ETV Bharat / bharat

Women Reservation : राज्यसभा ने 2010 में महिला आरक्षण बिल पास कर दिया था, मगर ... - 2010 महिला आरक्षण बिल पारित हुआ

राज्यसभा ने 2010 में महिला आरक्षण बिल को पास कर दिया था. लेकिन लोकसभा में इसे पारित नहीं करवाया जा सका. उसके बाद महिला आरक्षण को लेकर चर्चा जरूर हुई, लेकिन कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया. अब अचानक ही मोदी सरकार ने इस बिल को लोकसभा में पेश कर दिया. हालांकि, अभी यह देखना बाकी है कि इस बिल का कोई विरोध तो नहीं कर रहा है ? पेश है वरिष्ठ पत्रकार कृष्णानंद त्रिपाठी का विश्लेषण.

women reservation bill
महिला आरक्षण बिल
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 19, 2023, 6:36 PM IST

नई दिल्ली : अब जबकि महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश हो चुका है, और बुधवार को इस पर बहस होनी है, हर व्यक्ति यह जानना चाहता है कि आखिर यहां तक यह बिल कैसे आया. इसकी क्या पृष्ठभूमि रही है. वह काम जो 13 सालों से लंबित है, संभवतः इस बार पारित हो जाए, कम-से-कम ऐसी उम्मीद जरूर की जा रही है. हालांकि, इसकी राह में अब भी कई रोड़े हैं.

सबसे पहला अवरोध संवैधानिक संशोधन का है और उसके बाद अलग-अलग राज्य की विधानसभाओं में एकराय कायम करने का है. इसके बाद ही बिल को अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है. 1992 से ही अलग-अलग सरकारें प्रयासरत रहीं हैं.

  • History has been created

    Shree Ganesh to a New Tryst with Naya Bharat in Amritkaal

    The first item of business in the New Parliament will be to ensure justice, representation & empowerment of WOMEN - Naari Shakti

    WOMEN’s RESERVATION BILL - Nari Shakti Vandan Adhiniyam to be… pic.twitter.com/CAenNo4lpG

    — Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) September 19, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पिछली बार 2010 में महिला आरक्षण बिल राज्यसभा से पारित हो गया था, लेकिन लोकसभा से यह पारित नहीं हो सका. आज भी जब बिल को पेश किया जा रहा था, तो कांग्रेस के सदस्यों ने इसका जिक्र किया और अनुरोध किया कि उसी बिल को फिर से जीवित किया जाए.

30 साल पहले पीएम पीवी नरसिंह राव की सरकार के समय में 73वां और 74वां संविधान संशोधन विधेयक 1992 में पेश किया गया. इसका उद्देश्य महिलाओं को देश के सबसे निचले स्तर पर पंचायती राज संस्थानों में 33 फीसदी आरक्षण प्रदान करना था. इस बिल के पास होने के बाद से महिला आरक्षण को लेकर लगातार सकारात्मक रूख रहा है. 1996, 1998 और 1999 में लगातार अलग-अलग सरकारों द्वारा इस बिल को पास करवाने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी.

  • #WATCH | Union Minister Anurag Thakur says, "...A revolutionary step has been taken today when on the first day of new Parliament when Women's Reservation Bill was brought....Till yesterday, those who brought the bill made no efforts to pass it...Modi ji has brought this bill and… pic.twitter.com/Hls6VeyB4U

    — ANI (@ANI) September 19, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सबसे पहली बार 1996 में 81 वां संविधान संशोधन पेश किया गया. 12 सितंबर 1996 को इस बिल को लोकसभा में पेश किया गया. बिल की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे संयुक्त संसदीय कमेटी के पास भेज दिया गया. कमेटी का नेतृत्व सीपीआई नेता गीता मुखर्जी कर रहीं थीं. वह प.बंगाल के पंसकुरा से सांसद थीं. दिसंबर 1996 में कमेटी ने कई अनुशंसाएं प्रस्तुत कीं. लेकिन लोकसभा के विघटन के साथ ही यह बिल भी ध्वस्त हो गया.

इसके पास 13वीं लोकसभा में 85वें संविधान संशोधन के रूप में पेश किया गया. यह प्रयास भी अधूरा रह गया. उसके बाद यूपीए सरकार ने राज्यसभा में इसे पेश किया. छह मई 2008 को बिल पेश किया गया था. उसके बाद बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा गया. आठ मई 2008 को बिल को स्टैंडिंग कमेटी को सुपुर्द कर दिया गया. इसका नेतृत्व कांग्रेस नेता जयंती नटराजन कर रहीं थीं. मार्च 2010 में इस बिल को पास कर दिया गया. नौ मई 2010 को बिल पास हुआ. क्योंकि राज्यसभा स्थायी सदन है, लिहाजा यह बिल लैप्स नहीं हुआ. इसके पहले जब-जब बिल को लाया गया, 1996, 1998 या फिर 1999 में, तो उसे लोकसभा में लाया गया था, और सदन के भंग होते ही बिल भी लैप्स हो जाता था.

  • #WATCH | On Women's Reservation Bill, former PM and Rajya Sabha MP HD Deve Gowda says, "I want to congratulate the Prime Minister. He took the decision in the cabinet yesterday which was pending since 1996..." pic.twitter.com/rbCh1QxqeC

    — ANI (@ANI) September 19, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वाजपेयी सरकार ने फिर से इस बिल को लोकसभा में पेश किया, लेकिन वह भी इसे पास करवाने में असमर्थ रहे, क्योंकि राजनीतिक एकराय स्थापित नहीं किया जा सका. अब एक बार फिर से पीएम मोदी ने कोशिश की है. बिल पेश भी कर दिया गया है. और सभी राजनीतिक पार्टियां इस बिल को लेकर सकारात्मक हैं. भाजपा ने अपने मैनिफेस्टो में बार-बार जगह दिया है. उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बार इस बिल के रास्ते में कोई अवरोध न आए, और ऐतिहासिक बिल पारित हो जाए. आज पीएम मोदी ने भी सदन को संबोधित करते हुए कहा कि शायद उनकी ही किस्मत में लिखा था कि इस ऐतिहासिक बिल को पारित करवाना है.

ये भी पढ़ें : Women Reservation Bill: पीएम मोदी ने कहा, 'नारीशक्ति वंदन बिल' को पारित कराने के लिए सरकार संकल्पबद्ध

नई दिल्ली : अब जबकि महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश हो चुका है, और बुधवार को इस पर बहस होनी है, हर व्यक्ति यह जानना चाहता है कि आखिर यहां तक यह बिल कैसे आया. इसकी क्या पृष्ठभूमि रही है. वह काम जो 13 सालों से लंबित है, संभवतः इस बार पारित हो जाए, कम-से-कम ऐसी उम्मीद जरूर की जा रही है. हालांकि, इसकी राह में अब भी कई रोड़े हैं.

सबसे पहला अवरोध संवैधानिक संशोधन का है और उसके बाद अलग-अलग राज्य की विधानसभाओं में एकराय कायम करने का है. इसके बाद ही बिल को अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है. 1992 से ही अलग-अलग सरकारें प्रयासरत रहीं हैं.

  • History has been created

    Shree Ganesh to a New Tryst with Naya Bharat in Amritkaal

    The first item of business in the New Parliament will be to ensure justice, representation & empowerment of WOMEN - Naari Shakti

    WOMEN’s RESERVATION BILL - Nari Shakti Vandan Adhiniyam to be… pic.twitter.com/CAenNo4lpG

    — Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) September 19, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पिछली बार 2010 में महिला आरक्षण बिल राज्यसभा से पारित हो गया था, लेकिन लोकसभा से यह पारित नहीं हो सका. आज भी जब बिल को पेश किया जा रहा था, तो कांग्रेस के सदस्यों ने इसका जिक्र किया और अनुरोध किया कि उसी बिल को फिर से जीवित किया जाए.

30 साल पहले पीएम पीवी नरसिंह राव की सरकार के समय में 73वां और 74वां संविधान संशोधन विधेयक 1992 में पेश किया गया. इसका उद्देश्य महिलाओं को देश के सबसे निचले स्तर पर पंचायती राज संस्थानों में 33 फीसदी आरक्षण प्रदान करना था. इस बिल के पास होने के बाद से महिला आरक्षण को लेकर लगातार सकारात्मक रूख रहा है. 1996, 1998 और 1999 में लगातार अलग-अलग सरकारों द्वारा इस बिल को पास करवाने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी.

  • #WATCH | Union Minister Anurag Thakur says, "...A revolutionary step has been taken today when on the first day of new Parliament when Women's Reservation Bill was brought....Till yesterday, those who brought the bill made no efforts to pass it...Modi ji has brought this bill and… pic.twitter.com/Hls6VeyB4U

    — ANI (@ANI) September 19, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सबसे पहली बार 1996 में 81 वां संविधान संशोधन पेश किया गया. 12 सितंबर 1996 को इस बिल को लोकसभा में पेश किया गया. बिल की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे संयुक्त संसदीय कमेटी के पास भेज दिया गया. कमेटी का नेतृत्व सीपीआई नेता गीता मुखर्जी कर रहीं थीं. वह प.बंगाल के पंसकुरा से सांसद थीं. दिसंबर 1996 में कमेटी ने कई अनुशंसाएं प्रस्तुत कीं. लेकिन लोकसभा के विघटन के साथ ही यह बिल भी ध्वस्त हो गया.

इसके पास 13वीं लोकसभा में 85वें संविधान संशोधन के रूप में पेश किया गया. यह प्रयास भी अधूरा रह गया. उसके बाद यूपीए सरकार ने राज्यसभा में इसे पेश किया. छह मई 2008 को बिल पेश किया गया था. उसके बाद बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा गया. आठ मई 2008 को बिल को स्टैंडिंग कमेटी को सुपुर्द कर दिया गया. इसका नेतृत्व कांग्रेस नेता जयंती नटराजन कर रहीं थीं. मार्च 2010 में इस बिल को पास कर दिया गया. नौ मई 2010 को बिल पास हुआ. क्योंकि राज्यसभा स्थायी सदन है, लिहाजा यह बिल लैप्स नहीं हुआ. इसके पहले जब-जब बिल को लाया गया, 1996, 1998 या फिर 1999 में, तो उसे लोकसभा में लाया गया था, और सदन के भंग होते ही बिल भी लैप्स हो जाता था.

  • #WATCH | On Women's Reservation Bill, former PM and Rajya Sabha MP HD Deve Gowda says, "I want to congratulate the Prime Minister. He took the decision in the cabinet yesterday which was pending since 1996..." pic.twitter.com/rbCh1QxqeC

    — ANI (@ANI) September 19, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वाजपेयी सरकार ने फिर से इस बिल को लोकसभा में पेश किया, लेकिन वह भी इसे पास करवाने में असमर्थ रहे, क्योंकि राजनीतिक एकराय स्थापित नहीं किया जा सका. अब एक बार फिर से पीएम मोदी ने कोशिश की है. बिल पेश भी कर दिया गया है. और सभी राजनीतिक पार्टियां इस बिल को लेकर सकारात्मक हैं. भाजपा ने अपने मैनिफेस्टो में बार-बार जगह दिया है. उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बार इस बिल के रास्ते में कोई अवरोध न आए, और ऐतिहासिक बिल पारित हो जाए. आज पीएम मोदी ने भी सदन को संबोधित करते हुए कहा कि शायद उनकी ही किस्मत में लिखा था कि इस ऐतिहासिक बिल को पारित करवाना है.

ये भी पढ़ें : Women Reservation Bill: पीएम मोदी ने कहा, 'नारीशक्ति वंदन बिल' को पारित कराने के लिए सरकार संकल्पबद्ध

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.