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मलेरिया मामले में दूसरे देशों की तुलना में भारत सबसे बेहतर स्थिति में

डब्ल्यूएचओ की हालिया विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के भारत में मलेरिया के मामलों में कमी देखने को मिली है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2018 की तुलना में 12 लाख मलेरिया के मामलों में कमी दर्ज की गई है.

Malaria
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Published : Dec 3, 2020, 7:37 PM IST

हैदराबाद : वैश्विक रूप से 87 मलेरिया स्थानिक देशों में, 2019 में अनुमानित 229 मिलियन मलेरिया के मामले सामने आए थे. यह मामले वर्ष 2000 में सामने आए मामलों से कम हैं. वर्ष 2000 में मलेरिया के 238 मिलियन मामले थे. वर्ष 2015 में अनुमानित 218 मिलियन मलेरिया के मामले सामने आए थे.

प्लास्मोडियम विवैक्स के कारण मामलों का अनुपात 2000 में लगभग 7% से घटकर 2019 में 3% हो गया. मलेरिया के मामले (प्रति 1000 लोगों पर) 2000 में 80 से घटकर 2015 में 58 हो गए और 2019 में 57 हो गए.

2000 और 2015 के बीच वैश्विक मलेरिया के मामलों में 27 प्रतिशत गिरावट देखी गई. वहीं 2015 से 2019 में सिर्फ दो प्रतिशत गिरावट आई. विश्व के 29 राष्ट्रों में मलेरिया के 95 प्रतिशत मामले सामने आए. नाइजीरिया (27%), कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (12%), युगांडा (5%), मोजाम्बिक (4%) और नाइजर (3%).

विश्व स्वास्थ्य संगठन अफ्रीकी क्षेत्र में, 2019 में अनुमानित 215 मिलियन मामले (लगभग 94%) सामने आए थे. हालांकि, डब्ल्यूएचओ अफ्रीकी क्षेत्र में 2019 की तुलना में वर्ष 2000 (204 मिलियन) में मलेरिया के मामले कम थे. इस अवधि में प्रति 1000 आबादी पर 363 से घटकर 225 मामले सामने आए.

डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में विश्व स्तर पर मलेरिया के तीन प्रतिशत मामले सामने आए हैं. मलेरिया के मामलों में 73% की कमी हुई, मामले 2000 में 23 मिलियन से 2019 में लगभग 6.3 मिलियन हो गए. इस क्षेत्र में मलेरिया के मामलों में 78% की कमी आई, वर्ष 2000 में प्रति 1000 जनसंख्या पर 18 मामलों से यह मामले 2019 में प्रति 1000 जनसंख्या पर चार हो गए.

डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में मलेरिया के सबसे कम मामले भारत में मिले हैं. भारत में वर्ष 2000 में जहां मलेरिया के करीब दो करोड़ मामले सामने आए, वहीं 2019 में मलेरिया के मामलों की संख्या घटकर लगभग 56 लाख हो गई है.

2018 की तुलना में 2019 में 17.6% की गिरावट दर्ज की है. बता दें कि श्रीलंका 2015 में मलेरिया मुक्त घोषित हुआ था. तिमोर-लेस्ते में 2018 और 2019 में मलेरिया का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया.

डब्ल्यूएचओ पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र (Mediterranean region) में मलेरिया के मामलों में 26% की कमी आई. वर्ष 2000 में मलेरिया के मामले 7 मिलियन थे जो 2019 में लगभग 5 मिलियन हो गए. 2019 में मुख्य रूप से अफगानिस्तान और पाकिस्तान में इसके एक चौथाई मामले प्लास्मोडियम विवैक्स के कारण कम हुए. 2000–2019 की अवधि में डब्ल्यूएचओ पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में मलेरिया के मामलों की संख्या 20 से घटकर 10 हो गई.

पढ़ें :- मानसून में मलेरिया का खतरा, जानें क्या हैं लक्षण और उपचार

इस क्षेत्र के सूडान में मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले लगभग 46% मामले दर्ज किए गए. ईरान में 2018 और 2019 में मलेरिया का कोई भी मामला सामने नहीं आया.

डब्ल्यूएचओ पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में मलेरिया के मामलों में 43% की कमी देखी गई. 2019 में अनुमानित 1.7 मिलियन मामले सामने आए, जबकि 2000 में तीन मिलियन मामले थे. इसी अवधि में, यह मामले प्रति 1000 जनसंख्या पर पांच से घटकर दो हो गई.

इस क्षेत्र के पापुआ न्यू गिनी में 2019 में सबसे ज्यादा 80% मामले दर्ज किए गए. चीन में 2017 के बाद से मलेरिया का कोई भी मामला दर्ज नहीं किया गया. 2018 और 2019 में मलेरिया का कोई मामले दर्ज नहीं किया गया.

हैदराबाद : वैश्विक रूप से 87 मलेरिया स्थानिक देशों में, 2019 में अनुमानित 229 मिलियन मलेरिया के मामले सामने आए थे. यह मामले वर्ष 2000 में सामने आए मामलों से कम हैं. वर्ष 2000 में मलेरिया के 238 मिलियन मामले थे. वर्ष 2015 में अनुमानित 218 मिलियन मलेरिया के मामले सामने आए थे.

प्लास्मोडियम विवैक्स के कारण मामलों का अनुपात 2000 में लगभग 7% से घटकर 2019 में 3% हो गया. मलेरिया के मामले (प्रति 1000 लोगों पर) 2000 में 80 से घटकर 2015 में 58 हो गए और 2019 में 57 हो गए.

2000 और 2015 के बीच वैश्विक मलेरिया के मामलों में 27 प्रतिशत गिरावट देखी गई. वहीं 2015 से 2019 में सिर्फ दो प्रतिशत गिरावट आई. विश्व के 29 राष्ट्रों में मलेरिया के 95 प्रतिशत मामले सामने आए. नाइजीरिया (27%), कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (12%), युगांडा (5%), मोजाम्बिक (4%) और नाइजर (3%).

विश्व स्वास्थ्य संगठन अफ्रीकी क्षेत्र में, 2019 में अनुमानित 215 मिलियन मामले (लगभग 94%) सामने आए थे. हालांकि, डब्ल्यूएचओ अफ्रीकी क्षेत्र में 2019 की तुलना में वर्ष 2000 (204 मिलियन) में मलेरिया के मामले कम थे. इस अवधि में प्रति 1000 आबादी पर 363 से घटकर 225 मामले सामने आए.

डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में विश्व स्तर पर मलेरिया के तीन प्रतिशत मामले सामने आए हैं. मलेरिया के मामलों में 73% की कमी हुई, मामले 2000 में 23 मिलियन से 2019 में लगभग 6.3 मिलियन हो गए. इस क्षेत्र में मलेरिया के मामलों में 78% की कमी आई, वर्ष 2000 में प्रति 1000 जनसंख्या पर 18 मामलों से यह मामले 2019 में प्रति 1000 जनसंख्या पर चार हो गए.

डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में मलेरिया के सबसे कम मामले भारत में मिले हैं. भारत में वर्ष 2000 में जहां मलेरिया के करीब दो करोड़ मामले सामने आए, वहीं 2019 में मलेरिया के मामलों की संख्या घटकर लगभग 56 लाख हो गई है.

2018 की तुलना में 2019 में 17.6% की गिरावट दर्ज की है. बता दें कि श्रीलंका 2015 में मलेरिया मुक्त घोषित हुआ था. तिमोर-लेस्ते में 2018 और 2019 में मलेरिया का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया.

डब्ल्यूएचओ पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र (Mediterranean region) में मलेरिया के मामलों में 26% की कमी आई. वर्ष 2000 में मलेरिया के मामले 7 मिलियन थे जो 2019 में लगभग 5 मिलियन हो गए. 2019 में मुख्य रूप से अफगानिस्तान और पाकिस्तान में इसके एक चौथाई मामले प्लास्मोडियम विवैक्स के कारण कम हुए. 2000–2019 की अवधि में डब्ल्यूएचओ पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में मलेरिया के मामलों की संख्या 20 से घटकर 10 हो गई.

पढ़ें :- मानसून में मलेरिया का खतरा, जानें क्या हैं लक्षण और उपचार

इस क्षेत्र के सूडान में मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले लगभग 46% मामले दर्ज किए गए. ईरान में 2018 और 2019 में मलेरिया का कोई भी मामला सामने नहीं आया.

डब्ल्यूएचओ पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में मलेरिया के मामलों में 43% की कमी देखी गई. 2019 में अनुमानित 1.7 मिलियन मामले सामने आए, जबकि 2000 में तीन मिलियन मामले थे. इसी अवधि में, यह मामले प्रति 1000 जनसंख्या पर पांच से घटकर दो हो गई.

इस क्षेत्र के पापुआ न्यू गिनी में 2019 में सबसे ज्यादा 80% मामले दर्ज किए गए. चीन में 2017 के बाद से मलेरिया का कोई भी मामला दर्ज नहीं किया गया. 2018 और 2019 में मलेरिया का कोई मामले दर्ज नहीं किया गया.

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