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पश्चिम बंगाल : बीजेपी नेताओं को क्या जाने से रोक पाएंगे पार्टी के दिग्गज नेता ?

पश्चिम बंगाल में भाजपा सांसद अर्जुन सिंह के पार्टी छोड़कर टीएमसी का दामन थामने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में मंथन का दौर शुरू हो गया है. हालांकि इसके पहले भी कुछ बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं. वहीं राज्य में पार्टी के गिरते ग्राफ और लोकसभा के मद्देनजर पार्टी बंगाल के लिए जल्द ही नई रणनीति और कार्यक्रम को लेकर आने वाली है. पढ़िए ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट...

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भाजपा (प्रतीकात्मक फोटो)
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Published : May 26, 2022, 7:13 PM IST

Updated : May 26, 2022, 8:37 PM IST

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में पार्टी के अंदरूनी झगड़ों से परेशान बीजेपी बहुत जल्द एक नई रणनीति लेकर आने वाली है. इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं में काफी मंथन भी चल रहा है. सूत्रों की माने तो बंगाल के नेताओं की अब दिल्ली में आवाज सुनी जाएगी. केंद्रीय नेताओं के साथ बैठकों के दौर और बढ़ेंगे और जो भी शिकायतें हैं उन्हें दूर करने की कोशिश की जाएगी.पिछले महीने गृह मंत्री अमित शाह का बंगाल दौरा भी नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए ही आयोजित किया गया था. शाह ने कई नेताओं से आमने सामने बातचीत कर उन्हें पार्टी में समुचित सम्मान दिए जाने और आपसी घमासान को तुरंत खत्म करने की बात भी कही थी, मगर शाह के इस पश्चिम बंगाल के दौरे के तुरंत बाद ही पार्टी के सांसद अर्जुन सिंह ने अंततः पार्टी छोड़ दी और तृणमूल का दामन थाम लिया.

दरअसल अर्जुन सिंह पिछले कई महीनों से जूट की कीमत कम करने की मांग केंद्र से कर रहे थे, क्योंकि उनके निर्वाचन क्षेत्र में जूट मिलों की बहुतायत है और उनके बार-बार केंद्र से मांग के बावजूद केंद्र सरकार की तरफ से इस पर ध्यान नहीं दिया गया. अर्जुन सिंह पार्टी के कद्दावर और बाहुबली तेज तर्रार नेताओं में से माने जाते थे और पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान तृणमूल नेताओं और कार्यकर्ताओं से बीजेपी के लिए दो-दो हाथ करने में वो काफी मुखर भी रहे. यहां तक कि उनके ऊपर और उनके विधायक पुत्र दोनों के ही ऊपर कई बार टीएमसी की तरफ से जानलेवा हमला भी किया गया . बावजूद इसके वह पार्टी की काफी मुखर वक्ताओं में से एक रहे. लेकिन बाद में उन्होंने टीएमसी की तरफ से अत्यधिक दबाव होने की वजह बताते हुए टीएमसी का दामन थाम लिया.

विधानसभा चुनाव में 77 सीट लाने के बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी पिछले मार्च महीने में हुए स्थानीय निकाय के चुनाव में बिल्कुल भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई जो भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बड़ा धक्का था. विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का एक के बाद एक टीएमसी में घर वापसी का दौर शुरू हो चुका था, जिसमें से सबसे पहले मुकुल रॉय, पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो और अब अर्जुन सिंह ने पार्टी छोड़ दी. यही नहीं पार्टी सूत्रों की मानें तो दिलीप घोष और पार्टी के नेता अनुपम हाजरा के बीच भी खुलकर मतभेद सामने आ चुका है. पार्टी के आला नेता हर हाल में बाकी बचे बंगाल इकाई के बड़े चेहरों को टीएमसी में नहीं जाने देने की पूरी मशक्कत कर रहे हैं. यही वजह है कि जब अनुपम हाजरा और दिलीप घोष के बीच सार्वजनिक आरोप-प्रत्यारोप हुआ तो अंदर खाने पार्टी के आला नेताओं ने दोनों ही नेताओं से अलग-अलग बात भी की और पार्टी के आपसी मसलों को पार्टी के अंदर बैठकर सुलझाने की सिफारिश भी की.

ये भी पढ़ें- पश्चिम बंगाल : सांसदों और विधायकों की निगरानी के लिए अमित शाह ने बनाई जांच कमेटी

बीते साल मई में जब विधानसभा के चुनाव आए थे तो भारतीय जनता पार्टी 77 सीटें लेकर मुख्य विपक्षी दल बंगाल में बन गई थी. यही नहीं बैरकपुर से तो अर्जुन सिंह ने सीधे-सीधे ममता बनर्जी को टक्कर दी थी और उनके गढ़ में सेंध लगाई थी. नंदीग्राम से भाजपा के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को हार का सामना करने पर भी मजबूर कर दिया था और बीजेपी का वोट प्रतिशत भी बढ़कर 38.9 तक पहुंच गया था. मगर ठीक 1 साल बाद पार्टी स्थानीय निकाय के चुनाव में पार्टी को मुंह की खानी पड़ी. नाम न लेने की शर्त पर पार्टी नेता बताते हैं कि नाराजगी की असली वजह है पार्टी के दिग्गज नेताओं द्वारा उनकी बातें नहीं सुना जाना है.

बेशक विधानसभा चुनाव में 77 सीटें लेकर बीजेपी मुख्य प्रतिद्वंदी पार्टी बन गई हो, लेकिन जिस तरह से पिछले 1 साल में पार्टी का ग्राफ बंगाल में गिरा है, वो पार्टी के लिए चिंता का विषय बन गया है. इसलिए पार्टी जल्द ही एक बड़ी रणनीति और कार्यक्रम बंगाल के लिए लेकर आने वाली है. बंगाल में बीजेपी और मंत्री अमित शाह के लिए नाक की लड़ाई रही है और पार्टी के दिग्गज नेता 2024 के लोकसभा चुनाव में भी अच्छी सीटें लाने की उम्मीद लगाए बैठे थे, मगर जिस तरह से पिछले एक साल में पार्टी का ग्राफ बंगाल में गिरा है उसे देखकर पार्टी के अंदर केंद्रीय नेताओं के बीच आत्ममंथन का दौर चल रहा है. पार्टी जल्द ही एक बड़ी रणनीति और कार्यक्रम बंगाल के लिए लेकर आने वाली है.

इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए भारतीय जनता पार्टी के बंगाल इकाई के नेता अनुपम हाजरा ने कहा की पार्टी मे लोकतंत्र है और सभी अपनी अपनी बात रखते हैं. मैंने भी अपनी बात रखी है,उन्होंने कहा की बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है और सभी अनुभवी नेताओं का इसमें हमेशा से सम्मान होता रहा है. एक के बाद एक पार्टी नेताओं के बीजपी छोड़ने पर हाजरा का कहना है की सबके अपने निजी कारण होते हैं और अपनी पसंद होती है इसलिए वो उनपर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते. उन्होंने कहा कि जहां तक दबाव की बात है उन पर कोई भी पार्टी का दबाव नहीं है.

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नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में पार्टी के अंदरूनी झगड़ों से परेशान बीजेपी बहुत जल्द एक नई रणनीति लेकर आने वाली है. इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं में काफी मंथन भी चल रहा है. सूत्रों की माने तो बंगाल के नेताओं की अब दिल्ली में आवाज सुनी जाएगी. केंद्रीय नेताओं के साथ बैठकों के दौर और बढ़ेंगे और जो भी शिकायतें हैं उन्हें दूर करने की कोशिश की जाएगी.पिछले महीने गृह मंत्री अमित शाह का बंगाल दौरा भी नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए ही आयोजित किया गया था. शाह ने कई नेताओं से आमने सामने बातचीत कर उन्हें पार्टी में समुचित सम्मान दिए जाने और आपसी घमासान को तुरंत खत्म करने की बात भी कही थी, मगर शाह के इस पश्चिम बंगाल के दौरे के तुरंत बाद ही पार्टी के सांसद अर्जुन सिंह ने अंततः पार्टी छोड़ दी और तृणमूल का दामन थाम लिया.

दरअसल अर्जुन सिंह पिछले कई महीनों से जूट की कीमत कम करने की मांग केंद्र से कर रहे थे, क्योंकि उनके निर्वाचन क्षेत्र में जूट मिलों की बहुतायत है और उनके बार-बार केंद्र से मांग के बावजूद केंद्र सरकार की तरफ से इस पर ध्यान नहीं दिया गया. अर्जुन सिंह पार्टी के कद्दावर और बाहुबली तेज तर्रार नेताओं में से माने जाते थे और पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान तृणमूल नेताओं और कार्यकर्ताओं से बीजेपी के लिए दो-दो हाथ करने में वो काफी मुखर भी रहे. यहां तक कि उनके ऊपर और उनके विधायक पुत्र दोनों के ही ऊपर कई बार टीएमसी की तरफ से जानलेवा हमला भी किया गया . बावजूद इसके वह पार्टी की काफी मुखर वक्ताओं में से एक रहे. लेकिन बाद में उन्होंने टीएमसी की तरफ से अत्यधिक दबाव होने की वजह बताते हुए टीएमसी का दामन थाम लिया.

विधानसभा चुनाव में 77 सीट लाने के बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी पिछले मार्च महीने में हुए स्थानीय निकाय के चुनाव में बिल्कुल भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई जो भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बड़ा धक्का था. विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का एक के बाद एक टीएमसी में घर वापसी का दौर शुरू हो चुका था, जिसमें से सबसे पहले मुकुल रॉय, पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो और अब अर्जुन सिंह ने पार्टी छोड़ दी. यही नहीं पार्टी सूत्रों की मानें तो दिलीप घोष और पार्टी के नेता अनुपम हाजरा के बीच भी खुलकर मतभेद सामने आ चुका है. पार्टी के आला नेता हर हाल में बाकी बचे बंगाल इकाई के बड़े चेहरों को टीएमसी में नहीं जाने देने की पूरी मशक्कत कर रहे हैं. यही वजह है कि जब अनुपम हाजरा और दिलीप घोष के बीच सार्वजनिक आरोप-प्रत्यारोप हुआ तो अंदर खाने पार्टी के आला नेताओं ने दोनों ही नेताओं से अलग-अलग बात भी की और पार्टी के आपसी मसलों को पार्टी के अंदर बैठकर सुलझाने की सिफारिश भी की.

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बीते साल मई में जब विधानसभा के चुनाव आए थे तो भारतीय जनता पार्टी 77 सीटें लेकर मुख्य विपक्षी दल बंगाल में बन गई थी. यही नहीं बैरकपुर से तो अर्जुन सिंह ने सीधे-सीधे ममता बनर्जी को टक्कर दी थी और उनके गढ़ में सेंध लगाई थी. नंदीग्राम से भाजपा के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को हार का सामना करने पर भी मजबूर कर दिया था और बीजेपी का वोट प्रतिशत भी बढ़कर 38.9 तक पहुंच गया था. मगर ठीक 1 साल बाद पार्टी स्थानीय निकाय के चुनाव में पार्टी को मुंह की खानी पड़ी. नाम न लेने की शर्त पर पार्टी नेता बताते हैं कि नाराजगी की असली वजह है पार्टी के दिग्गज नेताओं द्वारा उनकी बातें नहीं सुना जाना है.

बेशक विधानसभा चुनाव में 77 सीटें लेकर बीजेपी मुख्य प्रतिद्वंदी पार्टी बन गई हो, लेकिन जिस तरह से पिछले 1 साल में पार्टी का ग्राफ बंगाल में गिरा है, वो पार्टी के लिए चिंता का विषय बन गया है. इसलिए पार्टी जल्द ही एक बड़ी रणनीति और कार्यक्रम बंगाल के लिए लेकर आने वाली है. बंगाल में बीजेपी और मंत्री अमित शाह के लिए नाक की लड़ाई रही है और पार्टी के दिग्गज नेता 2024 के लोकसभा चुनाव में भी अच्छी सीटें लाने की उम्मीद लगाए बैठे थे, मगर जिस तरह से पिछले एक साल में पार्टी का ग्राफ बंगाल में गिरा है उसे देखकर पार्टी के अंदर केंद्रीय नेताओं के बीच आत्ममंथन का दौर चल रहा है. पार्टी जल्द ही एक बड़ी रणनीति और कार्यक्रम बंगाल के लिए लेकर आने वाली है.

इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए भारतीय जनता पार्टी के बंगाल इकाई के नेता अनुपम हाजरा ने कहा की पार्टी मे लोकतंत्र है और सभी अपनी अपनी बात रखते हैं. मैंने भी अपनी बात रखी है,उन्होंने कहा की बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है और सभी अनुभवी नेताओं का इसमें हमेशा से सम्मान होता रहा है. एक के बाद एक पार्टी नेताओं के बीजपी छोड़ने पर हाजरा का कहना है की सबके अपने निजी कारण होते हैं और अपनी पसंद होती है इसलिए वो उनपर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते. उन्होंने कहा कि जहां तक दबाव की बात है उन पर कोई भी पार्टी का दबाव नहीं है.

ये भी पढ़ें- पश्चिम बंगाल : सांसदों और विधायकों की निगरानी के लिए अमित शाह ने बनाई जांच कमेटी

Last Updated : May 26, 2022, 8:37 PM IST
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