नई दिल्ली : दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में मंगलवार (21 मार्च) की देर रात को भूकंप के तेज झटके लगे. भूकंप एशिया के कई देशों में आया. एशिया के कई देशों चीन, तजाकिस्तान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भी झटके महसूस किये गये. विशेषज्ञों के अनुसार, फगानिस्तान के हिन्दुकुश क्षेत्र में भूकंप का केंद्र था. रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 6.6 दर्ज की गई. भूकंप के बाद दिल्ली- एनसीआर और इसके आसपास के इलाकों के लोग दहशत में आ गये. जानकारों के मुताबिक, सिर्फ इस साल ही अफगानिस्तान में पांच से ज्यादा बड़े झटके महसूस किये गये.
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ऐसे में यह सवाल उठना जायज है कि क्यों एशिया के इलाके यानी अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत में भूंकप के ज्यादा झटके महसूस किये जा रहे हैं. भूंकप के खतरे को समझने के लिए हमें करीब 4 करोड़ वर्ष पीछे जाना होगा. विशेषज्ञों के मुताबिक, करीब इतने ही समय पहले यह इलाका जिसे हम भारतीय उपमहाद्वीप कहते हैं यूरेशियाई प्लेट से टकराया था. कहते हैं इसी टक्कर के बाद हिमालय पर्वत का निर्माण का हुआ. भू-वैज्ञानिकों के अनुसार, हिमालय आज भी हर वर्ष एक सेंटीमीटर ऊपर जा रहा है.
जानकार बताते हैं कि इसी हलचल की वजह से एशिया के इस इलाके में भूकंप के झटके महसूस किये जाते हैं. जानकारों ने बताया कि धरती के अंदर इस तरह के टक्कर अक्सर ही होते रहते हैं. इससे इनकी दबाव सहने की क्षमता भी लगातार कम हो रही है. इस दबाव के कारण भी हिमालय के इलाके में भूकंप के झटके महसूस होते हैं. उत्तर भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान हिमालयन रेंज में आता है. जानकार बताते हैं कि साउथ एशिया का एक बड़ा हिस्सा भूकंप के हिसाब से सबसे अधिक संवेदनशील माना जाता है. क्योंकि भारतीय प्लेट जिसे टेक्टोनिक प्लेट भी कहते हैं लगातार यूरेशियन प्लेट की ओर बढ़ रहा है.
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