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2022 में 93 प्रतिशत डीपीटी3 कवरेज दर्ज करने के लिए डब्ल्यूएचओ ने दी भारत को बधाई - डब्ल्यूएचओ ने दी भारत को बधाई

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2022 में 93 प्रतिशत डीपीटी3 कवरेज दर्ज करने के लिए भारत की सराहना की है. 2021 में दर्ज 85 प्रतिशत से तेजी से वृद्धि हुई. राष्ट्रीय टीकाकरण कवरेज का डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ ने अनुमान भी दर्शाया है.

World Health Organization
विश्व स्वास्थ्य संगठन
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Published : Jul 18, 2023, 7:56 PM IST

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंगलवार को 2022 में 93 प्रतिशत डीपीटी3 कवरेज दर्ज करने के लिए भारत की सराहना की, जो 2019 में महामारी से पहले के उच्चतम 91 प्रतिशत को पार कर गया और 2021 में दर्ज 85 प्रतिशत से तेजी से वृद्धि हुई. डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टेटनस (DPT3) टीकों की तीसरी खुराक का उपयोग विश्व स्तर पर टीकाकरण दरों का आकलन करने के लिए किया जाता है.

साल 2022 के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण कवरेज का डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ का अनुमान यह दर्शाता है कि डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में डीपीटी3, डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टेटनस टीकों की तीसरी खुराक के लिए कवरेज दर, जिसका उपयोग वैश्विक स्तर पर टीकाकरण दरों का आकलन करने के लिए किया जाता है, महामारी से पहले 91 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो 2021 में दर्ज 82 प्रतिशत से तेज वृद्धि है.

क्षेत्र ने 2021 की तुलना में 2022 में खसरा युक्त टीके के कवरेज में 6 प्रतिशत का सुधार दिखाया है, जो 86 प्रतिशत से बढ़कर 92 प्रतिशत हो गया है. डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि प्रत्येक बच्चा नियमित टीकाकरण टीकों से जानलेवा बीमारियों से सुरक्षित रहने का हकदार है. प्रभावशाली प्रयासों और टीकाकरण सेवा की पुनर्प्राप्ति से बनी गति प्रत्येक बच्चे को स्वस्थ और उत्पादक जीवन के लिए लाभान्वित करती रहनी चाहिए.

शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या, जिन्हें डीपीटी वैक्सीन की पहली खुराक भी नहीं मिली है, 2021 में 4.6 मिलियन से आधी होकर 2022 में 2.3 मिलियन हो गई है. इसी तरह, आंशिक रूप से टीकाकरण वाले बच्चों की संख्या, जिन्हें डीपीटी वैक्सीन की कम से कम एक खुराक मिली थी, लेकिन 3 खुराक की प्राथमिक श्रृंखला पूरी नहीं हुई थी, 2021 में 1.3 मिलियन से घटकर 2022 में 650,000 हो गई, जो कि 50 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है.

डॉ. सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र में सभी डब्ल्यूएचओ क्षेत्रों की तुलना में सबसे अच्छी टीकाकरण रिकवरी हुई है, जिसका श्रेय मुख्य रूप से भारत और इंडोनेशिया द्वारा किए जा रहे प्रयासों को दिया जा सकता है. इंडोनेशिया का DPT3 कवरेज 2019 के समान ही 85 प्रतिशत तक पहुंच गया, लेकिन देश ने 2021 में 67 प्रतिशत से सबसे तेज रिकवरी दर्ज की. 98 प्रतिशत के साथ भूटान और 99 प्रतिशत डीपीटी3 कवरेज के साथ मालदीव ने अपनी महामारी-पूर्व टीकाकरण दरों को पार कर लिया है.

बांग्लादेश ने 98 प्रतिशत के साथ और थाईलैंड ने 97 प्रतिशत के साथ पूरे कोविड-19 महामारी और उसके बाद भी नियमित टीकाकरण कवरेज में निरंतरता का प्रदर्शन किया है. डॉ खेत्रपाल सिंह ने कहा कि जबकि हम भविष्य की स्वास्थ्य आपात स्थितियों का जवाब देने के लिए क्षमताओं को मजबूत करने के लिए महामारी से सबक लेते हैं, हमें उन देशों से सीखना चाहिए, जिन्होंने महामारी का जवाब देते हुए भी अपनी टीकाकरण दर बनाए रखी.

98 प्रतिशत कवरेज के साथ श्रीलंका, 90 प्रतिशत के साथ नेपाल और 86 प्रतिशत के साथ तिमोर-लेस्ते क्रमशः 99 प्रतिशत, 93 प्रतिशत और 90 प्रतिशत की महामारी-पूर्व कवरेज के करीब हैं. 2022 में 71 प्रतिशत डीपीटी3 कवरेज के साथ म्यांमार, 2019 में महामारी-पूर्व 90 प्रतिशत कवरेज से बहुत दूर है. डॉ सिंह ने कहा कि बहुत कुछ हासिल किया गया है और अब बहुत कुछ करने की जरूरत है.

उन्होंने आगे कहा कि जबकि समग्र टीकाकरण कवरेज स्तर अच्छा दिख रहा है और प्रगति उत्साहजनक है, देशों में उपराष्ट्रीय स्तर पर कवरेज में परिवर्तनशीलता बनी हुई है, खासकर बड़ी आबादी वाले देशों में. टीकाकरण कवरेज में असमानताओं के कारण टीकाकरण से वंचित बच्चों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे खसरा, डिप्थीरिया और अन्य टीका-रोकथाम योग्य बीमारियों के फैलने का खतरा पैदा हो जाता है. इन अंतरालों को बंद किया जाना चाहिए.

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंगलवार को 2022 में 93 प्रतिशत डीपीटी3 कवरेज दर्ज करने के लिए भारत की सराहना की, जो 2019 में महामारी से पहले के उच्चतम 91 प्रतिशत को पार कर गया और 2021 में दर्ज 85 प्रतिशत से तेजी से वृद्धि हुई. डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टेटनस (DPT3) टीकों की तीसरी खुराक का उपयोग विश्व स्तर पर टीकाकरण दरों का आकलन करने के लिए किया जाता है.

साल 2022 के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण कवरेज का डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ का अनुमान यह दर्शाता है कि डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में डीपीटी3, डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टेटनस टीकों की तीसरी खुराक के लिए कवरेज दर, जिसका उपयोग वैश्विक स्तर पर टीकाकरण दरों का आकलन करने के लिए किया जाता है, महामारी से पहले 91 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो 2021 में दर्ज 82 प्रतिशत से तेज वृद्धि है.

क्षेत्र ने 2021 की तुलना में 2022 में खसरा युक्त टीके के कवरेज में 6 प्रतिशत का सुधार दिखाया है, जो 86 प्रतिशत से बढ़कर 92 प्रतिशत हो गया है. डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि प्रत्येक बच्चा नियमित टीकाकरण टीकों से जानलेवा बीमारियों से सुरक्षित रहने का हकदार है. प्रभावशाली प्रयासों और टीकाकरण सेवा की पुनर्प्राप्ति से बनी गति प्रत्येक बच्चे को स्वस्थ और उत्पादक जीवन के लिए लाभान्वित करती रहनी चाहिए.

शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या, जिन्हें डीपीटी वैक्सीन की पहली खुराक भी नहीं मिली है, 2021 में 4.6 मिलियन से आधी होकर 2022 में 2.3 मिलियन हो गई है. इसी तरह, आंशिक रूप से टीकाकरण वाले बच्चों की संख्या, जिन्हें डीपीटी वैक्सीन की कम से कम एक खुराक मिली थी, लेकिन 3 खुराक की प्राथमिक श्रृंखला पूरी नहीं हुई थी, 2021 में 1.3 मिलियन से घटकर 2022 में 650,000 हो गई, जो कि 50 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है.

डॉ. सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र में सभी डब्ल्यूएचओ क्षेत्रों की तुलना में सबसे अच्छी टीकाकरण रिकवरी हुई है, जिसका श्रेय मुख्य रूप से भारत और इंडोनेशिया द्वारा किए जा रहे प्रयासों को दिया जा सकता है. इंडोनेशिया का DPT3 कवरेज 2019 के समान ही 85 प्रतिशत तक पहुंच गया, लेकिन देश ने 2021 में 67 प्रतिशत से सबसे तेज रिकवरी दर्ज की. 98 प्रतिशत के साथ भूटान और 99 प्रतिशत डीपीटी3 कवरेज के साथ मालदीव ने अपनी महामारी-पूर्व टीकाकरण दरों को पार कर लिया है.

बांग्लादेश ने 98 प्रतिशत के साथ और थाईलैंड ने 97 प्रतिशत के साथ पूरे कोविड-19 महामारी और उसके बाद भी नियमित टीकाकरण कवरेज में निरंतरता का प्रदर्शन किया है. डॉ खेत्रपाल सिंह ने कहा कि जबकि हम भविष्य की स्वास्थ्य आपात स्थितियों का जवाब देने के लिए क्षमताओं को मजबूत करने के लिए महामारी से सबक लेते हैं, हमें उन देशों से सीखना चाहिए, जिन्होंने महामारी का जवाब देते हुए भी अपनी टीकाकरण दर बनाए रखी.

98 प्रतिशत कवरेज के साथ श्रीलंका, 90 प्रतिशत के साथ नेपाल और 86 प्रतिशत के साथ तिमोर-लेस्ते क्रमशः 99 प्रतिशत, 93 प्रतिशत और 90 प्रतिशत की महामारी-पूर्व कवरेज के करीब हैं. 2022 में 71 प्रतिशत डीपीटी3 कवरेज के साथ म्यांमार, 2019 में महामारी-पूर्व 90 प्रतिशत कवरेज से बहुत दूर है. डॉ सिंह ने कहा कि बहुत कुछ हासिल किया गया है और अब बहुत कुछ करने की जरूरत है.

उन्होंने आगे कहा कि जबकि समग्र टीकाकरण कवरेज स्तर अच्छा दिख रहा है और प्रगति उत्साहजनक है, देशों में उपराष्ट्रीय स्तर पर कवरेज में परिवर्तनशीलता बनी हुई है, खासकर बड़ी आबादी वाले देशों में. टीकाकरण कवरेज में असमानताओं के कारण टीकाकरण से वंचित बच्चों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे खसरा, डिप्थीरिया और अन्य टीका-रोकथाम योग्य बीमारियों के फैलने का खतरा पैदा हो जाता है. इन अंतरालों को बंद किया जाना चाहिए.

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