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कोरोना के कारण एचआईवी रोकथाम सेवाओं को न किया जाए नजर अंदाज : डब्ल्यूएचओ

दक्षिण पूर्व एशिया की डब्ल्यूएचओ क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल ने कहा है कि एचआईवी संक्रमण और एड्स संबंधित बीमारियों के कारण लोगों पर स्पष्ट रूप से जान का खतरा है. उन्होंने कहा कि यह समय याद दिलाने वाला है कि हमें एक साथ काम करते रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एचआईवी सेवाएं कोविड-19 महामारी की प्रतिक्रिया का एक अभिन्न अंग बनी रहे.

डॉ पूनम खेत्रपाल
डॉ पूनम खेत्रपाल
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Published : Dec 1, 2020, 8:52 PM IST

नई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंगलवार को दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में एचआईवी की रोकथाम, परीक्षण और उपचार के लिए सेवाओं में ढिलाई बरतने वाले देशों को आगाह करते हुए कहा कि इससे गरीब पिछड़े लोगों पर एचआईवी संक्रमण और एड्स संबंधित मौत का खतरा बढ़ सकता है.

WHO ने कहा कि कोविड महामारी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी पड़ रही है और अब यह एचआईवी की रोकथाम, परीक्षण और उपचार सेवाओं को भी प्रभावित कर रही है.

इस संबंध में दक्षिण पूर्व एशिया की डब्ल्यूएचओ, क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल ने कहा है कि एचआईवी संक्रमण और एड्स संबंधित बीमारियों के कारण लोगों पर स्पष्ट रूप से जान का खतरा है.

खेत्रपाल ने कहा कि 2010 से 2019 के बीच इस क्षेत्र ने एचआईवी का मुकाबला किया है और एड्स और एचआईवी से संबंधित मौतों में गिरावट जारी है.

उन्होंने कहा कि नए एचआईवी संक्रमणों की संख्या में अनुमानित 23.8 प्रतिशत की गिरावट आई है और एड्स संबंधित मौतों की संख्या में 26.7 प्रतिशत की कमी आई है.

2019 में अनुमानित रूप से 38 मिलियन लोग विश्व स्तर पर एचआईवी के साथ जी रहे थे, जिनमें से 3.7 मिलियन दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में थे. हालांकि, गिरावट की दर हाल के वर्षों में बढ़ी है और हम 2020 तक 90- 90-90 प्रतिशत अपने लक्ष्य को हासिल कर लेंगे.

इन लक्ष्यों का मतलब यह है कि एचआईवी के साथ रहने वाले अनुमानित 90 प्रतिशत लोगों को उनकी एचआईवी स्थिति पता चल जाएगी, सभी 90 फीसदी एचआईवी संक्रमित लोगों को निरंतर एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी मिलेगी और 90 प्रतिशत एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी प्राप्त करने वाले सभी लोगों के वायरल को खत्म किया जाएगा.

खेत्रपाल ने स्वास्थ्य के मंत्रियों और सदस्य राज्यों के राष्ट्रीय एचआईवी कार्यक्रमों के प्रमुखों की एक आभासी बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि यह समय याद दिलाने वाला है कि हमें एक साथ काम करते रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एचआईवी सेवाएं कोविड-19 महामरी कि प्रतिक्रिया का एक अभिन्न अंग बनी रहे.

पढ़ें - भारत में मलेरिया के मामलों में आई कमी, 2019 में महज 56 लाख मामले : डब्ल्यूएचओ

उन्होंने कहा कि इस वर्ष हमें एचआईवी के प्रति अपनी प्रतिक्रिया का जायजा लेना चाहिए, जो काम किया है, उससे सीखें और 2030 तक एक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में लंबित एड्स के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अपने प्रयासों को तेज करें.

यूएन एड्स 2020 ग्लोबल एड्स की रिपोर्ट के अनुसार, एशिया प्रशांत क्षेत्र में लगभग 98 प्रतिशत नए एचआईवी संक्रमण के मामले गरीब लोगों के बीच से सामने आ रहे हैं.

इसके अलावा कोविड-19 महामारी, जो आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी पड़ रही है. उसने भी एचआईवी की रोकथाम, परीक्षण और उपचार सेवाओं तक पहुंच को प्रभावित किया है. कोविड-19 महामारी ने हमें सीखने का अवसर दिया है.

नई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंगलवार को दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में एचआईवी की रोकथाम, परीक्षण और उपचार के लिए सेवाओं में ढिलाई बरतने वाले देशों को आगाह करते हुए कहा कि इससे गरीब पिछड़े लोगों पर एचआईवी संक्रमण और एड्स संबंधित मौत का खतरा बढ़ सकता है.

WHO ने कहा कि कोविड महामारी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी पड़ रही है और अब यह एचआईवी की रोकथाम, परीक्षण और उपचार सेवाओं को भी प्रभावित कर रही है.

इस संबंध में दक्षिण पूर्व एशिया की डब्ल्यूएचओ, क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल ने कहा है कि एचआईवी संक्रमण और एड्स संबंधित बीमारियों के कारण लोगों पर स्पष्ट रूप से जान का खतरा है.

खेत्रपाल ने कहा कि 2010 से 2019 के बीच इस क्षेत्र ने एचआईवी का मुकाबला किया है और एड्स और एचआईवी से संबंधित मौतों में गिरावट जारी है.

उन्होंने कहा कि नए एचआईवी संक्रमणों की संख्या में अनुमानित 23.8 प्रतिशत की गिरावट आई है और एड्स संबंधित मौतों की संख्या में 26.7 प्रतिशत की कमी आई है.

2019 में अनुमानित रूप से 38 मिलियन लोग विश्व स्तर पर एचआईवी के साथ जी रहे थे, जिनमें से 3.7 मिलियन दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में थे. हालांकि, गिरावट की दर हाल के वर्षों में बढ़ी है और हम 2020 तक 90- 90-90 प्रतिशत अपने लक्ष्य को हासिल कर लेंगे.

इन लक्ष्यों का मतलब यह है कि एचआईवी के साथ रहने वाले अनुमानित 90 प्रतिशत लोगों को उनकी एचआईवी स्थिति पता चल जाएगी, सभी 90 फीसदी एचआईवी संक्रमित लोगों को निरंतर एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी मिलेगी और 90 प्रतिशत एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी प्राप्त करने वाले सभी लोगों के वायरल को खत्म किया जाएगा.

खेत्रपाल ने स्वास्थ्य के मंत्रियों और सदस्य राज्यों के राष्ट्रीय एचआईवी कार्यक्रमों के प्रमुखों की एक आभासी बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि यह समय याद दिलाने वाला है कि हमें एक साथ काम करते रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एचआईवी सेवाएं कोविड-19 महामरी कि प्रतिक्रिया का एक अभिन्न अंग बनी रहे.

पढ़ें - भारत में मलेरिया के मामलों में आई कमी, 2019 में महज 56 लाख मामले : डब्ल्यूएचओ

उन्होंने कहा कि इस वर्ष हमें एचआईवी के प्रति अपनी प्रतिक्रिया का जायजा लेना चाहिए, जो काम किया है, उससे सीखें और 2030 तक एक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में लंबित एड्स के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अपने प्रयासों को तेज करें.

यूएन एड्स 2020 ग्लोबल एड्स की रिपोर्ट के अनुसार, एशिया प्रशांत क्षेत्र में लगभग 98 प्रतिशत नए एचआईवी संक्रमण के मामले गरीब लोगों के बीच से सामने आ रहे हैं.

इसके अलावा कोविड-19 महामारी, जो आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी पड़ रही है. उसने भी एचआईवी की रोकथाम, परीक्षण और उपचार सेवाओं तक पहुंच को प्रभावित किया है. कोविड-19 महामारी ने हमें सीखने का अवसर दिया है.

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