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भाजपा का मिशन गुजरात : पार्टी में बड़ी संख्या में डॉक्टर-प्रोफेसर जोड़ रही BJP - gujarat assembly elections 2022

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुजरात दौरे के दौरान लोगों से भाजपा में शामिल होने का आग्रह किया. 200 से ज्यादा डॉक्टर भाजपा में शामिल हो गए हैं. 250 से अधिक प्रोफेसर पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं. बड़ा सवाल ये है कि भाजपा पेशेवरों को अपने साथ क्यों और किसके अनुरोध पर जोड़ रही है? (Who encouraged the professional elites to join the BJP)

professional elites join the BJP
पार्टी में पेशेवर जोड़ रही भाजपा
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Published : May 14, 2022, 7:39 AM IST

अहमदाबाद: गुजरात में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं. हाल ही में 200 से ज्यादा डॉक्टर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं. 250 से अधिक प्रोफेसर पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं. कई वकील, पेंटर, चार्टर्ड अकाउंटेंट पहले ही गुजरात भाजपा में शामिल हो चुके हैं. भाजपा के डॉक्टर सेल, लीगल सेल और अन्य समूहों ने इन सभी को पार्टी में लाने में मदद की है. दरअसल भाजपा में व्यावसायिकता लाने का श्रेय लेने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब गुजरात का दौरा किया तो उन्होंने ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया. आज की राजनीति में भाजपा सबसे ज्यादा पेशेवर पार्टी भी है. महिला मोर्चा, खेदुत मोर्चा (Khedut Morcho), ओबीसी मोर्चा, एसटी मोर्चा, एससी मोर्चा, डॉक्टर सेल, कानूनी प्रकोष्ठ, और अन्य सहित इसके कई मोर्चों ने इस समस्या को उठाया और बुद्धिजीवियों को भाजपा से जोड़ने के लिए काम करना शुरू कर दिया.

भाजपा इसलिए ऐसा कर रही : 'ईटीवी भारत' के राजनीतिक विश्लेषक हेमंत शाह ने कहा कि भाजपा पहले से पढ़े-लिखे वर्ग को आगे लाने का प्रयास कर रही है. यह कोई नई अवधारणा नहीं है. यह समाज का सबसे धनी और सबसे शक्तिशाली वर्ग है. इसमें दूसरे वर्ग के बारे में राय बनाने की क्षमता है. यह वर्ग दूसरों से अटूट रूप से जुड़ा हुआ है. जब हम किसी व्यक्ति को मतदान करने जाते देखते हैं तो हमारे दिमाग में भी ऐसा करने का विचार उठता है. यह भी अंदाजा लगाते हैं कि उसने किसको वोट दिया होगा. ये भाजपा की लोकप्रियता है, जो बढ़ रही है. अधिक सुविधाएं कौन नहीं चाहता?.

जब किसी पार्टी में शामिल लेने की बात आती है, तो पेशेवरों की अपनी अपेक्षाएं होती हैं. परिणामस्वरूप, व्यवसायी वर्ग बजट का अनुमान लगाता है. दूसरी ओर, यह परिकल्पना की गई है कि विभिन्न पेशेवर समूहों की सहायता के लिए विभिन्न नीतियों और कानूनों को अपनाया जाएगा. दूसरी ओर ये क्लास योगदान भी देता है. ऐसा भी माना जा रहा है कि सत्ता दल में शामिल होने से चिकित्सकों, वकीलों और चार्टर्ड एकाउंटेंट जैसे वर्गों पर किसी कार्रवाई का खतरा भी नहीं होगा.

सभी को पद की दौड़ का अधिकार : राजनीतिक टिप्पणीकारों के अनुसार, देश में प्रत्येक व्यक्ति को पद की दौड़ने में शामिल होने का अधिकार है. नतीजतन, यह एक सकारात्मक बात है कि देश का शिक्षित अभिजात वर्ग राजनीति में सक्रिय हो रहा है और किसी भी पार्टी में शामिल हो रहा है. राजनीतिक विश्लेषक जयवंत पंड्या के अनुसार, पार्टी जो अपने राजनीतिक आधार को व्यापक बनाने की कोशिश कर रही है, सभी क्षेत्रों के पेशेवरों को शामिल करती है. पेशेवर वर्ग, जैसे डॉक्टर और शिक्षक का सामान्य पुरुषों पर प्रभाव पड़ता है. नतीजतन, पार्टी को अधिक चुनावी सीटें मिलती हैं. सरकारी एजेंसियों में ऐसे विशेषज्ञों को या तो सीधे तौर पर नियुक्त किया जाता है या मंत्री के रूप में नियुक्त किया जाता है. किसका अनुभव सरकार के लिए फायदेमंद है?

किसी के आने और लाने में फर्क है : सामान्य रूप से बुद्धिजीवी अपने काम में व्यस्त रहते हैं. दूसरा राजनीति में सक्रिय होना ठीक भी नहीं लगता, क्योंकि ऐसा करने से फायदे से ज्यादा छवि को नुकसान पहुंचाने की चिंता होती है. राजनीति को समर्पित करने के लिए उनके पास मुश्किल से ही समय है. लेकिन राजनीतिक माहौल बदलते ही लोग अब राजनीति में सक्रिय हैं. कोई व्यक्ति कभी आगे कदम रख कर पार्टी में प्रवेश करता है, कभी सम्मान से तो कभी जरूरत के कारण.

पढ़ें- गुजरात चुनाव से पहले पीएम मोदी ने दिया मंत्र: मंत्री, विधायक और नेता सोशल मीडिया पर रहें सक्रिय

पढ़ें- शासन और संगठन में प्रयोगों के लिए भाजपा की प्रयोगशाला है गुजरात: नड्डा

अहमदाबाद: गुजरात में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं. हाल ही में 200 से ज्यादा डॉक्टर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं. 250 से अधिक प्रोफेसर पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं. कई वकील, पेंटर, चार्टर्ड अकाउंटेंट पहले ही गुजरात भाजपा में शामिल हो चुके हैं. भाजपा के डॉक्टर सेल, लीगल सेल और अन्य समूहों ने इन सभी को पार्टी में लाने में मदद की है. दरअसल भाजपा में व्यावसायिकता लाने का श्रेय लेने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब गुजरात का दौरा किया तो उन्होंने ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया. आज की राजनीति में भाजपा सबसे ज्यादा पेशेवर पार्टी भी है. महिला मोर्चा, खेदुत मोर्चा (Khedut Morcho), ओबीसी मोर्चा, एसटी मोर्चा, एससी मोर्चा, डॉक्टर सेल, कानूनी प्रकोष्ठ, और अन्य सहित इसके कई मोर्चों ने इस समस्या को उठाया और बुद्धिजीवियों को भाजपा से जोड़ने के लिए काम करना शुरू कर दिया.

भाजपा इसलिए ऐसा कर रही : 'ईटीवी भारत' के राजनीतिक विश्लेषक हेमंत शाह ने कहा कि भाजपा पहले से पढ़े-लिखे वर्ग को आगे लाने का प्रयास कर रही है. यह कोई नई अवधारणा नहीं है. यह समाज का सबसे धनी और सबसे शक्तिशाली वर्ग है. इसमें दूसरे वर्ग के बारे में राय बनाने की क्षमता है. यह वर्ग दूसरों से अटूट रूप से जुड़ा हुआ है. जब हम किसी व्यक्ति को मतदान करने जाते देखते हैं तो हमारे दिमाग में भी ऐसा करने का विचार उठता है. यह भी अंदाजा लगाते हैं कि उसने किसको वोट दिया होगा. ये भाजपा की लोकप्रियता है, जो बढ़ रही है. अधिक सुविधाएं कौन नहीं चाहता?.

जब किसी पार्टी में शामिल लेने की बात आती है, तो पेशेवरों की अपनी अपेक्षाएं होती हैं. परिणामस्वरूप, व्यवसायी वर्ग बजट का अनुमान लगाता है. दूसरी ओर, यह परिकल्पना की गई है कि विभिन्न पेशेवर समूहों की सहायता के लिए विभिन्न नीतियों और कानूनों को अपनाया जाएगा. दूसरी ओर ये क्लास योगदान भी देता है. ऐसा भी माना जा रहा है कि सत्ता दल में शामिल होने से चिकित्सकों, वकीलों और चार्टर्ड एकाउंटेंट जैसे वर्गों पर किसी कार्रवाई का खतरा भी नहीं होगा.

सभी को पद की दौड़ का अधिकार : राजनीतिक टिप्पणीकारों के अनुसार, देश में प्रत्येक व्यक्ति को पद की दौड़ने में शामिल होने का अधिकार है. नतीजतन, यह एक सकारात्मक बात है कि देश का शिक्षित अभिजात वर्ग राजनीति में सक्रिय हो रहा है और किसी भी पार्टी में शामिल हो रहा है. राजनीतिक विश्लेषक जयवंत पंड्या के अनुसार, पार्टी जो अपने राजनीतिक आधार को व्यापक बनाने की कोशिश कर रही है, सभी क्षेत्रों के पेशेवरों को शामिल करती है. पेशेवर वर्ग, जैसे डॉक्टर और शिक्षक का सामान्य पुरुषों पर प्रभाव पड़ता है. नतीजतन, पार्टी को अधिक चुनावी सीटें मिलती हैं. सरकारी एजेंसियों में ऐसे विशेषज्ञों को या तो सीधे तौर पर नियुक्त किया जाता है या मंत्री के रूप में नियुक्त किया जाता है. किसका अनुभव सरकार के लिए फायदेमंद है?

किसी के आने और लाने में फर्क है : सामान्य रूप से बुद्धिजीवी अपने काम में व्यस्त रहते हैं. दूसरा राजनीति में सक्रिय होना ठीक भी नहीं लगता, क्योंकि ऐसा करने से फायदे से ज्यादा छवि को नुकसान पहुंचाने की चिंता होती है. राजनीति को समर्पित करने के लिए उनके पास मुश्किल से ही समय है. लेकिन राजनीतिक माहौल बदलते ही लोग अब राजनीति में सक्रिय हैं. कोई व्यक्ति कभी आगे कदम रख कर पार्टी में प्रवेश करता है, कभी सम्मान से तो कभी जरूरत के कारण.

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