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सरकारी कर्मचारी पर नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप, कोर्ट ने पूछा- पीड़िता से शादी करोगे ?

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस एसए बोबडे की पीठ ने दुष्कर्म के एक मामले में आरोपी से सवाल पूछा है कि क्या वह नाबालिग पीड़िता के साथ शादी करने के लिए तैयार है ?

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Published : Mar 1, 2021, 6:17 PM IST

Updated : Mar 1, 2021, 9:17 PM IST

नई दिल्ली : एक सरकारी कर्मचारी पर दुष्कर्म के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम सवाल किया है. सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने पूछा, 'क्या आप उससे शादी करने के लिए तैयार हैं ?

इस मामले में लोक सेवक पर एक नाबालिग लड़की के साथ बार-बार बलात्कार करने का आरोप है. हालांकि, सोमवार को जब सुप्रीम कोर्ट को यह बताया गया कि आरोपी पहले से ही शादीशुदा है, तो कोर्ट ने आरोपी को संबंधित अदालत में नियमित जमानत (Regular Bail) याचिका दायर करने को कहा गया.

दरअसल, मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ जिस अभियुक्त की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, वह महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (Maharashtra State Electricity Production Company) में तकनीशियन के रूप में सेवारत है.

आरोपी ने मामले में अग्रिम जमानत रद्द करने के बंबई उच्च न्यायालय के पांच फरवरी के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था. पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन भी थे. सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने आरोपी से पूछा, 'क्या तुम उससे (लड़की से) शादी करना चाहते हो.

पीठ ने कहा, अगर तुम शादी करने को इच्छुक हो तो, हम इस पर विचार कर सकते हैं अन्यथा तुम्हें जेल जाना होगा. साथ ही पीठ ने जोड़ा, हम शादी के लिए दबाव नहीं डाल रहे.

पीठ द्वारा सवाल पूछे जाने पर याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील ने कहा कि आरोपी पहले लड़की से शादी करना चाहता था, लेकिन उसने मना कर दिया तो, उसने किसी दूसरी लड़की से शादी कर ली.

पढ़ें- जानें क्यों मोदी सरकार के मंत्री और भाजपा सांसद पैसे देकर लेंगे वैक्सीन

वकील ने जब कहा कि आरोपी लोकसेवक है, इस पर पीठ ने कहा, 'आपको (आरोपी को) लड़की को फुसलाने और दुष्कर्म करने से पहले यह सब विचार करना चाहिए था. आपको पता है कि आप एक सरकारी सेवक हैं.

वकील ने कहा कि मामले में अभी आरोप तय नहीं हुआ है. पीठ ने कहा, आप नियमित जमानत की अर्जी दे सकते हैं. हम गिरफ्तारी पर रोक लगाएंगे. शीर्ष अदालत ने आरोपी को चार सप्ताह के लिए गिरफ्तारी से राहत प्रदान की.

निचली अदालत द्वारा दी गई अग्रिम जमानत को रद्द किए जाने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ आरोपी की याचिका पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही थी. व्यक्ति पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत दंडनीय आरोप भी लगाए गए हैं.

नई दिल्ली : एक सरकारी कर्मचारी पर दुष्कर्म के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम सवाल किया है. सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने पूछा, 'क्या आप उससे शादी करने के लिए तैयार हैं ?

इस मामले में लोक सेवक पर एक नाबालिग लड़की के साथ बार-बार बलात्कार करने का आरोप है. हालांकि, सोमवार को जब सुप्रीम कोर्ट को यह बताया गया कि आरोपी पहले से ही शादीशुदा है, तो कोर्ट ने आरोपी को संबंधित अदालत में नियमित जमानत (Regular Bail) याचिका दायर करने को कहा गया.

दरअसल, मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ जिस अभियुक्त की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, वह महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (Maharashtra State Electricity Production Company) में तकनीशियन के रूप में सेवारत है.

आरोपी ने मामले में अग्रिम जमानत रद्द करने के बंबई उच्च न्यायालय के पांच फरवरी के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था. पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन भी थे. सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने आरोपी से पूछा, 'क्या तुम उससे (लड़की से) शादी करना चाहते हो.

पीठ ने कहा, अगर तुम शादी करने को इच्छुक हो तो, हम इस पर विचार कर सकते हैं अन्यथा तुम्हें जेल जाना होगा. साथ ही पीठ ने जोड़ा, हम शादी के लिए दबाव नहीं डाल रहे.

पीठ द्वारा सवाल पूछे जाने पर याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील ने कहा कि आरोपी पहले लड़की से शादी करना चाहता था, लेकिन उसने मना कर दिया तो, उसने किसी दूसरी लड़की से शादी कर ली.

पढ़ें- जानें क्यों मोदी सरकार के मंत्री और भाजपा सांसद पैसे देकर लेंगे वैक्सीन

वकील ने जब कहा कि आरोपी लोकसेवक है, इस पर पीठ ने कहा, 'आपको (आरोपी को) लड़की को फुसलाने और दुष्कर्म करने से पहले यह सब विचार करना चाहिए था. आपको पता है कि आप एक सरकारी सेवक हैं.

वकील ने कहा कि मामले में अभी आरोप तय नहीं हुआ है. पीठ ने कहा, आप नियमित जमानत की अर्जी दे सकते हैं. हम गिरफ्तारी पर रोक लगाएंगे. शीर्ष अदालत ने आरोपी को चार सप्ताह के लिए गिरफ्तारी से राहत प्रदान की.

निचली अदालत द्वारा दी गई अग्रिम जमानत को रद्द किए जाने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ आरोपी की याचिका पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही थी. व्यक्ति पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत दंडनीय आरोप भी लगाए गए हैं.

Last Updated : Mar 1, 2021, 9:17 PM IST
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