औरंगाबादः बहुत पुरानी बिरहा है, जिसमें पत्नी गाती है, ''रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे..'' इसमें गांव की उस महिलाओं के दर्द को दर्शाया गया है, जिसके पति परदेश कमाने के लिए चला जाता है. इसमें पत्नी का पति से बिछड़ने का दर्द है दर्शाया गया है. पति के वियोग में पत्नी इसे गाती है. ऐसा ही मामला बिहार के औरंगाबाद से सामने आया है, लेकिन यह वियोग इतनी दुखदायी है कि बयां नहीं किया जा सकता.
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औरंगाबाद में महिला ने दो बच्चों संग की आत्महत्याः दरअसल, औरंगाबाद में एक महिला अपने पति के परदेश जाने से इतनी नाराज हो गई कि उसने अपनी दो बेटियों के साथ जान (Woman commits suicide with daughters in Bihar) दे दी. पहले उसने दोनों बेटियों को जहर दे दिया, इसके बाद खुद जहर खा ली. इलाज के दौरान उसे बचाने का काफी प्रयास किया गया, लेकिन तीनों की इलाज के दौरान मौत हो गई. पति के परदेश जाने का ऐसा दर्द आज तक न किसी ने महसूस किया होगा और न करना चाहेगा.
बिहार से पलायन एक अभिशापः यह मामला जिले ओबरा थानाक्षेत्र का है. मृतका की पहचान ओबरा बाजार निवासी सितारा और उसकी दो बेटी सना और सिजा के रूप में हुई है. बता दें कि सितारा पहली ऐसी महिला नहीं थी, जिसका पति कमाने के लिए परदेश गए हों. यह तो वर्षों के चला रहा है. रोजगार के लिए पलायन तो बिहार वासियों के लिए एक श्राप है, जो पता नहीं कब खत्म होगा?
पति से बिछड़ने का दर्द नहीं झेल पाई सिताराः वर्तमान में बिहार के लाखों लोग रोजगार के लिए पलायन करते हैं. इसमें एक सितारा का पति मो. रुस्तम भी था. जो अपने परिवार का भरन पोषण करने के लिए परदेश गया था. रुस्तम की पत्नी चाहती थी कि उसका पति अपने राज्य में ही रहकर नौकरी करे, लेकिन रोजगार की कमी के कारण उसे परदेश जाना पड़ा. इस दर्द को सितारा नहीं झेल पाई और अपनी दो बेटियों के साथ जीवन लीला समाप्त कर ली.
औरंबागाद में दो बेटियों के साथ आत्महत्याः मृतका के ससुर के अनुसार रुस्तम परदेश में काम करता था. सितारा कहती थी कि रुस्तम अपने जिले में ही काम खोज ले. इसको लेकर दोनों में विवाद होते रहता था. लेकिन रुस्तम के कंधे पर परिवार का भरन पोषण था इसलिए वह पत्नी के बार बार मना करने के बाद भी परदेश चला गया. इसीलिए नाराज सितारा ने खुद को कमरे में बंद कर 2 बेटियों के साथ आत्महत्या कर ली.
"बेटा मोहम्मद रुस्तम बाहर काम करता है. इसी बात को लेकर उसका पत्नी से अक्सर विवाद होता था. सितारा रुस्तम को बाहर काम करने के लिए नहीं जाने देना चाहती थी लेकिन मंगलवार को रुस्तम बाहर चला गया. इसी से नाराज सितारा ने बेटियों के साथ आत्महत्या कर ली."-मो. गनी, मृतका के ससुर
कौन सुनेगा बिहारी का दर्दः घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने तीनों के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज आगे की कार्रवाई में जुट गई है. पुलिस ने तो अपना फर्ज निभा दी, लेकिन इस तरह के दर्द बिहार के हर घरों में देखने को मिलता है. इस दर्द को कम करने में सरकार कब फर्ज निभाएगी? यह सवाल वर्षों से उभर रहे हैं.
सरकार के पास पलायन का आंकड़ा नहींः बता दें कि हर साल बिहार से लाखों मजदूर नौकरी की तलाश में पलायन करते हैं. बिहार में काम नहीं मिलने के कारण दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात सहित अन्य प्रदेश में मजदूर काम करने के लिए जाते हैं. सरकार के पास तो इसका कोई आंकड़ा नहीं है, लेकिन गैर सरकारी रिपोर्ट की मानें तो सबसे ज्यादा एसटी/एससी और ओबीसी वर्ग के आते हैं. यही नहीं इसमें सामान्य वर्ग के भी लोग शामिल हैं, जो रोगजार की तलाश में अपना घरवार छोड़ देते हैं.
हर साल 40 लाख लोग करते हैं पलायनः गैर सरकारी रिपोर्ट के अनुसार बिहार से हर साल 40 लाख से ज्यादा मजदूर रोजगार के तलाश में दूसरे राज्य में जाते हैं. पलायन करने वालों में 36 प्रतिशत एससी-एसटी तो 58 प्रतिशत ओबीसी के मजदूर शामिल हैं. इसके अलावा 20 से 25 प्रतिशत सामान्य जाति के लोग भी हैं, जो नौकरी करने के लिए दूसरे राज्य जाते हैं.
बिहार में रोजगार की कमीः बिहार से दूसरे राज्य में नौकरी करने के लिए जाने वाले 58 प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जो गरीबी रेखा के नीचे हैं. इसका कारण है कि बिहार में 65 प्रतिशत लोगों के पास खेती करने के लिए जमीन नहीं है. इसके अलावा बिहार में रोजगार की कमी से दूसरे राज्य जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं जब कोरोना काल के समय लाखों लोग दूसरे राज्य से बिहार लौटे थे.
बिहार में पलायन का दर्दः बिहार से पलायन का दर्द काफी पुराना है. अपने राज्य में नौकरी नहीं मिलने के कारण मजबूरन दूसरे राज्य में जाना पड़ता है. इसी पलायन का दर्द बिहार के औरंगाबाद में देखने को मिला. अगर सितारा के पति घर के आसपास ही नौकरी कर लेता तो आज वह अपनी 2 बेटियों के साथ जान नहीं गवांती. यह दर्द सिर्फ सितारा का नहीं बल्कि पूरे बिहार के लोगों के लिए है.