अहमदाबाद: देश में कोरोना महामारी का प्रकोप जारी है. आंकड़ों पर नजर डालें तो हर दिन नए मामले बढ़ते जा रहे हैं. वहीं, कोरोना से आम जीवन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. गुजरात से एक नया मामला सामने आया है, जो काफी चौंकाने वाला है.
बता दें, गुजरात में कोरोना महामारी से एक शख्स वेंटीलेटर पर है और अंतिम सांसें गिन रहा है, लेकिन इस शख्स की पत्नी पति की आखिरी निशानी के तौर पर उससे एक बच्चा चाहती है. इसी सिलसिले में महिला ने गुजरात हाईकोर्ट में आईवीएफ की मदद से उसके स्पर्म से बच्चा पाने की गुहार लगाई है.
बता दें, अस्मिताबेन (बदला हुआ नाम) की अक्टूबर 2020 में शादी हुई थी. कोरोना महामारी की दूसरी लहर में उसका पति सुरेशभाई (बदला हुआ नाम) कोरोना पॉजिटिव हो गया. सुरेशभाई की हालत इस हद तक बिगड़ गई कि उनके कई अंग फेल हो गए और डॉक्टर ने उनके बचने की उम्मीद छोड़ दी. इन परिस्थितियों में अस्मिताबेन ने अपने रिश्ते को चिह्नित करने के लिए आईवीएफ तकनीक के माध्यम से एक बच्चा पैदा करने की इच्छा व्यक्त की है.
मामले की सुनवाई करते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने अपनी मंजूरी दी है. दरअसल, गुजरात हाईकोर्ट ने वडोदरा के एक अस्पताल को कोरोना मरीज के स्पर्म सैंपल के संग्रह के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) प्रक्रिया को कराने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने यह आदेश उस गुहार के बाद दिया, जिसमें वेंटिलेटर पर अपनी अंतिम सांसे गिन रहे कोरोना मरीज सुरेशभाई (बदला हुआ नाम) की पत्नी अस्मिताबेन ने उसके स्पर्म से मातृत्व धारण करने की इच्छा जताई थी.
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गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को 'असाधारण तत्काल स्थिति' मानते हुए आदेश को जारी किया. दरअसल, कोरोना संक्रमित की पत्नी ने स्पर्म के सैंपल को सुरक्षित करवाने को लेकर एक याचिका दायर की थी. अस्मिताबेन की याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति आशुतोष जे शास्त्री ने वडोदरा स्थित अस्पताल को उसके नमूने के संग्रह के लिए आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) प्रक्रिया का संचालन करने और इसे मेडिकल एडवाइस के आधार पर उचित स्थान पर संग्रहीत करने का निर्देश दिया.