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जानें कैसे महिला ने वृद्धावस्था में साकार किया 'सपना'

कहते हैं जहां चाह वहां राह, इंसान अगर किसी काम काे करने की ठान लेता है ताे उसे जरूर पूरा करता है. उसके अंदर आने वाली मुसीबताें का सामना करने की शक्ति अपने आप आ जाती है. कुछ इसी तरह दृढ़ निश्चिय से ऊषा लोदया ने वृद्धावस्था में अपने सपने काे पूरा किया, पढ़िए पूरी स्टाेरी..

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Published : Jun 22, 2021, 6:52 PM IST

Updated : Jun 22, 2021, 7:34 PM IST

महिला
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अहमदाबाद : जिस उम्र में लोग सेवानिवृत्त होकर चैन की जिंदगी बिताने लगते हैं, उस उम्र में गुजरात की महिला ऊषा लोदया (Usha Lodaya) ने अपना दशकों पुराना सपना पूरा किया और लंबे अंतराल के बाद पढ़ाई करते हुए डॉक्टरेट की उपाधि (doctorate degree) हासिल की.


60 साल की आयु में दाेबारा शुरू की पढ़ाई
ऊषा (67) ने 20 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ दी थी और करीब 60 साल की आयु में उन्होंने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की तथा जैन धर्म में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की है. वडोदरा निवासी ऊषा ने महाराष्ट्र स्थित शत्रुंजय अकादमी (Shatrunjay Academy) में जैन धर्म के पाठ्यक्रम में दाखिला लिया. यह समुदाय के सदस्यों के बीच जैन धर्म के ज्ञान के प्रसार के लिए स्थापित एक संस्था है. ऊषा ने रविवार को डॉक्टरेट की उपाधि हासिल करने के लिए मौखिक परीक्षा उत्तीर्ण की.

वृद्धावस्था में किया अपने सपने काे साकार
वृद्धावस्था में किया अपने सपने काे साकार

उन्होंने कहा, 'कई दशक पहले, जब मैंने विज्ञान स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिला लिया था, उस समय से ही डॉक्टर बनने का मेरा सपना था. हालांकि, कम उम्र में ही शादी हो जाने के कारण मुझे 20 साल की उम्र में कॉलेज छोड़ना पड़ा.' जैन धर्म के विद्वान और अपने गुरु जयदर्शिताश्रीजी महाराज से प्रेरित होकर, ऊषा ने अपनी आकांक्षा को पूरा करने का प्रयास किया और उन्होंने एक ऑनलाइन पाठ्यक्रम में दाखिला लिया. उन्होंने जैन धर्म में तीन साल का डिग्री पाठ्यक्रम, उसके बाद दो साल का मास्टर्स और फिर तीन साल का डॉक्टरेट पाठ्यक्रम पूरा किया.

इसे भी पढ़ें :अमरनाथ यात्रा रद्द करने का फैसला सुखद नहीं, पर उचित है : महंत दीपेंद्र गिरि
दृढ़ निश्चयी ऊषा ने कहा कि उनकी योजना आगे भी धर्म की खोज जारी रखने और समुदाय के छात्रों को पढ़ाने की है.

अहमदाबाद : जिस उम्र में लोग सेवानिवृत्त होकर चैन की जिंदगी बिताने लगते हैं, उस उम्र में गुजरात की महिला ऊषा लोदया (Usha Lodaya) ने अपना दशकों पुराना सपना पूरा किया और लंबे अंतराल के बाद पढ़ाई करते हुए डॉक्टरेट की उपाधि (doctorate degree) हासिल की.


60 साल की आयु में दाेबारा शुरू की पढ़ाई
ऊषा (67) ने 20 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ दी थी और करीब 60 साल की आयु में उन्होंने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की तथा जैन धर्म में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की है. वडोदरा निवासी ऊषा ने महाराष्ट्र स्थित शत्रुंजय अकादमी (Shatrunjay Academy) में जैन धर्म के पाठ्यक्रम में दाखिला लिया. यह समुदाय के सदस्यों के बीच जैन धर्म के ज्ञान के प्रसार के लिए स्थापित एक संस्था है. ऊषा ने रविवार को डॉक्टरेट की उपाधि हासिल करने के लिए मौखिक परीक्षा उत्तीर्ण की.

वृद्धावस्था में किया अपने सपने काे साकार
वृद्धावस्था में किया अपने सपने काे साकार

उन्होंने कहा, 'कई दशक पहले, जब मैंने विज्ञान स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिला लिया था, उस समय से ही डॉक्टर बनने का मेरा सपना था. हालांकि, कम उम्र में ही शादी हो जाने के कारण मुझे 20 साल की उम्र में कॉलेज छोड़ना पड़ा.' जैन धर्म के विद्वान और अपने गुरु जयदर्शिताश्रीजी महाराज से प्रेरित होकर, ऊषा ने अपनी आकांक्षा को पूरा करने का प्रयास किया और उन्होंने एक ऑनलाइन पाठ्यक्रम में दाखिला लिया. उन्होंने जैन धर्म में तीन साल का डिग्री पाठ्यक्रम, उसके बाद दो साल का मास्टर्स और फिर तीन साल का डॉक्टरेट पाठ्यक्रम पूरा किया.

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दृढ़ निश्चयी ऊषा ने कहा कि उनकी योजना आगे भी धर्म की खोज जारी रखने और समुदाय के छात्रों को पढ़ाने की है.

Last Updated : Jun 22, 2021, 7:34 PM IST
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