नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें कहा गया था कि दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी की विधवा या तलाकशुदा बेटी स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना के तहत आश्रित पेंशन के लिए पात्र नहीं है.
न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव ने केंद्र से आठ सप्ताह के भीतर आश्रित पेंशन देने के मामले पर विचार करने के लिए कहा, बशर्ते वह योजना के तहत अन्य शर्तों को पूरा करती हो. न्यायालय दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी की विधवा बेटी की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें आदेश को चुनौती दी गई थी.
न्यायाधीश ने कहा कि वह देश के अन्य उच्च न्यायालयों के विचार से सहमत हैं, जिन्होंने इस योजना के तहत उन तलाकशुदा और विधवा बेटियों को पेंशन का लाभ दिया है जो आश्रित हैं.
अदालत ने आदेश दिया, 'वर्तमान रिट याचिका स्वीकार की जाती है. बारह फरवरी 2020 का आदेश रद्द किया जाता है. प्रतिवादी याचिकाकर्ता को पेंशन योजना के तहत आश्रित पेंशन देने के याचिकाकर्ता के मामले पर विचार करेंगे, अगर वह योजना के तहत अन्य शर्तों को पूरा करती है.'
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पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक फैसले का जिक्र करते हुए, अदालत ने कहा कि बेटियों को योजना के दायरे से पूरी तरह से बाहर नहीं रखा गया है क्योंकि एक अविवाहित बेटी का उल्लेख पात्र आश्रितों की सूची में किया गया था और इस प्रकार एक तलाकशुदा बेटी को बाहर करना एक उपहास होगा जो एक आश्रित है.
वर्तमान मामले में दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी, जो योजना का लाभ प्राप्त कर रहा था, का नवंबर 2019 में निधन हो गया और वह अपने पीछे अपनी विधवा बेटी को छोड़ गया जो शारीरिक रूप से दिव्यांग, मानसिक रूप से विक्षिप्त और बेरोजगार है.
गौरतलब है कि केन्द्र ने फरवरी 2020 में उसे यह कहते हुए एक संदेश भेजा कि आश्रित के लिए उसका अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया है क्योंकि संशोधित नीति दिशानिर्देशों में विधवा / तलाकशुदा बेटी को पात्र नहीं माना गया है.
(पीटीआई भाषा)