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पानी बड़ी परेशानी, तलाश में वन्य जीव निकल रहे बाहर, मानव जीवन को बना रहे शिकार

जंगली इलाके में पानी का संकट के कारण वन्य जीव जंगल से बाहर निकल रहे हैं और मानव जीवन को अपना निशाना बना रहे हैं. सुखाड़ के कारण कई नदियां और जलस्रोत सूख गए है. पलामू प्रमंडल में वन्य जीव 12 लोगों को निशाना बना चुके हैं. जानकारों का मानना है कि वन्य जीव और मानव के बीच संघर्ष अभी और बढ़ेगा.

Conflict between wild animals and humans
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Published : Jan 16, 2023, 10:09 PM IST

पलामू: सुखाड़ का असर अब जंगली जीवों पर भी नजर आने लगा है. जंगली जीव पानी की तलाश में जंगल से बाहर निकल रहे हैं और मानव जीवन को निशाना बना रहे हैं. जंगली जीवों के हमले में अब तक पांच लोगों की जान गई है, जबकि एक दर्जन से अधिक लोग जख्मी हुए है. एशिया प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व और उसके आस पास के इलाके में जलसंकट गहराने लगा है. सभी प्रमुख नदियां और तालाब जनवरी महीने में ही सुख गई हैं. कई इलाकों में जलसंकट उत्पन्न होने लगा है. नतीजा है कि वन्य जीव पानी की तलाश में बाहर निकल रहे हैं, पानी वाले इलाके में ही भोजन की तलाश कर रहे हैं. जिस इलाके में पानी है उस इलाके में मानव आबादी मौजूद है जिस कारण मानव जीवन पर भोजन के लिए हमले कर रहे है.

ये भी पढ़ें- Leopard Terror in Garhwa: मानव जीवन के लिए खतरा बना तेंदुआ, उठा सकता है 200 किलो तक वजन, अकेला रहना करता है पसंद

पलामू, गढ़वा और लातेहार के इलाके में तेंदुआ लगातार हमले कर रहा है. तेंदुआ के हमले में चार बच्चो समेत पांच लोगों की जान गई है. पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने बताया कि सुखाड़ के कारण पानी की संकट है. तेंदुआ, हिरण समेत कई जीव पानी की तलाश में बाहर निकल रहे है. उन्होंने कहा कि आने वाले वक्त में स्थिति और गंभीर होने वाली है, वन्य जीव मानव जीवन पर हमला करेंगे.



जंगली इलाके में घास भी हुआ पीला: पलामू टाइगर रिजर्व समेत कई इलाको में घास में पिलापल आना शुरू हो गया है. गर्मी आने से पहले ये सब सुख जाएंगे. वन्य जीव विशेषज्ञ प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव ने बताया कि पलामू टाइगर रिजर्व के लिए खतरे की घंटी है. गर्मी आने से पहले सारे घास सूख जाएंगे. वन विभाग और अधिकारियों के लिए यह चुनौतीपूर्ण वक्त होगा. वन्यजीवों को जंगल में रखना और पानी उपलब्ध कराने के लिए एक योजना पर काम करने की जरूरत है.

पीटीआर समेत कई इलाकों के लिए खतरे की घंटी: प्रोफेसर बताते हैं कि सुखाड़ का असर अगले तीन वर्षों तक रहेगा. पलामू टाइगर रिजर्व समेत अन्य इलाकों के प्राकृतिक जलस्रोत नदी नाले सुख गए है. कई स्रोतों में आधे से भी कम पानी है. कई ऐसे जलस्रोत जो भरे रहते थे जनवरी के महीने में ही आधे हो गए हैं. पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. जिसमें से मात्र 10 वर्ग किलोमीटर में ही ग्रास लैंड मौजूद है. इस ग्रास लैंड पर भी संकट आ गई है.


ये भी पढ़ें- बदल रहा तेंदुए का व्यवहार! इंसानों को बना रहे निशाना, पलामू रेंज में 90-110 की संख्या में सक्रिय

पीटीआर में जल स्रोतों पर रखी जा रही है कड़ी निगरानी: पलामू टाइगर रिजर्व में कोयल, बूढ़ा औरंगा समेत कई नदियां बड़े जलस्रोत हैं. पीटीआर इलाके में करीब 160 से अधिक टब बनाए गए हैं. जबकि एक दर्जन से अधिक चेक डैम, दो दर्जन के करीब कच्चे तालाब हैं. पीटीआर से बाहर की बात करें तो नदियां और तालाब वन्यजीवों के लिए जलस्रोत हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि प्राकृतिक और कृत्रिम जल स्रोतों पर विभाग क्लोज मॉनिटरिंग कर रहा है. जरूरत पड़ने पर सभी जल स्रोतों में टैंकर से पानी की आपूर्ति की जाएगी. सुखाड़ और पानी की स्थिति को देखते हुए विभाग ने योजना पर काम करना शुरू कर दिया. पलामू टाइगर रिजर्व में 360 प्रकार के विभिन्न वन्यजीवों की प्रजातियां मौजूद हैं. पलामू टाइगर रिजर्व में तीन बाघ, 90 के करीब तेंदुआ, 140 से अधिक हाथी, 10 हजार के करीब हिरण, 60 बायसन, 250 से अधिक ग्रे वुल्प मौजूद हैं. पलामू टाइगर रिजर्व की सीमाएं पलामू, गढ़वा और लातेहार में फैले हुए हैं. यह इलाका हाथियों का कॉरिडोर भी है.

क्या है बारिश की स्थिति, कौन कौन सी नदियां सुख गई हैं: पलामू प्रमंडल में 2022 में 152 की जगह 36 मिलीमीटर, जुलाई में 334 की जगह 101 मिलीमीटर, अगस्त महीने में 388 की जगह 130 मिलीमीटर, सितंबर महीने में 206 की जगह 160 मिली मीटर, अक्टूबर महीने में मात्र 37 मिलीमीटर बारिश हुई है. जिस कारण कई जलस्रोत सूख गए हैं और कई सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं. पलामू प्रमंडल से सोन, कोयल, अमानत, तहले, औरंगा, बटाने, मलय, सदाबह, दुर्गावती, कनहर समेत एक दर्जन छोटी-बड़ी नदियां गुजरती. सोन और कनहर को छोड़ दिया जाए तो लगभग सारी नदियां सूख चुकी हैं.


ये भी पढ़ें- तेंदुए के हमले से ग्रामीण गंभीर रूप से जख्मी, इलाज के लिए रिम्स रेफर



हैदराबाद के मशहूर शूटर कर रहे कैम्प, पांच की जान ले चुका है तेंदुआ: वन्यजीव में तेंदुआ द्वारा पांच लोगों की जान लिए जाने के बाद हैदराबाद के मशहूर शूटर नवाब सफत अली खान गढ़वा के इलाके में कैम्प कर रहे हैं. पिछले एक पखवाड़े से वे गढ़वा में हैं, लेकिन तेंदुआ उनकी पकड़ से बाहर है. तेंदुआ ने 10 दिसंबर को लातेहार के बरवाडी में एक 12 वर्षीय बच्ची को मार डाला था. 14 दिसंबर के गढ़वा के भंडरिया प्रखंड के रोदो में 6 वर्षीय बच्ची की जान ली थी. 19 दिसंबर को गढ़वा के रंका के सेवाडीह में छह वर्षीय बच्चे को मार डाला था. 28 दिसंबर को गढ़वा के रमकंडा में एक 14 वर्षीय बच्चे को तेंदुआ ने मार डाला था. जनवरी के पहले सप्ताह में तेंदुआ ने लातेहार के इलाके में एक व्यक्ति की जान ली थी. तेंदुआ का कोई इलाका नहीं होता है यह कई दिनों तक अकेले सफर कर लेता है. विभाग के अधिकारियों के अनुसार मानव जीवन के लिए खतरा बन चुका तेंदुआ गढ़वा के भंडरिया के इलाके में अपना ठिकाना बनाए हुए हैं. तेंदुआ भंडरिया के सेवाडीह के इलाके में मौजूद, विभाग को लगातार उसी इलाके में पग मार्ग मिल रहे हैं. विभाग ने तेंदुआ को मारने के लिए अनुमति मांगी है.

पलामू: सुखाड़ का असर अब जंगली जीवों पर भी नजर आने लगा है. जंगली जीव पानी की तलाश में जंगल से बाहर निकल रहे हैं और मानव जीवन को निशाना बना रहे हैं. जंगली जीवों के हमले में अब तक पांच लोगों की जान गई है, जबकि एक दर्जन से अधिक लोग जख्मी हुए है. एशिया प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व और उसके आस पास के इलाके में जलसंकट गहराने लगा है. सभी प्रमुख नदियां और तालाब जनवरी महीने में ही सुख गई हैं. कई इलाकों में जलसंकट उत्पन्न होने लगा है. नतीजा है कि वन्य जीव पानी की तलाश में बाहर निकल रहे हैं, पानी वाले इलाके में ही भोजन की तलाश कर रहे हैं. जिस इलाके में पानी है उस इलाके में मानव आबादी मौजूद है जिस कारण मानव जीवन पर भोजन के लिए हमले कर रहे है.

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पलामू, गढ़वा और लातेहार के इलाके में तेंदुआ लगातार हमले कर रहा है. तेंदुआ के हमले में चार बच्चो समेत पांच लोगों की जान गई है. पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने बताया कि सुखाड़ के कारण पानी की संकट है. तेंदुआ, हिरण समेत कई जीव पानी की तलाश में बाहर निकल रहे है. उन्होंने कहा कि आने वाले वक्त में स्थिति और गंभीर होने वाली है, वन्य जीव मानव जीवन पर हमला करेंगे.



जंगली इलाके में घास भी हुआ पीला: पलामू टाइगर रिजर्व समेत कई इलाको में घास में पिलापल आना शुरू हो गया है. गर्मी आने से पहले ये सब सुख जाएंगे. वन्य जीव विशेषज्ञ प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव ने बताया कि पलामू टाइगर रिजर्व के लिए खतरे की घंटी है. गर्मी आने से पहले सारे घास सूख जाएंगे. वन विभाग और अधिकारियों के लिए यह चुनौतीपूर्ण वक्त होगा. वन्यजीवों को जंगल में रखना और पानी उपलब्ध कराने के लिए एक योजना पर काम करने की जरूरत है.

पीटीआर समेत कई इलाकों के लिए खतरे की घंटी: प्रोफेसर बताते हैं कि सुखाड़ का असर अगले तीन वर्षों तक रहेगा. पलामू टाइगर रिजर्व समेत अन्य इलाकों के प्राकृतिक जलस्रोत नदी नाले सुख गए है. कई स्रोतों में आधे से भी कम पानी है. कई ऐसे जलस्रोत जो भरे रहते थे जनवरी के महीने में ही आधे हो गए हैं. पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. जिसमें से मात्र 10 वर्ग किलोमीटर में ही ग्रास लैंड मौजूद है. इस ग्रास लैंड पर भी संकट आ गई है.


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पीटीआर में जल स्रोतों पर रखी जा रही है कड़ी निगरानी: पलामू टाइगर रिजर्व में कोयल, बूढ़ा औरंगा समेत कई नदियां बड़े जलस्रोत हैं. पीटीआर इलाके में करीब 160 से अधिक टब बनाए गए हैं. जबकि एक दर्जन से अधिक चेक डैम, दो दर्जन के करीब कच्चे तालाब हैं. पीटीआर से बाहर की बात करें तो नदियां और तालाब वन्यजीवों के लिए जलस्रोत हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि प्राकृतिक और कृत्रिम जल स्रोतों पर विभाग क्लोज मॉनिटरिंग कर रहा है. जरूरत पड़ने पर सभी जल स्रोतों में टैंकर से पानी की आपूर्ति की जाएगी. सुखाड़ और पानी की स्थिति को देखते हुए विभाग ने योजना पर काम करना शुरू कर दिया. पलामू टाइगर रिजर्व में 360 प्रकार के विभिन्न वन्यजीवों की प्रजातियां मौजूद हैं. पलामू टाइगर रिजर्व में तीन बाघ, 90 के करीब तेंदुआ, 140 से अधिक हाथी, 10 हजार के करीब हिरण, 60 बायसन, 250 से अधिक ग्रे वुल्प मौजूद हैं. पलामू टाइगर रिजर्व की सीमाएं पलामू, गढ़वा और लातेहार में फैले हुए हैं. यह इलाका हाथियों का कॉरिडोर भी है.

क्या है बारिश की स्थिति, कौन कौन सी नदियां सुख गई हैं: पलामू प्रमंडल में 2022 में 152 की जगह 36 मिलीमीटर, जुलाई में 334 की जगह 101 मिलीमीटर, अगस्त महीने में 388 की जगह 130 मिलीमीटर, सितंबर महीने में 206 की जगह 160 मिली मीटर, अक्टूबर महीने में मात्र 37 मिलीमीटर बारिश हुई है. जिस कारण कई जलस्रोत सूख गए हैं और कई सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं. पलामू प्रमंडल से सोन, कोयल, अमानत, तहले, औरंगा, बटाने, मलय, सदाबह, दुर्गावती, कनहर समेत एक दर्जन छोटी-बड़ी नदियां गुजरती. सोन और कनहर को छोड़ दिया जाए तो लगभग सारी नदियां सूख चुकी हैं.


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हैदराबाद के मशहूर शूटर कर रहे कैम्प, पांच की जान ले चुका है तेंदुआ: वन्यजीव में तेंदुआ द्वारा पांच लोगों की जान लिए जाने के बाद हैदराबाद के मशहूर शूटर नवाब सफत अली खान गढ़वा के इलाके में कैम्प कर रहे हैं. पिछले एक पखवाड़े से वे गढ़वा में हैं, लेकिन तेंदुआ उनकी पकड़ से बाहर है. तेंदुआ ने 10 दिसंबर को लातेहार के बरवाडी में एक 12 वर्षीय बच्ची को मार डाला था. 14 दिसंबर के गढ़वा के भंडरिया प्रखंड के रोदो में 6 वर्षीय बच्ची की जान ली थी. 19 दिसंबर को गढ़वा के रंका के सेवाडीह में छह वर्षीय बच्चे को मार डाला था. 28 दिसंबर को गढ़वा के रमकंडा में एक 14 वर्षीय बच्चे को तेंदुआ ने मार डाला था. जनवरी के पहले सप्ताह में तेंदुआ ने लातेहार के इलाके में एक व्यक्ति की जान ली थी. तेंदुआ का कोई इलाका नहीं होता है यह कई दिनों तक अकेले सफर कर लेता है. विभाग के अधिकारियों के अनुसार मानव जीवन के लिए खतरा बन चुका तेंदुआ गढ़वा के भंडरिया के इलाके में अपना ठिकाना बनाए हुए हैं. तेंदुआ भंडरिया के सेवाडीह के इलाके में मौजूद, विभाग को लगातार उसी इलाके में पग मार्ग मिल रहे हैं. विभाग ने तेंदुआ को मारने के लिए अनुमति मांगी है.

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