: वहीं, बुधवार को होटल मलारी इन और माउंट व्यू की ऊपरी मंजिल में छत और कॉलम को तोड़ा गया. नीचे फ्लोर पर खिड़की-दरवाजे हटाए गए. इसी बीच होटल स्नो क्रिस्ट और कामेट लाज लगातार झुक रहे हैं और इनकी दरारों भी चौड़ी हो रही हैं. प्रशासन ने इस होटलों पर भी लाल क्रास के निशान लगा दिए हैं लेकिन अभी इन होटलों को हटाने पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है.

वहीं, मारवाड़ी क्षेत्र में स्थित जेपी कॉलोनी में भी 14 असुरक्षित भवनों को चिन्हित किया गया है, इनमें से अभी दो भवनों को डिस्मेंटल किया जा रहा है. ये काम जेपी कंपनी के इंजीनियरों और श्रमिकों ही कर रहे हैं. इसके साथ ही पिछले दो दिनों में अबतक करीब 60 भवन ऐसे हैं जिनमें दरारें बढ़ी हैं, जिसके चलते प्रशासन के सामने चुनौती भी बढ़ती जा रही है.

बता दें कि पालिका क्षेत्र में दर्ज लगभग 4500 भवनों में से 849 भवनों में दरारें बड़ी हो चुकी हैं. इस बीच बुधवार को आठ और परिवारों को राहत शिविरों में ले जाया गया है. अब तक 259 परिवारों को सुरक्षा की दृष्टि से शिफ्ट किया जा चुका है. प्रभावितों के पुनर्वास के लिए 5 स्थल चिन्हित किए गए हैं, जिनका भू-गर्भीय परीक्षण किया जा रहा है. जोशीमठ के कुल 9 वार्डों में से 4 वार्ड पूरी तरह प्रभावित हैं. 8 केंद्रीय तकनीकी संस्थान प्रभावित क्षेत्र में वैज्ञानिक परीक्षण कर रहे हैं. वहीं, एक तरफ जोशीमठ में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा रही है तो वहीं बारिश और बर्फबारी की चेतावनी जिला प्रशासन और सभी टीमों की मुसीबतों में इजाफा कर सकती है.

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