नई दिल्ली: कुछ महीने पहले तक बहुत से लोगों ने खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह के बारे में नहीं सुना था. सरेंडर से पहले तक वह पंजाब का मोस्ट वांटेड अपराधी था. उसके अनुयायियों ने भारत ही नहीं विदेशों में भी भारतीय दूतावासों के सामने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था. 30 वर्षीय अमृतपाल सिंह पंजाब के अमृतसर जिले के जल्लूपुर खेड़ा का रहने वाला है. उसका परिवार कथित तौर पर दुबई में एक परिवहन व्यवसाय चलाता है. अमृतपाल 2012 से दुबई में रह रहा था. किसान बिलों के विरोध में शुरू हुए किसान आंदोलन के दौरान वह दुबई से भारत आ गया था.
भारत लौट कर वह 'वारिस पंजाब दे' संगठन का सदस्य बन गया. इस संगठन की शुरुआत पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू ने की थी. दीप सिद्धू पर 26 जनवरी, 2021 को लाल किले पर खलिस्तानी झंडा फहराने की कोशिश करने का आरोप लगा था. इसी आरोप में उसे गिरफ्तार भी किया गया था. इस गिरफ्तारी के बाद ही दीप सिद्धू ने 'वारिस पंजाब दे' संगठन की स्थापना की थी. साल 2022 में एक सड़क दुर्घटना में दीप सिद्धू की मौत के बाद अमृतपाल सिंह ने खुद को वारिस पंजाब दे का प्रमुख घोषित कर दिया था.
अमृतपाल पर पहला आरोप, वारिस पंजाब दे का नेरेटिव बदला: दीप सिद्धू के भाई मनदीप के मुताबिक, अमृतपाल का वारिस पंजाब दे उनके इसी नाम के आउटफिट से बिल्कुल अलग है. मनदीप ने आरोप लगाया कि खालिस्तानी उपदेशक उनके भाई के नाम का 'दुरुपयोग' कर रहा है. उन्होंने कहा था कि दीप ने साफ कहा था कि बातचीत ही एकमात्र रास्ता है लेकिन अमृतपाल साफ तौर पर युवाओं से हथियार उठाने को कह रहा है.
क्यों कहा जाने लगा भिंडरावाले 2.0: अमृतपाल सिंह का जन्म सिख आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरांवाले के सिख समुदाय के सबसे पवित्र पूजा स्थल स्वर्ण मंदिर में सेना के ऑपरेशन में मारे जाने के नौ साल बाद हुआ था. स्टाइल से लेकर तौर-तरीकों तक, अमृतपाल खुद को भिंडरावाले के अनुयायी के रूप में पेश करता है. पंथ नेता की तरह, वह भी एक तीर रखता है और सशस्त्र पहरेदारों के साथ चलता है. हालांकि, भिंडरावाले एक कट्टर धार्मिक नेता, रूढ़िवादी सिख संगठन, दमदमी टकसाल के प्रमुख थे. वहीं, अमृतपाल की वारिस पंजाब दे का सदस्य बनने से पहले कोई रूढ़िवादी धार्मिक पृष्ठभूमि नहीं थी.
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जब भरा अमृतपाल के अपराधों का घड़ा: इसी साल फरवरी में अमृतसर के बाहरी इलाके में एक पुलिस स्टेशन पर उसने अपने समर्थकों के साथ एक अपराधी को छुड़ाने के लिए हंगामा खड़ा कर दिया. तलवारों के साथ जमा हुए उसके समर्थकों ने अपने बचाव के लिए सिखों की पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहेब का इस्तेमाल किया था. उनके दबाव में पुलिस को उसके सहयोगी और अपहरण के मामले में हिरासत में लिये गये आरोपी लवप्रीत सिंह को रिहा करना पड़ा था. इस घटना ने पंजाब सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय के कान खड़े कर दिए थे, तब से ही अमृतपाल को 'खालिस्तान' समर्थक नेता के रूप में पहचाना जाने लगा. उसने खुले आम चुनी गई सरकारों के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का आह्वान किया था.
अमृतपाल सिंह पर आरोप: अमृतपाल सिंह के सहयोगियों के पास से भारी मात्रा में हथियार बरामद होने के बाद उसके खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत ताजा मामला दर्ज किया गया है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और विदेशों में स्थित कुछ आतंकवादी समूहों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए हुए है. खालिस्तानी नेता को यूके स्थित खालिस्तानी आतंकवादी अवतार सिंह खांडा का करीबी माना जाता है. वह कथित तौर पर ड्रग्स की तस्करी से भी जुड़ा हुआ था. उसपर आरोप है कि वह युवाओं की एक निजी मिलिशिया बना रहा था, जिसका इस्तेमाल हिंसक विरोध प्रदर्शनों के लिए किया जा रहा था. आरोप है कि अमृतपाल कथित तौर पर नशामुक्ति केंद्रों का इस्तेमाल अवैध रूप से प्राप्त हथियारों को जमा करने के लिए भी कर रहा था.