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नाबालिग बेटी का जबरन धर्म परिवर्तन कराने का दावा, 5 करोड़ रुपये मुआवजा मांगा - केंद्र और दिल्ली सरकार से मांगा जवाब

एक महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में याचिका दाखिल की है. महिला का दावा है कि बाल देखभाल संस्थान में उसकी नाबालिग बेटी के साथ क्रूर व्यवहार किया गया, जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया (Forced conversion of minor daughter ). पढ़ें पूरी खबर.

Delhi High Court
दिल्ली हाई कोर्ट
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Published : Feb 25, 2022, 7:45 PM IST

नई दिल्ली : एक महिला ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए दावा किया कि उनकी नाबालिग बेटी के साथ एक बाल देखभाल संस्थान में क्रूर व्यवहार किया गया. उसका जबरन धर्म परिवर्तन किया गया. बाल कल्याण समिति (CWC) ने नाबालिग लड़की को बाल देखभाल संस्थान भेजा था.

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने नोटिस जारी कर केंद्र और दिल्ली सरकार से याचिका पर जवाब मांगा. याचिका में, याचिकाकर्ता और उनकी नाबालिग बेटी के मौलिक अधिकारों के कथित उल्लंघन के लिए पांच करोड़ रुपये का मुआवजा देने का भी अनुरोध किया गया है ( 5 crore for violation of fundamental rights). अदालत ने अधिकारियों को जवाब देने के लिए समय देते हुए मामले में अगली सुनवाई के लिए नौ अप्रैल की तारीख तय की है.

इस याचिका में किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) कानून व मॉडल नियमों के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी गई है, जो सीडब्ल्यूसी के अधिकारों, कार्यों और गठन से संबंधित हैं.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि किशोर न्याय कानून के प्रावधानों से सीडब्ल्यूसी को मनमाने अधिकार मिले हैं जिससे महिला और उनकी बेटी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है.

याचिका में दावा किया गया कि महिला की नाबालिग बेटी को दो गैर सरकारी संगठनों के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने फंसाया और बच्चे के यौन शोषण की झूठी प्राथमिकी दर्ज कराई गई और लड़की को मॉडल नियमों का उल्लंघन करते हुए पांच दिनों के बाद सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश किया गया.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि बच्ची को मनमाने ढंग से संस्थागत देखभाल में भेज दिया गया, जहां उसकी मां की सहमति के बिना उसका ईसाई धर्म में धर्म परिवर्तन करवा दिया गया और पांच महीने से भी अधिक समय तक उसके साथ क्रूर व्यवहार कर शोषण किया गया.

पढ़ें- लखीमपुर खीरी में जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप, छह के खिलाफ रिपोर्ट

पढ़ें- पैसों का लालच देकर कराया धर्म परिवर्तन, आरोपी गिरफ्तार

पढ़ें- महिला ने लगाया जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप, कई बार हुआ दुष्कर्म

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : एक महिला ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए दावा किया कि उनकी नाबालिग बेटी के साथ एक बाल देखभाल संस्थान में क्रूर व्यवहार किया गया. उसका जबरन धर्म परिवर्तन किया गया. बाल कल्याण समिति (CWC) ने नाबालिग लड़की को बाल देखभाल संस्थान भेजा था.

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने नोटिस जारी कर केंद्र और दिल्ली सरकार से याचिका पर जवाब मांगा. याचिका में, याचिकाकर्ता और उनकी नाबालिग बेटी के मौलिक अधिकारों के कथित उल्लंघन के लिए पांच करोड़ रुपये का मुआवजा देने का भी अनुरोध किया गया है ( 5 crore for violation of fundamental rights). अदालत ने अधिकारियों को जवाब देने के लिए समय देते हुए मामले में अगली सुनवाई के लिए नौ अप्रैल की तारीख तय की है.

इस याचिका में किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) कानून व मॉडल नियमों के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी गई है, जो सीडब्ल्यूसी के अधिकारों, कार्यों और गठन से संबंधित हैं.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि किशोर न्याय कानून के प्रावधानों से सीडब्ल्यूसी को मनमाने अधिकार मिले हैं जिससे महिला और उनकी बेटी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है.

याचिका में दावा किया गया कि महिला की नाबालिग बेटी को दो गैर सरकारी संगठनों के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने फंसाया और बच्चे के यौन शोषण की झूठी प्राथमिकी दर्ज कराई गई और लड़की को मॉडल नियमों का उल्लंघन करते हुए पांच दिनों के बाद सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश किया गया.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि बच्ची को मनमाने ढंग से संस्थागत देखभाल में भेज दिया गया, जहां उसकी मां की सहमति के बिना उसका ईसाई धर्म में धर्म परिवर्तन करवा दिया गया और पांच महीने से भी अधिक समय तक उसके साथ क्रूर व्यवहार कर शोषण किया गया.

पढ़ें- लखीमपुर खीरी में जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप, छह के खिलाफ रिपोर्ट

पढ़ें- पैसों का लालच देकर कराया धर्म परिवर्तन, आरोपी गिरफ्तार

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(पीटीआई-भाषा)

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