पणजी : गोवा विधानसभा चुनाव 2020 में भी महिलाओं की उपेक्षा हुई है. किसी दल ने 33 प्रतिशत तो दूर 5 फीसदी महिला उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिया है. हालांकि सभी दलों के बड़े नेता अमित शाह, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, संजय राउत और आदित्य ठाकरे अपने चुनावी भाषणों के दौरान महिलाओं का भला करने का दावा किया मगर सच यह है कि इन सभी दलों ने मिलकर कुल 2 से 2.5 फीसदी महिलाओं को ही टिकट दिया है.
गोवा में भी महिला वोटरों की तादाद पुरुषों से ज्यादा है. यहां के 11,56,460 वोटरों में 5,93,960 महिलाएं हैं. पुरुष वोटरों की तादाद 5,62,500 है. सीनियर जर्नलिस्ट अनिल लाड के अनुसार, सभी दलों का आखिरी लक्ष्य किसी तरह चुनाव जीतना है, इसलिए पार्टियों ऐसे कैंडिडेट को मैदान में उतारा है, जो चुनाव जीत सकते हैं. भारतीय जनता पार्टी के 40 कैंडिडेट में से सिर्फ 3 महिलाएं हैं. कांग्रेस ने 37 उम्मीदवारों को टिकट दिया है, उनमें सिर्फ दो महिलाएं हैं. अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी 39 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. आप ने भी सिर्फ 3 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा है. ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने गोवा में महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी से चुनावी गठबंधन किया है. तृणमूल कांग्रेस के हिस्से में 26 सीटें आई हैं और उसने सबसे अधिक 4 महिलाओं को टिकट दिया है. उसके गठबंधन सहयोगी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी ने एक भी महिला को टिकट नहीं दिया है.
एनसीपी-शिवसेना गठबंधन भी 22 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. मगर गोवा विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन ने किसी महिला को टिकट नहीं दिया है. एनसीपी 13 और शिवसेना 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. बता दें कि एनसीपी महाराष्ट्र में महिला सशक्तिकरण के दावा करती रही है.
2002 के चुनाव में राजनीतिक दलों ने 11 महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था, उनमें से सिर्फ एक को जीत मिली थी. 2007 में 14 और 2012 में 10 महिला उम्मीदवारो ने गोवा के विधानसभा में पहुंचने के किस्मत आजमाया था, मगर दोनों चुनावों में सिर्फ एक महिला विधायक बन सकी. 2017 में 19 महिलाएं मैदान में उतरीं मगर सिर्फ दो को विधानसभा पहुंचने में कामयाबी मिली. 2022 के चुनाव में राजनीतक दलों ने कुल 12 महिला कैंडिडेट उतारे हैं. इनमें से कितनी विधानसभा पहुंचेगी, इसका पता 10 मार्च को चलेगा.
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