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...अगर ऐसा हुआ तो तीरथ के बाद क्या ममता भी छोड़ देंगी कुर्सी?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इसकी बड़ी वजह उन्होंने उपचुनाव को लेकर संवैधानिक संकट बताया है. अब सवाल यह उठता है कि क्या बंगाल फेक्टर के बहाने तीरथ सिंह को सीएम की कुर्सी गंवानी पड़ रही है.

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...अगर ऐसा हुआ तो तीरथ के बाद क्या ममता भी छोड़ देंगी कुर्सी?
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Published : Jul 3, 2021, 9:12 AM IST

Updated : Jul 3, 2021, 10:38 AM IST

हैदराबाद : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उनका कहना है कि संवैधानिक संकट की परिस्थितियों को देखते हुए उन्होंने अपना इस्तीफा देना उचित समझा. उन्होंने कहा, निर्वाचन आयोग के लिए चुनाव कराना मुश्किल था.

अब बात पश्चिम बंगाल की करें तो ममता बनर्जी के सामने भी यही समस्या है. अगर 4 नवंबर तक विधानसभा की सदस्यता नहीं मिली तो उन्हें भी मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है.

क्या है नियम

बता दें कि, जनप्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए के मुताबिक निर्वाचन आयोग संसद के दोनों सदनों और राज्‍यों के विधायी सदनों में खाली सीटों को रिक्ति होने की तिथि से छह माह के भीतर उपचुनावों के द्वारा भरने के लिए अधिकृत है, बशर्ते किसी रिक्ति से जुड़े किसी सदस्‍य का शेष कार्यकाल एक वर्ष अथवा उससे अधिक हो.

ममता बनर्जी ने राज्य विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त जीत हासिल कर तीसरी बार राज्य की सत्ता हासिल कर तो ली है मगर नंदीग्राम से उनकी हार अब भी उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है.

जानकारों की माने तो कोरोना महामारी के टलने तक निर्वाचन आयोग उपचुनाव टालने की घोषणा कर सकती है. हालांकि, अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है.

ममता का आग्रह

इन्हीं आशंकाओं को देखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने निर्वाचन आयोग से राज्य में लंबित उपचुनाव जल्द से जल्द कराने का आग्रह किया है. तो वहीं, दूसरी तरफ सरकार ने आश्वासन दिया कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान कोविड​​-19 रोधी सभी प्रोटोकॉल का पालन (Following the anti covid19 protocol) किया जाएगा.

जिन सात सीटों पर उपचुनाव (elections for seven seats) होना है, उनमें से एक भवानीपुर भी है. नंदीग्राम में हार का सामना करने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) के इस सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें हैं.

बता दें कि, कानूनी बाध्यता मुख्यमंत्री रावत के विधानसभा पहुंचने में सबसे बड़ी अड़चन के रूप में सामने आई है. क्योंकि विधानसभा चुनाव में एक साल से कम का समय बचा है. वैसे भी कोविड महामारी के कारण भी फिलहाल चुनाव की परिस्थितियां नहीं बन पाई है.

यह पूछे जाने पर कि संवैधानिक संकट से बचने के लिए प्रदेश में अप्रैल में हुआ सल्ट उपचुनाव उन्होंने क्यों नही लड़ा, मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि, उस समय वह कोविड से पीड़ित थे और इसलिए उन्हें इसके लिए समय नहीं मिला.

पढ़ें : मुख्यमंत्री रावत ने दिया इस्तीफा, आज होगा भाजपा विधायक दल के नए नेता का चयन

मुख्यमंत्री रावत के साथ मौजूद प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा, निर्वाचन आयोग ने कहा कि उपचुनाव नहीं करा पाएंगे. इसलिए हम लोगों ने उचित समझा कि संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न न हो.

12
क्या है प्रावधान

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बात करें तो, संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के प्रावधानों का लाभ उठाते हुए ममता बनर्जी गत 5 मई को बिना चुनाव जीते ही मुख्यमंत्री तो बन गईं, मगर इसी अनुच्छेद की उपधारा में यह प्रावधान भी है कि अगर निरंतर 6 महीने के अंदर गैर सदस्य मंत्री विधायिका की सदस्यता ग्रहण नहीं कर पाए तो उस अवधि के बाद वह मंत्री पद का लाभ नहीं ले पाएगा. ऐसे में ममता बनर्जी कैसे अपनी कुर्सी बचाएंगी? यह तो आने वाला समय ही तय करेगा.

हैदराबाद : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उनका कहना है कि संवैधानिक संकट की परिस्थितियों को देखते हुए उन्होंने अपना इस्तीफा देना उचित समझा. उन्होंने कहा, निर्वाचन आयोग के लिए चुनाव कराना मुश्किल था.

अब बात पश्चिम बंगाल की करें तो ममता बनर्जी के सामने भी यही समस्या है. अगर 4 नवंबर तक विधानसभा की सदस्यता नहीं मिली तो उन्हें भी मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है.

क्या है नियम

बता दें कि, जनप्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए के मुताबिक निर्वाचन आयोग संसद के दोनों सदनों और राज्‍यों के विधायी सदनों में खाली सीटों को रिक्ति होने की तिथि से छह माह के भीतर उपचुनावों के द्वारा भरने के लिए अधिकृत है, बशर्ते किसी रिक्ति से जुड़े किसी सदस्‍य का शेष कार्यकाल एक वर्ष अथवा उससे अधिक हो.

ममता बनर्जी ने राज्य विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त जीत हासिल कर तीसरी बार राज्य की सत्ता हासिल कर तो ली है मगर नंदीग्राम से उनकी हार अब भी उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है.

जानकारों की माने तो कोरोना महामारी के टलने तक निर्वाचन आयोग उपचुनाव टालने की घोषणा कर सकती है. हालांकि, अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है.

ममता का आग्रह

इन्हीं आशंकाओं को देखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने निर्वाचन आयोग से राज्य में लंबित उपचुनाव जल्द से जल्द कराने का आग्रह किया है. तो वहीं, दूसरी तरफ सरकार ने आश्वासन दिया कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान कोविड​​-19 रोधी सभी प्रोटोकॉल का पालन (Following the anti covid19 protocol) किया जाएगा.

जिन सात सीटों पर उपचुनाव (elections for seven seats) होना है, उनमें से एक भवानीपुर भी है. नंदीग्राम में हार का सामना करने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) के इस सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें हैं.

बता दें कि, कानूनी बाध्यता मुख्यमंत्री रावत के विधानसभा पहुंचने में सबसे बड़ी अड़चन के रूप में सामने आई है. क्योंकि विधानसभा चुनाव में एक साल से कम का समय बचा है. वैसे भी कोविड महामारी के कारण भी फिलहाल चुनाव की परिस्थितियां नहीं बन पाई है.

यह पूछे जाने पर कि संवैधानिक संकट से बचने के लिए प्रदेश में अप्रैल में हुआ सल्ट उपचुनाव उन्होंने क्यों नही लड़ा, मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि, उस समय वह कोविड से पीड़ित थे और इसलिए उन्हें इसके लिए समय नहीं मिला.

पढ़ें : मुख्यमंत्री रावत ने दिया इस्तीफा, आज होगा भाजपा विधायक दल के नए नेता का चयन

मुख्यमंत्री रावत के साथ मौजूद प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा, निर्वाचन आयोग ने कहा कि उपचुनाव नहीं करा पाएंगे. इसलिए हम लोगों ने उचित समझा कि संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न न हो.

12
क्या है प्रावधान

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बात करें तो, संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के प्रावधानों का लाभ उठाते हुए ममता बनर्जी गत 5 मई को बिना चुनाव जीते ही मुख्यमंत्री तो बन गईं, मगर इसी अनुच्छेद की उपधारा में यह प्रावधान भी है कि अगर निरंतर 6 महीने के अंदर गैर सदस्य मंत्री विधायिका की सदस्यता ग्रहण नहीं कर पाए तो उस अवधि के बाद वह मंत्री पद का लाभ नहीं ले पाएगा. ऐसे में ममता बनर्जी कैसे अपनी कुर्सी बचाएंगी? यह तो आने वाला समय ही तय करेगा.

Last Updated : Jul 3, 2021, 10:38 AM IST
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