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PFI को निर्देश देंगे KSRTC की मुआवजा राशि जमा कराए: HC - केरल पीएफआई प्रदर्शन

केरल में पीएफआई नेताओं की गिरफ्तारी के बाद हुए प्रदर्शन में राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों को नुकसान पहुंचा था. हाई कोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने कहा कि पीएफआई को निर्देश दिया जाएगा कि वह केएसआरटीसी (KSRTC) की ओर से मांगी गई मुआवजे की रकम जमा कराए.

Kerala HC
केरल उच्च न्यायालय
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Published : Sep 29, 2022, 6:21 PM IST

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने गुरुवार को कहा कि प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को निर्देश दिया जाएगा कि वह केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की ओर से मुआवजे के तौर पर मांगी गई पांच करोड़ रुपये से अधिक की राशि को राज्य सरकार के समक्ष जमा कराए (PFI to deposit compensation).

पीएफआई के खिलाफ हुई छापेमारी और उसके कुछ सदस्यों की गिरफ्तारी के विरोध में गत 23 सितंबर को आयोजित उसकी हड़ताल के दौरान बसों को हुए नुकसान और सेवाओं में कटौती को लेकर केएसआरटीसी ने मुआवजे की यह मांग की है. केएसआरटीसी की ओर से पेश अधिवक्ता दीपू थंकन ने बताया कि अदालत ने कहा कि हड़ताल संबंधित हिंसा और संपत्ति को हुए नुकसान को लेकर दर्ज सभी मामलों में संगठन के पूर्व महासचिव अब्दुल सत्तार को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया जाएगा.

अधिवक्ता थंकन ने कहा, 'न्यायमूर्ति ए के जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति मोहम्मद नियास सी पी की पीठ ने कहा कि यह निर्देश भी दिया जाएगा कि हड़ताल संबंधी हिंसा के किसी भी आरोपी को कथित तौर पर उनके द्वारा किए गए नुकसान की क्षतिपूर्ति किए जाने तक जमानत नहीं दी जाए.' केएसआरटीसी ने अपनी यचिका में यह दलील दी है कि हड़ताल बिना कोई अग्रिम सूचना दिए की गई, जो कि उच्च न्यायालय के उन आदेशों का उल्लंघन है जिसके तहत अचानक की जाने वाली हड़ताल को अवैध करार देते हुए कहा गया था कि इसके लिए सात दिन पूर्व नोटिस देना होगा.

परिवहन निगम की ओर से दावा किया गया कि हड़ताल के हिंसक होने से 58 बसों में खिड़कियों के शीशों और सीटों को नुकसान पहुंचाया गया तथा उसके 10 कर्मचारियों के अलावा एक यात्री भी घायल हुआ. केएसआरटीसी की ओर से दावा किया गया कि हिंसक हड़ताल के कारण उसे कुल 5,06,21,382 रुपये का नुकसान हुआ.

पढ़ें- केरल सरकार भी पीएफआई को प्रतिबंधित करने के लिए उठाएगी कड़े कदम

(PTI)

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने गुरुवार को कहा कि प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को निर्देश दिया जाएगा कि वह केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की ओर से मुआवजे के तौर पर मांगी गई पांच करोड़ रुपये से अधिक की राशि को राज्य सरकार के समक्ष जमा कराए (PFI to deposit compensation).

पीएफआई के खिलाफ हुई छापेमारी और उसके कुछ सदस्यों की गिरफ्तारी के विरोध में गत 23 सितंबर को आयोजित उसकी हड़ताल के दौरान बसों को हुए नुकसान और सेवाओं में कटौती को लेकर केएसआरटीसी ने मुआवजे की यह मांग की है. केएसआरटीसी की ओर से पेश अधिवक्ता दीपू थंकन ने बताया कि अदालत ने कहा कि हड़ताल संबंधित हिंसा और संपत्ति को हुए नुकसान को लेकर दर्ज सभी मामलों में संगठन के पूर्व महासचिव अब्दुल सत्तार को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया जाएगा.

अधिवक्ता थंकन ने कहा, 'न्यायमूर्ति ए के जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति मोहम्मद नियास सी पी की पीठ ने कहा कि यह निर्देश भी दिया जाएगा कि हड़ताल संबंधी हिंसा के किसी भी आरोपी को कथित तौर पर उनके द्वारा किए गए नुकसान की क्षतिपूर्ति किए जाने तक जमानत नहीं दी जाए.' केएसआरटीसी ने अपनी यचिका में यह दलील दी है कि हड़ताल बिना कोई अग्रिम सूचना दिए की गई, जो कि उच्च न्यायालय के उन आदेशों का उल्लंघन है जिसके तहत अचानक की जाने वाली हड़ताल को अवैध करार देते हुए कहा गया था कि इसके लिए सात दिन पूर्व नोटिस देना होगा.

परिवहन निगम की ओर से दावा किया गया कि हड़ताल के हिंसक होने से 58 बसों में खिड़कियों के शीशों और सीटों को नुकसान पहुंचाया गया तथा उसके 10 कर्मचारियों के अलावा एक यात्री भी घायल हुआ. केएसआरटीसी की ओर से दावा किया गया कि हिंसक हड़ताल के कारण उसे कुल 5,06,21,382 रुपये का नुकसान हुआ.

पढ़ें- केरल सरकार भी पीएफआई को प्रतिबंधित करने के लिए उठाएगी कड़े कदम

(PTI)

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