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तंजानिया को भारत का रणनीतिक साझेदार क्यों बनाया गया है ?

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 10, 2023, 3:40 PM IST

तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहु हसन की नई दिल्ली यात्रा के दौरान भारत और तंजानिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया गया है. द्विपक्षीय के अन्य पहलुओं के अलावा इससे हिंद महासागर के पूर्वी तट जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में भारत के समुद्री और रक्षा हितों को काफी बढ़ावा मिलेगा. पढ़िए अरुणिम भुइयां की रिपोर्ट... (Why Tanzania made strategic partner of India,Tanzanian President Samia Suluhu Hassan, Tanzanian President India Visit)

Why Tanzania has been made strategic partner of India
तंजानिया को भारत का रणनीतिक साझेदार क्यों बनाया गया

नई दिल्ली: भारत के साथ तंजानिया अपने रिश्ते को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने के साथ दुनिया के उस हिस्से के साथ नई दिल्ली की गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहु हसन (Tanzanian President Samia Suluhu Hassan) के बीच सोमवार को हुई बातचीत के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया था कि रणनीतिक साझेदारी से दोनों देशों को समुद्री सुरक्षा, रक्षा सहयोग, विकास साझेदारी, व्यापार और निवेश जैसे मुद्दों पर संयुक्त रूप से काम करने में मदद मिलेगी. हाल के समय में दोनों पक्षों के बीच राजनयिक और रक्षा सहयोग गतिविधियों में तेजी आने के ठीक बाद आया है.

बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस साल जुलाई में तंजानिया का दौरा किया था, जिस दौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास (आईआईटी-एम) ने ज़ांज़ीबार में अपना पहला विदेशी परिसर खोला था. वहीं इस महीने की शुरुआत में थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे तंजानिया की चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर गए थे. यात्रा के दौरान उन्होंने तंजानिया के रक्षा मंत्री स्ट्रेगोमेना लॉरेंस टैक्स और रक्षा बल के प्रमुख जनरल जैकब जॉन मकुंडा से मुलाकात की थी.

इस वर्ष जून में, भारत-तंजानिया संयुक्त रक्षा सहयोग समिति की दूसरी बैठक तंजानिया के अरुशा में आयोजित की गई थी. राष्ट्रपति हसन की वर्तमान भारत यात्रा भी पिछले महीने नई दिल्ली में आयोजित अंतर-सरकारी मंच के वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान अफ्रीकी संघ को जी20 का स्थायी सदस्य बनाए जाने के बाद हो रही है. तो, तंजानिया भारत के लिए इतना महत्वपूर्ण भागीदार बनकर क्यों उभरा है?

इस संबंध में मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस की सलाहकार और अफ्रीका की विशेषज्ञ रुचिता बेरी ने ईटीवी भारत को बताया कि हमारे बीच राजनीतिक और ऐतिहासिक संबंध बहुत पुराने हैं. उन्होंने कहा कि तंजानिया में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं. इनमें से कई लोग गुजरात से आए थे. तंजानिया को अपेक्षाकृत स्थिर देश बताते हुए बेरी ने कहा कि पूर्वी अफ्रीकी देश लंबे समय से भारत के साथ अपने संबंधों को उन्नत करने का इच्छुक था.

उन्होंने कहा कि हम समुद्री क्षेत्र साझा करते हैं. हम समुद्री पड़ोसी हैं. हम आईओआरए (हिंद महासागर रिम एसोसिएशन) के सदस्य हैं. यह इंगित करते हुए कि तंजानिया से भारत की लगातार उच्च-स्तरीय यात्राएं होती रही हैं, बेरी ने कहा कि नई दिल्ली भी साझेदारी को बढ़ाने में समान रूप से रुचि रखती है. उन्होंने कहा कि रक्षा साझेदारी में काफी प्रगति हुई है. दोनों देशों ने रक्षा साझेदारी बढ़ाने के लिए पांच साल का रोडमैप विकसित करने का फैसला किया गया है. संयुक्त बयान के अनुसार, राष्ट्रपति हसन की यात्रा के दौरान तंजानिया पक्ष ने डुलुटी में कमांड एंड स्टाफ कॉलेज में भारतीय सैन्य प्रशिक्षण टीम (आईएमटीटी) की तैनाती की सराहना की. साथ ही कहा गया कि 31 मई, 2022 और 2 अक्टूबर, 2023 को दार-ए-सलाम में दो बार रक्षा एक्सपो की सफल मेजबानी को ध्यान में रखते हुए, जिसमें कई भारतीय रक्षा कंपनियों की भागीदारी देखी गई थी, इसको लेकर दोनों पक्षों ने रक्षा उद्योग के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने में रुचि दिखाई.

दोनों नेताओं ने तंजानिया बलों के साथ-साथ उद्योग की क्षमता निर्माण की दिशा में दोनों पक्षों के बीच सहयोग की प्रगति पर भी प्रसन्नता जताई. जापान के पूर्वी तट से लेकर अफ्रीका के पूर्वी तट तक फैले हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नई दिल्ली के रणनीतिक हितों को देखते हुए, समुद्री सहयोग भारत और तंजानिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण पहलू है. बता दें कि भारत उस क्वाड का हिस्सा है जिसमें अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं जो क्षेत्र में चीन के आधिपत्य के मुकाबले स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के लिए काम कर रहे हैं. संयुक्त बयान के मुताबिक यह स्वीकार करते हुए कि भारत और तंजानिया समुद्री पड़ोसी हैं जो आम समुद्री सुरक्षा चुनौतियों का सामना करते हैं.

दोनों पक्ष हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए.बयान में कहा गया है कि तंजानिया पक्ष ने पर्यटन, समुद्री व्यापार, सेवाओं और बुनियादी ढांचे, समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान, समुद्री खनन में क्षमता, महासागर संरक्षण और समुद्री सुरक्षा और संरक्षा सहित नीली अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भारत सरकार के साथ सहयोग करने में रुचि व्यक्त की. तंजानिया को एक रणनीतिक भागीदार के रूप में रखने से भारत को पूर्वी अफ्रीका के अन्य भूमि से घिरे देशों तक आसान पहुंच मिल जाएगी. दरअसल, पूर्वी अफ्रीकी समुदाय का मुख्यालय तंजानिया के अरुशा में स्थित है. बेरी ने कहा कि भारत तंजानिया का एक महत्वपूर्ण विकासात्मक सहायता और क्षमता निर्माण भागीदार भी है.

उन्होंने कहा कि भारत सरकार की छात्रवृत्ति पर पूर्वी अफ्रीका से आने वाले छात्रों में सबसे ज्यादा संख्या तंजानिया से है. वहीं ग्लोबल साउथ के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में भारत ने इस बार तंजानिया के लिए 1,000 अतिरिक्त भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) छात्रवृत्ति की भी घोषणा की. इसका उपयोग स्मार्ट पोर्ट, अंतरिक्ष, जैव प्रौद्योगिकी जैसे नए और उभरते क्षेत्रों में पांच साल की अवधि में किया जाएगा. संयुक्त बयान के अनुसार तंजानिया ने जल, स्वास्थ्य, शिक्षा, क्षमता निर्माण, छात्रवृत्ति और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के क्षेत्रों में भारत की विकास साझेदारी सहायता की भी सराहना की. भारत और तंजानिया आर्थिक, वाणिज्यिक और व्यावसायिक संबंध भी साझा करते हैं. साथ ही भारत 2021-22 में 4.58 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ तंजानिया का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है.

तंजानिया निवेश केंद्र के अनुसार भारत, तंजानिया में शीर्ष पांच निवेश स्रोतों में से एक है, जिसमें भारतीय निवेश 3.68 बिलियन डॉलर तक है. तंजानिया में काम करने वाली प्रमुख भारतीय कंपनियों में एयरटेल, टाटा अफ्रीका होल्डिंग्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, कमल ग्रुप, कल्पतरु, तंजिंदिया, लार्सन एंड टुब्रो, एफकॉन्स, हेस्टर बायोसाइंसेज, महाश्री एग्रो और पुरंदरे इंडस्ट्रीज शामिल हैं. हिंद महासागर के पूर्वी तट जैसे भू-राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में रणनीतिक साझेदार होने से भारत को अफ्रीकी महाद्वीप में चीनी घुसपैठ का मुकाबला करने में भी मदद मिलेगी.

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नई दिल्ली: भारत के साथ तंजानिया अपने रिश्ते को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने के साथ दुनिया के उस हिस्से के साथ नई दिल्ली की गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहु हसन (Tanzanian President Samia Suluhu Hassan) के बीच सोमवार को हुई बातचीत के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया था कि रणनीतिक साझेदारी से दोनों देशों को समुद्री सुरक्षा, रक्षा सहयोग, विकास साझेदारी, व्यापार और निवेश जैसे मुद्दों पर संयुक्त रूप से काम करने में मदद मिलेगी. हाल के समय में दोनों पक्षों के बीच राजनयिक और रक्षा सहयोग गतिविधियों में तेजी आने के ठीक बाद आया है.

बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस साल जुलाई में तंजानिया का दौरा किया था, जिस दौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास (आईआईटी-एम) ने ज़ांज़ीबार में अपना पहला विदेशी परिसर खोला था. वहीं इस महीने की शुरुआत में थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे तंजानिया की चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर गए थे. यात्रा के दौरान उन्होंने तंजानिया के रक्षा मंत्री स्ट्रेगोमेना लॉरेंस टैक्स और रक्षा बल के प्रमुख जनरल जैकब जॉन मकुंडा से मुलाकात की थी.

इस वर्ष जून में, भारत-तंजानिया संयुक्त रक्षा सहयोग समिति की दूसरी बैठक तंजानिया के अरुशा में आयोजित की गई थी. राष्ट्रपति हसन की वर्तमान भारत यात्रा भी पिछले महीने नई दिल्ली में आयोजित अंतर-सरकारी मंच के वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान अफ्रीकी संघ को जी20 का स्थायी सदस्य बनाए जाने के बाद हो रही है. तो, तंजानिया भारत के लिए इतना महत्वपूर्ण भागीदार बनकर क्यों उभरा है?

इस संबंध में मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस की सलाहकार और अफ्रीका की विशेषज्ञ रुचिता बेरी ने ईटीवी भारत को बताया कि हमारे बीच राजनीतिक और ऐतिहासिक संबंध बहुत पुराने हैं. उन्होंने कहा कि तंजानिया में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं. इनमें से कई लोग गुजरात से आए थे. तंजानिया को अपेक्षाकृत स्थिर देश बताते हुए बेरी ने कहा कि पूर्वी अफ्रीकी देश लंबे समय से भारत के साथ अपने संबंधों को उन्नत करने का इच्छुक था.

उन्होंने कहा कि हम समुद्री क्षेत्र साझा करते हैं. हम समुद्री पड़ोसी हैं. हम आईओआरए (हिंद महासागर रिम एसोसिएशन) के सदस्य हैं. यह इंगित करते हुए कि तंजानिया से भारत की लगातार उच्च-स्तरीय यात्राएं होती रही हैं, बेरी ने कहा कि नई दिल्ली भी साझेदारी को बढ़ाने में समान रूप से रुचि रखती है. उन्होंने कहा कि रक्षा साझेदारी में काफी प्रगति हुई है. दोनों देशों ने रक्षा साझेदारी बढ़ाने के लिए पांच साल का रोडमैप विकसित करने का फैसला किया गया है. संयुक्त बयान के अनुसार, राष्ट्रपति हसन की यात्रा के दौरान तंजानिया पक्ष ने डुलुटी में कमांड एंड स्टाफ कॉलेज में भारतीय सैन्य प्रशिक्षण टीम (आईएमटीटी) की तैनाती की सराहना की. साथ ही कहा गया कि 31 मई, 2022 और 2 अक्टूबर, 2023 को दार-ए-सलाम में दो बार रक्षा एक्सपो की सफल मेजबानी को ध्यान में रखते हुए, जिसमें कई भारतीय रक्षा कंपनियों की भागीदारी देखी गई थी, इसको लेकर दोनों पक्षों ने रक्षा उद्योग के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने में रुचि दिखाई.

दोनों नेताओं ने तंजानिया बलों के साथ-साथ उद्योग की क्षमता निर्माण की दिशा में दोनों पक्षों के बीच सहयोग की प्रगति पर भी प्रसन्नता जताई. जापान के पूर्वी तट से लेकर अफ्रीका के पूर्वी तट तक फैले हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नई दिल्ली के रणनीतिक हितों को देखते हुए, समुद्री सहयोग भारत और तंजानिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण पहलू है. बता दें कि भारत उस क्वाड का हिस्सा है जिसमें अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं जो क्षेत्र में चीन के आधिपत्य के मुकाबले स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के लिए काम कर रहे हैं. संयुक्त बयान के मुताबिक यह स्वीकार करते हुए कि भारत और तंजानिया समुद्री पड़ोसी हैं जो आम समुद्री सुरक्षा चुनौतियों का सामना करते हैं.

दोनों पक्ष हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए.बयान में कहा गया है कि तंजानिया पक्ष ने पर्यटन, समुद्री व्यापार, सेवाओं और बुनियादी ढांचे, समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान, समुद्री खनन में क्षमता, महासागर संरक्षण और समुद्री सुरक्षा और संरक्षा सहित नीली अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भारत सरकार के साथ सहयोग करने में रुचि व्यक्त की. तंजानिया को एक रणनीतिक भागीदार के रूप में रखने से भारत को पूर्वी अफ्रीका के अन्य भूमि से घिरे देशों तक आसान पहुंच मिल जाएगी. दरअसल, पूर्वी अफ्रीकी समुदाय का मुख्यालय तंजानिया के अरुशा में स्थित है. बेरी ने कहा कि भारत तंजानिया का एक महत्वपूर्ण विकासात्मक सहायता और क्षमता निर्माण भागीदार भी है.

उन्होंने कहा कि भारत सरकार की छात्रवृत्ति पर पूर्वी अफ्रीका से आने वाले छात्रों में सबसे ज्यादा संख्या तंजानिया से है. वहीं ग्लोबल साउथ के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में भारत ने इस बार तंजानिया के लिए 1,000 अतिरिक्त भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) छात्रवृत्ति की भी घोषणा की. इसका उपयोग स्मार्ट पोर्ट, अंतरिक्ष, जैव प्रौद्योगिकी जैसे नए और उभरते क्षेत्रों में पांच साल की अवधि में किया जाएगा. संयुक्त बयान के अनुसार तंजानिया ने जल, स्वास्थ्य, शिक्षा, क्षमता निर्माण, छात्रवृत्ति और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के क्षेत्रों में भारत की विकास साझेदारी सहायता की भी सराहना की. भारत और तंजानिया आर्थिक, वाणिज्यिक और व्यावसायिक संबंध भी साझा करते हैं. साथ ही भारत 2021-22 में 4.58 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ तंजानिया का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है.

तंजानिया निवेश केंद्र के अनुसार भारत, तंजानिया में शीर्ष पांच निवेश स्रोतों में से एक है, जिसमें भारतीय निवेश 3.68 बिलियन डॉलर तक है. तंजानिया में काम करने वाली प्रमुख भारतीय कंपनियों में एयरटेल, टाटा अफ्रीका होल्डिंग्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, कमल ग्रुप, कल्पतरु, तंजिंदिया, लार्सन एंड टुब्रो, एफकॉन्स, हेस्टर बायोसाइंसेज, महाश्री एग्रो और पुरंदरे इंडस्ट्रीज शामिल हैं. हिंद महासागर के पूर्वी तट जैसे भू-राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में रणनीतिक साझेदार होने से भारत को अफ्रीकी महाद्वीप में चीनी घुसपैठ का मुकाबला करने में भी मदद मिलेगी.

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