पीलीभीत: हिमालय की तलहटी में बसा जनपद पीलीभीत का पीलीभीत टाइगर रिजर्व देशभर में विशेष पहचान रखता है. टाइगर रिजर्व का सातवां सत्र एक नवंबर को बड़ी धूमधाम के साथ शुरू किया गया. उत्तर प्रदेश के वन मंत्री दारा सिंह ने डिजिटल माध्यम से हरी झंडी दिखाकर टाइगर रिजर्व का शुभारंभ किया था. सत्र चालू होते ही वन्य जीव प्रेमी लगातार पीलीभीत टाइगर रिजर्व का दीदार करने पहुंच रहे हैं.
टाइगर का दीदार करने के लिए बनाए गए खास 15 प्वाइंट्स
पीलीभीत टाइगर रिजर्व ने 15 प्वाइंट्स को सिलेक्ट किया है. यहां आने वाले सैलानियों को गाइड के साथ भेजा जाएगा, ताकि वे वन्य जीव का दीदार कर सकें. पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन ने चुका बीच, जंगल सफारी, बाइफ्रिकेशन प्वाइंट, साइफन कैनाल, सप्त सरोवर, झंड ताल, सन से प्वाइंट, सब राइज प्वाइंट, लाल पुल, भीम ताल, बारहसिंगा ताल, पाइथन प्वाइंट, ओटर प्वाइंट, क्रोकोडाइल प्वाइंट, खरजा कैनाल प्वाइंट, नेचर इंटरप्रेटेशन सेंटर प्वाइंट और गोमती उद्गम स्थल बनाए गए हैं.
जितना अधिक पानी-घास, उतने सुरक्षित बाघ
बाघ पूरे दिन में सामान्य तौर पर 5 से 7 किलोमीटर विचरण करते हैं. पीलीभीत के जंगल में माला नदी सुतिया नाला और खारजा नहर से होकर गुजरती है. 2816 हेक्टेयर में ग्रास लैंड घास है. इसकी ओर हिरन, नीलगाय, जंगली सूअर आदि तरणभोजी आकर्षित रहते हैं. गर्मियों में पानी की कमी से बाघ जंगल से बाहर निकलते हैं. मानव बाघ संघर्ष भी इन दिनों में सबसे ज्यादा होता है. साल 2014 से अभी तक 29 ग्रामीणों को बाघ शिकार बना चुके हैं, वहीं, 7 बाघों के शव नदिया जंगल में मिल चुके हैं.
इस बार स्टे होम की विशेष सुविधा
टाइगर रिजर्व में आने वाले पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन हर वर्ष कुछ न कुछ नया करता है, जिससे यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो. टाइगर रिजर्व प्रशासन ने इस बार पर्यटकों को विशेष सुविधा देने के लिए जंगल के आसपास के गांवों को चिन्हित किया है. इसके चलते यहां आने वाले पर्यटकों को इन गांवों में स्टे होम (stay-home) की सुविधा दी जा रही है, जिससे घूमने आए पर्यटकों को रात्रि विश्राम के लिए आसानी से जगह मिल सके. इसको लेकर पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन ने एक प्रारूप तैयार किया है. इसके तहत गाइडलाइंस बनाकर टाइगर रिजर्व सत्र चालू होते ही स्टे होम योजना भी चालू हो चुकी है.
ढाई महीने पहले ही बंद हो गया था पीलीभीत टाइगर रिजर्व
पीलीभीत टाइगर रिजर्व का छठवां पर्यटन सत्र पिछले वर्ष 15 नवंबर से धूमधाम के साथ शुरू हुआ था, लेकिन मार्च में वैश्विक महामारी कोरोना के चलते सत्र 15 जून के बजाय 25 मार्च को ही समाप्त कर दिया गया. इससे पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन के राजस्व को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा. पीलीभीत टाइगर रिजर्व को छठवें सत्र में मात्र 17,29,976 रुपये का राजस्व मिला था. वहीं, इससे पहले पांचवें सत्र में 36,72,935 की आमदनी हुई थी.
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पीलीभीत टाइगर रिजर्व में 65 से भी अधिक हैं टाइगर
जनपद पीलीभीत की शान पीलीभीत टाइगर रिजर्व में लगातार टाइगर की संख्या बढ़ती जा रही है. इस वर्ष पीलीभीत में सबसे अधिक टाइगर की संख्या देखी गई है. पीलीभीत टाइगर रिजर्व में लगातार टाइगरों की बढ़ती हुई संख्या 65 तक पहुंच चुकी है. जानकारी देते हुए वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर बिलाल मियां ने बताया कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व जनपद पीलीभीत की ही नहीं बल्कि देश-प्रदेश की भी शान है. पीलीभीत टाइगर रिजर्व में कई प्रकार के टाइगर पाए जाते हैं, यहां तक कि यहां पर साइबेरियन टाइगर भी देखे गए हैं.
खास बात यह है कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व में टाइगर की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जो काफी खुशी की बात है. साथ ही पीलीभीत टाइगर रिजर्व को पर्यटन का बड़ा स्वरूप देने के लिए मौजूदा डीएम पुलकित खरे और डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल वैश्विक स्तर पर प्रमोट करने में किसी भी तरह की कसर नहीं छोड़ रहे हैं. अधिकारियों के इस प्रयास से लगातार पीलीभीत टाइगर रिजर्व का पर्यटन बढ़ता जा रहा है.
जनपद पीलीभीत की शान पीलीभीत टाइगर रिजर्व को वैश्विक स्तर पर पहचान देने के लिए लगातार हमारी टीम प्रयासरत है. यहां पर आने वाले लोगों को टाइगर के साथ-साथ अन्य वन्यजीवों का दीदार हो सके. इसलिए 15 पाइंट्स बनाए गए हैं, जहां पर बहुतायत संख्या में वन्य जीव पाए जाते हैं. जिससे वहां पर पहुंचकर लोग वन्यजीवों का दीदार कर रहे हैं.
-नवीन खंडेलवाल, डिप्टी डायरेक्टर, पीलीभीत टाइगर रिजर्व