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टोक्यो में रूसी खिलाड़ी पदक जीत रहे हैं लेकिन वो रूस के खाते में नहीं जा रहे, आखिर क्यों ? - टोक्यो ओलंपिक्स

रूस के खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक में पदक तो जीत रहे हैं लेकिन अपने देश के नाम पर नहीं. रूस के खिलाड़ी बाकी देश के खिलाड़ियों की तरह अपने देश के नाम, झंडे या राष्ट्रगान का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. आखिर इसकी वजह बड़ी दिलचस्प है, जिसे जानने के लिए पढ़िये पूरी खबर

russian team
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Published : Jul 29, 2021, 7:55 PM IST

हैदराबाद: क्या टोक्यो ओलंपिक की पदक तालिका में आपको कहीं रूस नजर आया ? अगर नहीं दिखा तो सवाल है कि क्या रूस इस ओलंपिक में हिस्सा नहीं ले रहा ? या बड़े खेल आयोजनों में पदकों की झड़ी लगाने वाले रूस के खिलाड़ी पदक नहीं जीत रहे ? ऐसा बिल्कुल नहीं है, रूस के 335 एथलीट इस ओलंपिक में हिस्सा भी ले रहे हैं और पदक भी जीत रहे हैं. गुरुवार तक रूसी खिलाड़ी 7 गोल्ड समेत कुल 26 पदकों के साथ पदक तालिका में 5वें स्थान पर थे. लेकिन पदक तालिका में रूस नहीं बल्कि ROC लिखा है.

ना देश का नाम, ना झंडा, ना राष्ट्रगान

ROC यानि रशियन ओलंपिक कमेटी (russian olympic committee), रूस के खिलाड़ी इस ओलंपिक में अपने देश के झंडे के नहीं बल्कि ROC के झंडे के तले खेल रहे हैं. इस दौरान ना तो उनकी जर्सी पर देश का नाम या झंडा है और ना ही पदक जीतने पर उनके देश का झंडा बुलंद हो रहा है. इतना ही नहीं रूसी खिलाड़ियों के पदक जीतने पर रूस का राष्ट्रगान भी नहीं बजता, उसकी जगह प्यानो की एक धुन बजती है.

ओलंपिक जैसे बड़े खेल आयोजनों में रूस के खिलाड़ियों का प्रदर्शन शानदार रहता है. टोक्यो से पहले 2016 रियो ओलंपिक्स में रूस के खिलाड़ी 19 गोल्ड मेडल के साथ 56 पदक जीते थे और पदक तालिका में रूस चौथे स्थान पर रहा था. इसी तरह 2012 लंदन ओलंपिक्स में 68 पदकों के साथ चौथे, 2008 बीजिंग में 60 पदकों के साथ तीसरे और साल 2000 के सिडनी ओलंपिक्स में 89 पदकों के साथ रूस दूसरे स्थान पर था. इस बार भी रूस के खिलाड़ी पदक जीत रहे हैं और अंक तालिका में टॉप-5 में बने हुए हैं, लेकिन रूसी खिलाड़ी ये पदक अपने देश के नाम पर नहीं जीत रहे.

ROC के लिए खेल रहे हैं रूसी खिलाड़ी
ROC के लिए खेल रहे हैं रूसी खिलाड़ी

ये भी पढ़ें: गोल्ड मेडल में कितना सोना, एक क्लिक में जानें मेडल से जुड़ी हर बात

आखिर वजह क्या है ?

दरअसल इसकी वजह है वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (WADA) का लगाया गया बैन. World Anti Doping Agency (वाडा) ने साल 2019 में रूस पर टोक्यो ओलंपिक 2020, फीफा वर्ल्डकप 2022 समेत सभी प्रमुख खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने पर चार साल का बैन लगा दिया था.

बीते 5 ओलंपिक्स में रूस का प्रदर्शन
बीते 5 ओलंपिक्स में रूस का प्रदर्शन

क्यों लगाया गया था बैन ?

रूस पर आरोप लगा था कि वो डोप टेस्ट के लिए खिलाड़ियों के अपने खिलाड़ियों के गलत सैंपल भेज रहा है. जांच के दौरान इसकी पुष्टि हुई कि सैंपल्स से छेड़छाड़ की गई है. जिसके बाद WADA ने रूस पर 4 साल का बैन लगा दिया. जिसके तहत टोक्यो और फीफा विश्व कप 2022 में रूस हिस्सा नहीं ले सकता है. हालांकि वाडा के नियमों के मुताबिक जो खिलाड़ी डोपिंग के दोषी नहीं पाए गए उन्हें न्यूट्रल खिलाड़ियों क तौर पर अतंरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने की अनुमति मिल गई. इसी के तहत रूस के खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं. रूस पर कई सालों तक इस तरह के डोपिंग कार्यक्रम चलाने का आरोप लगा, जिसपर अंतरराष्ट्रीय महासंघों को प्रतिबंध का फैसला लेना पड़ा.

बैन की वजह से रूसी खिलाड़ियों की जर्सी पर भी ROC का झंडा
बैन की वजह से रूसी खिलाड़ियों की जर्सी पर भी ROC का झंडा

रूस के खिलाफ एक्शन

डोपिंग में संलिप्त खिलाड़ियों के नाम जानने के लिए मॉस्को की प्रयोगशाला से एथलीटों के डेटा मांगे गए लेकिन उसेक बाद भी रूस पर डेटा में हेरा फेरी के आरोप लगे जिसके बाद वाडा ने बैन का फैसला लिया. डोपिंग से जुड़े खुलासों के बाद रूस की एंटी डोपिंग लैब की मान्यता रद्द कर दी गई. साल 2016 के रियो ओलंपिक में शामिल होने वाले रूसी खिलाड़ियों में से 111 को हटा दिया गया.

टोक्यो ओलंपिक में ROC के झंडे तले खेल रहे रूसी खिलाड़ी
टोक्यो ओलंपिक में ROC के झंडे तले खेल रहे रूसी खिलाड़ी

साल 2018 में दक्षिण कोरिया में हुए विंटर ओलंपिक में भी रूसी खिलाड़ियों पर बैन की सिफारिश की गई . बाद रूस के 168 खिलाड़ियों को इसमें हिस्सा लेने की इजाजत मिली लेकिन रूस का झंडा फहराने पर रोक लगाई गई.

कैसे खुली थी रूस की पोल ?

साल 2014 में यूलिया स्टेपानोवा नाम की एक एथलीट और उसके पति विटाले ने एक जर्मन डॉक्यूमेंट्री में रूस में चल रहे इस गोरखधंधे के बारे में बताया. विटाले रूस की एंटी डोपिंग एजेंसी में काम कर चुके थे. उनके खुलासे के बाद रूसी डोपिंग कार्यक्रम दुनिया के सामने आया. इसके बाद एंटी डोपिंग लेबोरेटरी के डायरेक्टर रहे ग्रेगॉरी रॉडशनकॉफ ने भी माना था कि उन्होंने ऐसे पदार्थ बनाए थे जिससे रूसी एथलीटों को बेहतर खेलने में मदद मिलती.

रॉडशनकॉफ ने कबूला कि खिलाड़ियों के सैंपल (यूरिन के नमूने) बदल दिए जाते थे ताकि जांच में ड्रग की बात का पता ना चले. उनके मुताबिक रूसी अधिकारियों की तरफ से एक खुफिया अधिकारी लैब में नियुक्त किया गया था, जो इस सब पर नजर रखता था.

इस बार देश का नाम, झंडा और राष्ट्रगान इस्तेमाल नहीं कर सकते रूसी खिलाड़ी
इस बार देश का नाम, झंडा और राष्ट्रगान इस्तेमाल नहीं कर सकते रूसी खिलाड़ी

महिला एथलीट की जगह पुरुषों के यूरिन सैंपल

रूस के इस कारनामे की जब जांच हुई तो चौंकाने वाले खुलासे हुए. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (International Olympic Committee) से लेकर वाडा और समेत तमाम खेल महासंघों ने इस मामले की जांच की. जिसके मुताबिक साल 2012 से लेकर 2015 तक 30 खेलों में लगभग 1000 एथलीटों को इस डोपिंग प्रोग्राम से फायदा पहुंचाया गया. साथ ही बताया गया कि विभिन्न खेलों से संबंधित खिलाड़ियों ने किस तरह से टेस्ट में टाल मटोल किया और डोपिंग से जुड़े अधिकारियों को चकमा दिया गया.

रियो ओलंपिक में रूस की टीम (बाएं), टोक्यो ओलंपिक में रूसी खिलाड़ी (दाएं)
रियो ओलंपिक में रूस की टीम (बाएं), टोक्यो ओलंपिक में रूसी खिलाड़ी (दाएं)

रिपोर्ट में दो महिला खिलाड़ियों का भी जिक्र था जिनके यूरिन सैंपल की बजाय पुरुषों के यूरीन सैंपल दिए गए. मास्को में क्लीन यूरिन बैंक होने की बात भी सामने आई. जिसके बाद रूसी एथलीटों के नमूनों की दोबारा जांच हुई. खिलाड़ियों पर बैन से लेकर मेडल वापस लेने तक की कार्रवाई हुई. हालांकि जिन खिलाड़ियों पर कोई आरोप नहीं थे और डोप टेस्ट में भी पास हुए वो खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक में रशियन ओलंपिक कमेटी के बैनर तले हिस्सा ले रहे हैं.

4 साल की बजाय 2 साल हुई बैन की अवधि

रूस पर लगे 4 साल के बैन के बाद, साल 2020 में इस फैसले के खिलाफ रूस ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) में अपील की. जिसके बाद प्रतिबंध को चार साल से घटाकर दो साल कर दिया गया. अब ये बैन दिसंबर 2022 तक रहेगा. CAS ने साफ किया कि आधिकारिक रूप से रूसी टीम वाडा द्वारा आयोजित किसी भी आयोजन में हिस्सा नहीं लेगी. यानि टोक्यो ओलंपिक के अलावा पैरालिंपिक, बीजिंग विंटर ओलंपिक और क्वालिफाई करने की स्थिति में रूस की टीम 2022 में कतर में खेले जाने वाले फुटबॉल वर्ल्ड कप में आधिकारिक रूप से हिस्सा नहीं ले पाएगी.

ये भी पढ़ें: ओलंपिक गेम्स में इजरायल के खिलाड़ी के साथ ये 'खेला' क्यों हुआ ?

हैदराबाद: क्या टोक्यो ओलंपिक की पदक तालिका में आपको कहीं रूस नजर आया ? अगर नहीं दिखा तो सवाल है कि क्या रूस इस ओलंपिक में हिस्सा नहीं ले रहा ? या बड़े खेल आयोजनों में पदकों की झड़ी लगाने वाले रूस के खिलाड़ी पदक नहीं जीत रहे ? ऐसा बिल्कुल नहीं है, रूस के 335 एथलीट इस ओलंपिक में हिस्सा भी ले रहे हैं और पदक भी जीत रहे हैं. गुरुवार तक रूसी खिलाड़ी 7 गोल्ड समेत कुल 26 पदकों के साथ पदक तालिका में 5वें स्थान पर थे. लेकिन पदक तालिका में रूस नहीं बल्कि ROC लिखा है.

ना देश का नाम, ना झंडा, ना राष्ट्रगान

ROC यानि रशियन ओलंपिक कमेटी (russian olympic committee), रूस के खिलाड़ी इस ओलंपिक में अपने देश के झंडे के नहीं बल्कि ROC के झंडे के तले खेल रहे हैं. इस दौरान ना तो उनकी जर्सी पर देश का नाम या झंडा है और ना ही पदक जीतने पर उनके देश का झंडा बुलंद हो रहा है. इतना ही नहीं रूसी खिलाड़ियों के पदक जीतने पर रूस का राष्ट्रगान भी नहीं बजता, उसकी जगह प्यानो की एक धुन बजती है.

ओलंपिक जैसे बड़े खेल आयोजनों में रूस के खिलाड़ियों का प्रदर्शन शानदार रहता है. टोक्यो से पहले 2016 रियो ओलंपिक्स में रूस के खिलाड़ी 19 गोल्ड मेडल के साथ 56 पदक जीते थे और पदक तालिका में रूस चौथे स्थान पर रहा था. इसी तरह 2012 लंदन ओलंपिक्स में 68 पदकों के साथ चौथे, 2008 बीजिंग में 60 पदकों के साथ तीसरे और साल 2000 के सिडनी ओलंपिक्स में 89 पदकों के साथ रूस दूसरे स्थान पर था. इस बार भी रूस के खिलाड़ी पदक जीत रहे हैं और अंक तालिका में टॉप-5 में बने हुए हैं, लेकिन रूसी खिलाड़ी ये पदक अपने देश के नाम पर नहीं जीत रहे.

ROC के लिए खेल रहे हैं रूसी खिलाड़ी
ROC के लिए खेल रहे हैं रूसी खिलाड़ी

ये भी पढ़ें: गोल्ड मेडल में कितना सोना, एक क्लिक में जानें मेडल से जुड़ी हर बात

आखिर वजह क्या है ?

दरअसल इसकी वजह है वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (WADA) का लगाया गया बैन. World Anti Doping Agency (वाडा) ने साल 2019 में रूस पर टोक्यो ओलंपिक 2020, फीफा वर्ल्डकप 2022 समेत सभी प्रमुख खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने पर चार साल का बैन लगा दिया था.

बीते 5 ओलंपिक्स में रूस का प्रदर्शन
बीते 5 ओलंपिक्स में रूस का प्रदर्शन

क्यों लगाया गया था बैन ?

रूस पर आरोप लगा था कि वो डोप टेस्ट के लिए खिलाड़ियों के अपने खिलाड़ियों के गलत सैंपल भेज रहा है. जांच के दौरान इसकी पुष्टि हुई कि सैंपल्स से छेड़छाड़ की गई है. जिसके बाद WADA ने रूस पर 4 साल का बैन लगा दिया. जिसके तहत टोक्यो और फीफा विश्व कप 2022 में रूस हिस्सा नहीं ले सकता है. हालांकि वाडा के नियमों के मुताबिक जो खिलाड़ी डोपिंग के दोषी नहीं पाए गए उन्हें न्यूट्रल खिलाड़ियों क तौर पर अतंरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने की अनुमति मिल गई. इसी के तहत रूस के खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं. रूस पर कई सालों तक इस तरह के डोपिंग कार्यक्रम चलाने का आरोप लगा, जिसपर अंतरराष्ट्रीय महासंघों को प्रतिबंध का फैसला लेना पड़ा.

बैन की वजह से रूसी खिलाड़ियों की जर्सी पर भी ROC का झंडा
बैन की वजह से रूसी खिलाड़ियों की जर्सी पर भी ROC का झंडा

रूस के खिलाफ एक्शन

डोपिंग में संलिप्त खिलाड़ियों के नाम जानने के लिए मॉस्को की प्रयोगशाला से एथलीटों के डेटा मांगे गए लेकिन उसेक बाद भी रूस पर डेटा में हेरा फेरी के आरोप लगे जिसके बाद वाडा ने बैन का फैसला लिया. डोपिंग से जुड़े खुलासों के बाद रूस की एंटी डोपिंग लैब की मान्यता रद्द कर दी गई. साल 2016 के रियो ओलंपिक में शामिल होने वाले रूसी खिलाड़ियों में से 111 को हटा दिया गया.

टोक्यो ओलंपिक में ROC के झंडे तले खेल रहे रूसी खिलाड़ी
टोक्यो ओलंपिक में ROC के झंडे तले खेल रहे रूसी खिलाड़ी

साल 2018 में दक्षिण कोरिया में हुए विंटर ओलंपिक में भी रूसी खिलाड़ियों पर बैन की सिफारिश की गई . बाद रूस के 168 खिलाड़ियों को इसमें हिस्सा लेने की इजाजत मिली लेकिन रूस का झंडा फहराने पर रोक लगाई गई.

कैसे खुली थी रूस की पोल ?

साल 2014 में यूलिया स्टेपानोवा नाम की एक एथलीट और उसके पति विटाले ने एक जर्मन डॉक्यूमेंट्री में रूस में चल रहे इस गोरखधंधे के बारे में बताया. विटाले रूस की एंटी डोपिंग एजेंसी में काम कर चुके थे. उनके खुलासे के बाद रूसी डोपिंग कार्यक्रम दुनिया के सामने आया. इसके बाद एंटी डोपिंग लेबोरेटरी के डायरेक्टर रहे ग्रेगॉरी रॉडशनकॉफ ने भी माना था कि उन्होंने ऐसे पदार्थ बनाए थे जिससे रूसी एथलीटों को बेहतर खेलने में मदद मिलती.

रॉडशनकॉफ ने कबूला कि खिलाड़ियों के सैंपल (यूरिन के नमूने) बदल दिए जाते थे ताकि जांच में ड्रग की बात का पता ना चले. उनके मुताबिक रूसी अधिकारियों की तरफ से एक खुफिया अधिकारी लैब में नियुक्त किया गया था, जो इस सब पर नजर रखता था.

इस बार देश का नाम, झंडा और राष्ट्रगान इस्तेमाल नहीं कर सकते रूसी खिलाड़ी
इस बार देश का नाम, झंडा और राष्ट्रगान इस्तेमाल नहीं कर सकते रूसी खिलाड़ी

महिला एथलीट की जगह पुरुषों के यूरिन सैंपल

रूस के इस कारनामे की जब जांच हुई तो चौंकाने वाले खुलासे हुए. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (International Olympic Committee) से लेकर वाडा और समेत तमाम खेल महासंघों ने इस मामले की जांच की. जिसके मुताबिक साल 2012 से लेकर 2015 तक 30 खेलों में लगभग 1000 एथलीटों को इस डोपिंग प्रोग्राम से फायदा पहुंचाया गया. साथ ही बताया गया कि विभिन्न खेलों से संबंधित खिलाड़ियों ने किस तरह से टेस्ट में टाल मटोल किया और डोपिंग से जुड़े अधिकारियों को चकमा दिया गया.

रियो ओलंपिक में रूस की टीम (बाएं), टोक्यो ओलंपिक में रूसी खिलाड़ी (दाएं)
रियो ओलंपिक में रूस की टीम (बाएं), टोक्यो ओलंपिक में रूसी खिलाड़ी (दाएं)

रिपोर्ट में दो महिला खिलाड़ियों का भी जिक्र था जिनके यूरिन सैंपल की बजाय पुरुषों के यूरीन सैंपल दिए गए. मास्को में क्लीन यूरिन बैंक होने की बात भी सामने आई. जिसके बाद रूसी एथलीटों के नमूनों की दोबारा जांच हुई. खिलाड़ियों पर बैन से लेकर मेडल वापस लेने तक की कार्रवाई हुई. हालांकि जिन खिलाड़ियों पर कोई आरोप नहीं थे और डोप टेस्ट में भी पास हुए वो खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक में रशियन ओलंपिक कमेटी के बैनर तले हिस्सा ले रहे हैं.

4 साल की बजाय 2 साल हुई बैन की अवधि

रूस पर लगे 4 साल के बैन के बाद, साल 2020 में इस फैसले के खिलाफ रूस ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) में अपील की. जिसके बाद प्रतिबंध को चार साल से घटाकर दो साल कर दिया गया. अब ये बैन दिसंबर 2022 तक रहेगा. CAS ने साफ किया कि आधिकारिक रूप से रूसी टीम वाडा द्वारा आयोजित किसी भी आयोजन में हिस्सा नहीं लेगी. यानि टोक्यो ओलंपिक के अलावा पैरालिंपिक, बीजिंग विंटर ओलंपिक और क्वालिफाई करने की स्थिति में रूस की टीम 2022 में कतर में खेले जाने वाले फुटबॉल वर्ल्ड कप में आधिकारिक रूप से हिस्सा नहीं ले पाएगी.

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