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पत्नी का करवा चौथ का व्रत न रखना क्रूरता नहीं, हाई कोर्ट ने निचली अदालत के तलाक के फैसले को बरकरार रखा

Delhi High court: दिल्ली हाई कोर्ट ने तलाक की एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए इसको मंजूरी दे दी है. कोर्ट ने कहा कि पति के लिए उसके जीवित रहते पत्नी को विधवा रुप में देखना पीड़ादायक है. हालांकि कि कोर्ट ने यह भी कहा कि पति के लिए पत्नी का करवा चौथ का व्रत न रखना क्रूरता नहीं है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 23, 2023, 7:28 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी पति के लिए उसके जीवित रहते पत्नी को विधवा रुप में देखना पीड़ादायक है. जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने कहा कि इस तरह का एक्ट क्रूरता है और ऐसा विवाह टिकने योग्य नहीं है. हाई कोर्ट ने पत्नी की ओर से ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. पत्नी ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

ट्रायल कोर्ट में पति ने तलाक की अर्जी दी थी जिसे ट्रायल कोर्ट ने 11 सितंबर 2018 को मंजूर कर लिया था. ट्रायल कोर्ट ने क्रूरता के आधार पर तलाक की अर्जी मंजूर की थी. हालांकि कि कोर्ट ने यह भी कहा कि पति के लिए पत्नी का करवा चौथ का व्रत न रखना क्रूरता नहीं है.

इस जोड़े की शादी 15 अप्रैल 2009 को नागपुर में हुई थी. 27 अक्टूबर 2011 में उनको एक बेटी पैदा हुई. बेटी के जन्म से कुछ दिन पहले महिला अपने ससुराल से चली गई थी. सुनवाई के दौरान पति ने आरोप लगाया कि शादी के बाद 10 जून 2009 से 15 जून 2009 के बीच जब वे हरिद्वार गए थे तो पत्नी ने पति के भाई, बहन और पिता से झगड़ा किया. सुनवाई के दौरान पति ने आरोप लगाया कि 2009 में उसकी पत्नी ने करवा चौथ का व्रत रखने से इसलिए इनकार कर दिया था क्योंकि उसने मोबाइल का रिचार्ज नहीं करवाया.

ये भी पढ़ें : डीटीसी बसों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर दिल्ली सरकार से हाईकोर्ट ने पूछे सवाल

हिंदू विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सलामती के लिए व्रत रखती हैं. कोर्ट ने कहा कि पति और पत्नी के बीच वैवाहिक संबंध इतने खराब हो गए थे कि दोनों पक्षों के बीच विश्वास और प्रेम बिल्कुल खत्म हो गया था. सुनवाई के दौरान पति ने आरोप लगाया कि जनवरी 2010 में पत्नी गुस्से में आकर खाना-पीना छोड़ दिया था. उसके बाद पति ने पत्नी के मां-पिता को बुलाया और विवाद का हल निकालने को कहा. इस पर पत्नी नाराज हो गई और टीवी फोड़ डाला.

सुनवाई के दौरान महिला ने अपने पति के इन आरोपों को खारिज किया था कि वह 147 दिन के लिए अपने मायके चली गई थी. महिला ने कहा कि उसके पति ने ही मायके जाने के लिए उकसाया था और वह मायके से दो दिन बाद ही लौट आई थी.

सुनवाई के दौरान पति ने कहा कि उसे अप्रैल 2011 में स्लिप डिस्क की समस्या हुई थी. उस वक्त उसकी देखभाल करने के बजाय उसकी पत्नी अपने माथे से सिंदूर हटा कर अपनी चूड़ियां तोड़ ली. और सफेद सूट पहन कर खुद को विधवा घोषित कर दिया. पति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाती थी.

ये भी पढ़ें : संसद की सुरक्षा में चूक मामला: आरोपी नीलम को एफआईआर की कॉपी देने के आदेश पर दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाई रोक

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी पति के लिए उसके जीवित रहते पत्नी को विधवा रुप में देखना पीड़ादायक है. जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने कहा कि इस तरह का एक्ट क्रूरता है और ऐसा विवाह टिकने योग्य नहीं है. हाई कोर्ट ने पत्नी की ओर से ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. पत्नी ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

ट्रायल कोर्ट में पति ने तलाक की अर्जी दी थी जिसे ट्रायल कोर्ट ने 11 सितंबर 2018 को मंजूर कर लिया था. ट्रायल कोर्ट ने क्रूरता के आधार पर तलाक की अर्जी मंजूर की थी. हालांकि कि कोर्ट ने यह भी कहा कि पति के लिए पत्नी का करवा चौथ का व्रत न रखना क्रूरता नहीं है.

इस जोड़े की शादी 15 अप्रैल 2009 को नागपुर में हुई थी. 27 अक्टूबर 2011 में उनको एक बेटी पैदा हुई. बेटी के जन्म से कुछ दिन पहले महिला अपने ससुराल से चली गई थी. सुनवाई के दौरान पति ने आरोप लगाया कि शादी के बाद 10 जून 2009 से 15 जून 2009 के बीच जब वे हरिद्वार गए थे तो पत्नी ने पति के भाई, बहन और पिता से झगड़ा किया. सुनवाई के दौरान पति ने आरोप लगाया कि 2009 में उसकी पत्नी ने करवा चौथ का व्रत रखने से इसलिए इनकार कर दिया था क्योंकि उसने मोबाइल का रिचार्ज नहीं करवाया.

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हिंदू विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सलामती के लिए व्रत रखती हैं. कोर्ट ने कहा कि पति और पत्नी के बीच वैवाहिक संबंध इतने खराब हो गए थे कि दोनों पक्षों के बीच विश्वास और प्रेम बिल्कुल खत्म हो गया था. सुनवाई के दौरान पति ने आरोप लगाया कि जनवरी 2010 में पत्नी गुस्से में आकर खाना-पीना छोड़ दिया था. उसके बाद पति ने पत्नी के मां-पिता को बुलाया और विवाद का हल निकालने को कहा. इस पर पत्नी नाराज हो गई और टीवी फोड़ डाला.

सुनवाई के दौरान महिला ने अपने पति के इन आरोपों को खारिज किया था कि वह 147 दिन के लिए अपने मायके चली गई थी. महिला ने कहा कि उसके पति ने ही मायके जाने के लिए उकसाया था और वह मायके से दो दिन बाद ही लौट आई थी.

सुनवाई के दौरान पति ने कहा कि उसे अप्रैल 2011 में स्लिप डिस्क की समस्या हुई थी. उस वक्त उसकी देखभाल करने के बजाय उसकी पत्नी अपने माथे से सिंदूर हटा कर अपनी चूड़ियां तोड़ ली. और सफेद सूट पहन कर खुद को विधवा घोषित कर दिया. पति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाती थी.

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