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क्या जल्द ही खत्म हो जाएगी नवाबों की शान रही लखनऊ की यह दिलकश नक्काशी? - अवध के नवाब

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सभ्यता, संस्कृति, शान और सभ्यता का उद्गम स्थल है. अवध व शाह के नवाबों द्वारा निर्मित इमारतों का इससे उम्दा उदाहरण कोई दूसरा नहीं है. लेकिन अब यहां की पारंपरिक कला दम तोड़ती नजर आ रही है. जानें इस विशेष रिपोर्ट से.

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Published : Sep 25, 2021, 7:33 PM IST

Updated : Sep 25, 2021, 10:53 PM IST

लखनऊ : अवध के नवाबों के रूमाल सुन्दर लगते थे. लखनऊ के शासक भी ललित कलाओं और लेखकों की सराहना करते थे. यही कारण है कि लखनऊ के मास्टर रसोइया, चित्रकार, संवेदना, सहानुभूति, लखनऊ चिकन कपड़ा दुनिया भर में लोकप्रिय है.

इसके अलावा पीतल और तांबे के बर्तनों पर दुर्लभ नक्काशी नवाबी काल से आज भी जीवित है, जिसे यहां के लोग लखनऊ सभ्यता का हिस्सा मानते हैं. कहा जाता है कि लखनऊ के नवाब द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन नक्काशी की एक उत्कृष्ट कृति हुआ करते थे जिसे यहां के लोगों ने खूब पसंद किया था और ज्यादातर मुस्लिम घरों में बर्तन तैयार किए गए थे.

क्या जल्द ही खत्म हो जाएगी नवाबों की शान रही लखनऊ की यह दिलकश नक्काशी?

लखनऊ में चित्रकला की परंपरा लगभग ढाई सौ वर्ष पूर्व की है और उसी समय से तश्तरी, सालपी, पानदान, खसदान आदि पर एक विशेष प्रकार की चित्रकारी होती थी. पुराने लखनऊ में याह्या गंज में मिट्टी के बर्तनों वाली गली में आज भी ऐसे चित्रकार हैं जिनकी पांच पीढ़ियां इस कला से जुड़ी हुई हैं.

लखनऊ की नक्काशी न केवल सभ्यता और संस्कृति का हिस्सा है बल्कि गंगा-जमुनी सभ्यता, सहिष्णुता और आपसी एकता की जीवंत मिसाल भी है. वे न केवल खूबसूरती से पेंट करते हैं, बल्कि वे अरबी लिपि को भी धाराप्रवाह पढ़ते हैं और आशूरा के दिन कर्बला जाते हैं. वे मुहर्रम और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के महीने में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं पर भी नक्काशी करते हैं. इन सबके बावजूद प्राचीन कला आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है.

पेंटर राम कुमार का कहना है कि कुछ साल पहले इस गली में 16 कारीगर थे लेकिन काम और आमदनी कम होने के कारण 8 कारीगर दूसरे कारोबार से जुड़ गए और अब राम कुमार दूसरे कारोबार के बारे में भी सोच रहे हैं. राम कुमार का मानना ​​है कि यह कला अगले दस वर्षों में समाप्त हो जाएगी क्योंकि नई पीढ़ी को इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है और पुराने कारीगर दूसरी नौकरी कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें-गरीब कल्याण मेला में नेताओं का 'दंगल', भाजपा सांसद और कांग्रेस नेता समर्थकों में हाथापाई

इसके अलावा श्याम कुमार नाम के एक व्यवसायी का कहना है कि हालांकि अधिक आय नहीं है लेकिन लखनऊ के लोग इसे सम्मान की दृष्टि से देखते हैं और जो पेंट करते हैं उससे प्यार करते हैं.

लखनऊ : अवध के नवाबों के रूमाल सुन्दर लगते थे. लखनऊ के शासक भी ललित कलाओं और लेखकों की सराहना करते थे. यही कारण है कि लखनऊ के मास्टर रसोइया, चित्रकार, संवेदना, सहानुभूति, लखनऊ चिकन कपड़ा दुनिया भर में लोकप्रिय है.

इसके अलावा पीतल और तांबे के बर्तनों पर दुर्लभ नक्काशी नवाबी काल से आज भी जीवित है, जिसे यहां के लोग लखनऊ सभ्यता का हिस्सा मानते हैं. कहा जाता है कि लखनऊ के नवाब द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन नक्काशी की एक उत्कृष्ट कृति हुआ करते थे जिसे यहां के लोगों ने खूब पसंद किया था और ज्यादातर मुस्लिम घरों में बर्तन तैयार किए गए थे.

क्या जल्द ही खत्म हो जाएगी नवाबों की शान रही लखनऊ की यह दिलकश नक्काशी?

लखनऊ में चित्रकला की परंपरा लगभग ढाई सौ वर्ष पूर्व की है और उसी समय से तश्तरी, सालपी, पानदान, खसदान आदि पर एक विशेष प्रकार की चित्रकारी होती थी. पुराने लखनऊ में याह्या गंज में मिट्टी के बर्तनों वाली गली में आज भी ऐसे चित्रकार हैं जिनकी पांच पीढ़ियां इस कला से जुड़ी हुई हैं.

लखनऊ की नक्काशी न केवल सभ्यता और संस्कृति का हिस्सा है बल्कि गंगा-जमुनी सभ्यता, सहिष्णुता और आपसी एकता की जीवंत मिसाल भी है. वे न केवल खूबसूरती से पेंट करते हैं, बल्कि वे अरबी लिपि को भी धाराप्रवाह पढ़ते हैं और आशूरा के दिन कर्बला जाते हैं. वे मुहर्रम और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के महीने में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं पर भी नक्काशी करते हैं. इन सबके बावजूद प्राचीन कला आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है.

पेंटर राम कुमार का कहना है कि कुछ साल पहले इस गली में 16 कारीगर थे लेकिन काम और आमदनी कम होने के कारण 8 कारीगर दूसरे कारोबार से जुड़ गए और अब राम कुमार दूसरे कारोबार के बारे में भी सोच रहे हैं. राम कुमार का मानना ​​है कि यह कला अगले दस वर्षों में समाप्त हो जाएगी क्योंकि नई पीढ़ी को इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है और पुराने कारीगर दूसरी नौकरी कर रहे हैं.

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इसके अलावा श्याम कुमार नाम के एक व्यवसायी का कहना है कि हालांकि अधिक आय नहीं है लेकिन लखनऊ के लोग इसे सम्मान की दृष्टि से देखते हैं और जो पेंट करते हैं उससे प्यार करते हैं.

Last Updated : Sep 25, 2021, 10:53 PM IST
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