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'नक्सलगढ़' में कुछ इस तरह से तैयार हो रहा 'प्रेम का बंधन', दिल्ली तक है डिमांड - प्रेम का बंधन

राखी का त्योहार नजदीक है. बाजार में कई तरह की राखियां सज गई हैं. लेकिन तमाम राखियों के बीच दंतेवाड़ा की राखी बाजार में खूब लोकप्रिय हो रही है. जो छिंद के पत्ते से बनी है.

छिंद के पत्तों से बन रही राखी.
छिंद के पत्तों से बन रही राखी.
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Published : Aug 10, 2021, 10:41 PM IST

दंतेवाड़ा : राखी का बाजार सज गया है. साथ ही कई तरह की राखियां बाजार में बहनों की पसंद बन रही हैं. नक्सलगढ़ भी राखी निर्माण में अपनी पहचान बना रहा है. यहां बड़े पैमाने पर हर्बल और देसी राखियां तैयार की जा रही हैं. ये राखियां भाई बहन के प्यार के साथ-साथ प्रकृति के प्रेम का संदेश भी दे रही हैं. जारानंद पुरीन माता समूह की महिलाएं छिंद के पत्तों से हर्बल राखी बना रही हैं. जो दिखने में बेहद खूबसूरत तो है ही. इसके साथ ही पत्तों से बने होने के कारण यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल हैं.

आजीविका परिसर में हो रहा राखियों को निर्माण

दंतेवाड़ा में यह कार्य स्वसहायता समूह की दीदियां और महिलाएं आजीविका परिसर के झोड़ियाबाड़म गांव में कर रही हैं. इस राखी की विशेषता है कि यह छिंद के पत्ते से तैयार की जा रही हैं. सबसे पहले इन पत्तों को यहां की महिलाएं लेकर आती हैं. फिर उसे पानी से साफ किया जाता है. फिर इसे सूखाकर इसके पत्तों की बुनाई कर राखी तैयार की जाती है.

छिंद के पत्तों से बन रही राखी.

बाजार में बढ़ रही छिंद के पत्तों से बनी राखियों की डिमांड

दिखने में खूबसूरत इन राखियों की बाजार में बेहद डिमांड है. दंतेवाड़ा के आलावा दूसरे जिलों से भी इन राखियों की डिमांड बढ़ रही है. इसके लिए जिला प्रशासन भी इन स्व सहायता समूह की दीदियों की काफी मदद कर रहा है.

राखी बेचने के लिए जिला प्रशासन द्वारा इन्हें स्टॉल लगाने की जगह दी गई है. जिसके माध्यम से यह बाजार में अपनी राखी को बेच सके. कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से महिलाओं को छिंद के पत्तों से राखी बनाना सिखाया गया था. जिसके बाद पिछले साल से ही इस समूह की महिलाओं ने छिंद के पत्तों से राखियां बनाना शुरू किया था. जिसे बेचकर लगभग 25 से 30 हजार रुपये का मुनाफा हुआ था.

दिल्ली तक पहुंची इन राखियों की डिमांड

इन राखियों की मांग दिल्ली में काफी है. इसलिए इसे दिल्ली भी महिला समूह ने भेजा है. छिंद के पत्तों से ना सिर्फ राखियां, बल्कि दोना पत्तल, बुके भी बनाए जा रहे हैं. जिला प्रशासन की तरफ से भी महिलाओं के उत्साहवर्धन के लिए प्रशासनिक स्तर पर किसी भी तरह के कार्यक्रम होने पर इन्हीं से बुके लिए जाते हैं. ताकि इन महिलाओं की तरफ से तैयार किए गए उत्पाद को बढ़ावा मिल सके. इसके अलवा छिंद के पत्ते से कई हर्बल उत्पाद यहां तैयार किए जा रहे हैं. इन उत्पादों ने दंतेवाड़ा की अलग पहचान देश में बनाई है.

पढ़ेंः राखी का बंधन: किसी ने खून तो किसी ने किडनी देकर बचाई बहन की जान

दंतेवाड़ा : राखी का बाजार सज गया है. साथ ही कई तरह की राखियां बाजार में बहनों की पसंद बन रही हैं. नक्सलगढ़ भी राखी निर्माण में अपनी पहचान बना रहा है. यहां बड़े पैमाने पर हर्बल और देसी राखियां तैयार की जा रही हैं. ये राखियां भाई बहन के प्यार के साथ-साथ प्रकृति के प्रेम का संदेश भी दे रही हैं. जारानंद पुरीन माता समूह की महिलाएं छिंद के पत्तों से हर्बल राखी बना रही हैं. जो दिखने में बेहद खूबसूरत तो है ही. इसके साथ ही पत्तों से बने होने के कारण यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल हैं.

आजीविका परिसर में हो रहा राखियों को निर्माण

दंतेवाड़ा में यह कार्य स्वसहायता समूह की दीदियां और महिलाएं आजीविका परिसर के झोड़ियाबाड़म गांव में कर रही हैं. इस राखी की विशेषता है कि यह छिंद के पत्ते से तैयार की जा रही हैं. सबसे पहले इन पत्तों को यहां की महिलाएं लेकर आती हैं. फिर उसे पानी से साफ किया जाता है. फिर इसे सूखाकर इसके पत्तों की बुनाई कर राखी तैयार की जाती है.

छिंद के पत्तों से बन रही राखी.

बाजार में बढ़ रही छिंद के पत्तों से बनी राखियों की डिमांड

दिखने में खूबसूरत इन राखियों की बाजार में बेहद डिमांड है. दंतेवाड़ा के आलावा दूसरे जिलों से भी इन राखियों की डिमांड बढ़ रही है. इसके लिए जिला प्रशासन भी इन स्व सहायता समूह की दीदियों की काफी मदद कर रहा है.

राखी बेचने के लिए जिला प्रशासन द्वारा इन्हें स्टॉल लगाने की जगह दी गई है. जिसके माध्यम से यह बाजार में अपनी राखी को बेच सके. कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से महिलाओं को छिंद के पत्तों से राखी बनाना सिखाया गया था. जिसके बाद पिछले साल से ही इस समूह की महिलाओं ने छिंद के पत्तों से राखियां बनाना शुरू किया था. जिसे बेचकर लगभग 25 से 30 हजार रुपये का मुनाफा हुआ था.

दिल्ली तक पहुंची इन राखियों की डिमांड

इन राखियों की मांग दिल्ली में काफी है. इसलिए इसे दिल्ली भी महिला समूह ने भेजा है. छिंद के पत्तों से ना सिर्फ राखियां, बल्कि दोना पत्तल, बुके भी बनाए जा रहे हैं. जिला प्रशासन की तरफ से भी महिलाओं के उत्साहवर्धन के लिए प्रशासनिक स्तर पर किसी भी तरह के कार्यक्रम होने पर इन्हीं से बुके लिए जाते हैं. ताकि इन महिलाओं की तरफ से तैयार किए गए उत्पाद को बढ़ावा मिल सके. इसके अलवा छिंद के पत्ते से कई हर्बल उत्पाद यहां तैयार किए जा रहे हैं. इन उत्पादों ने दंतेवाड़ा की अलग पहचान देश में बनाई है.

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