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मानसिक स्वास्थ्य दिवस : WHO ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की मजबूती पर दिया जोर

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Published : Oct 10, 2022, 7:36 PM IST

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए प्रतिबद्धता पर जोर दिया है. विशेषज्ञों के मुताबिक, कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां बड़ी चुनौती बनकर उभरी हैं. वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

WHO
विश्व स्वास्थ्य संगठन

नई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की प्रतिबद्धता का आह्वान किया (mental health care). नवीनतम राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में लगभग 14 प्रतिशत वयस्क मानसिक विकार से पीड़ित हैं. इसे देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को टेली मेंटल हेल्थ असिस्टेंस एंड नेटवर्किंग अक्रॉस स्टेट्स (टेली-मानस) पहल शुरू की है.

टेली-मानस की शुरुआत : केंद्र सरकार ने केंद्रीय बजट 2022-23 में राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NTMHP) की घोषणा की. Tele-MANAS का उद्देश्य पूरे देश में चौबीसों घंटे मुफ्त टेलीमेंटल स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है, विशेष रूप से दूरस्थ या कम सेवा वाले क्षेत्रों में. कार्यक्रम में 23 टेली मानसिक स्वास्थ्य केंद्र का एक नेटवर्क शामिल है, जिसमें निमहंस नोडल केंद्र है और अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान-बैंगलोर (आईआईआईटीबी) प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करता है.

एक अनुमान के मुताबिक देश में लगभग 56 मिलियन व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं या अवसाद से पीड़ित हैं. सभी क्षेत्रों के लोग मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के शिकार हो जाते हैं. चाहे सरकारी क्षेत्र से जुड़े हों या निजी क्षेत्र में, मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियों से प्रभावित हो सकते हैं. इस मामले के बारे में बात करते हुए, Makemyhouse.com की मानव संसाधन प्रमुख, अलीफिया जौहर (Alifiya Johar) ने कहा कि कोविड -19 के दौरान लोग ज्यादातर प्रभावित हुए थे.

उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं कार्यस्थल पर अनुपस्थिति को बढ़ा सकती हैं और इसका असर काम पर पड़ता है. उन्होंने कहा कि 'कर्मचारियों से ही कंपनी चलती है इसलिए हर कंपनी को एक जन केंद्रित संस्कृति का निर्माण करना चाहिए जो खुले संवाद और विचारों को साझा करने में मदद करे.'

मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर बात करते हुए दक्षिण पूर्व एशिया के लिए डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक, डॉ. पूनम खेत्रपाल ( Dr Poonam Khetrapal) ने कहा, 'डब्ल्यूएचओ दक्षिण पूर्व एशिया के सदस्य देशों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक गुणवत्तापरक पहुंच के लिए तेजी से प्रयास कर रहा है, इसके अनुरूप लोगों पर केंद्रित मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और सेवाओं के लिए सार्वभौमिक पहुंच पर हाल ही में पारो डेक्लरेशन (Paro Deceleration) को अपनाया.'

यह स्वीकार करते हुए कि मानसिक उपचार में अंतराल विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बड़ा था, डॉ खेत्रपाल ने कहा कि अनुमानित 7 में से 1 व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के साथ रहता था, और काउंटियों में जहां डेटा आरा उपलब्ध है, उपचार अंतराल 70 से 95 प्रतिशत तक था। .

निम्न और मध्यम आय वाले देशों में मानसिक उपचार में अंतर है इसको स्वीकार करते हुए डॉ. खेत्रपाल ने कहा कि 'अनुमानित 7 में से 1 व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के साथ रहता है. काउंटियों में जहां डेटा उपलब्ध है, उपचार अंतराल 70 से 95 प्रतिशत तक था.'

डॉ. खेत्रपाल ने कहा कि 2020 में प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार के मामलों में वैश्विक स्तर पर 37 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने का अनुमान है. चिंता-घबराहट विकारों (anxiety disorders) के मामलों में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. 2 अरब लोग पहले से ही मानसिक विकार के साथ जी रहे हैं. डॉ. खेत्रपाल ने कहा, 'मानसिक स्वास्थ्य के बिना किसी को स्वास्थ नहीं कहा जा सकता. Covid19 के बीच हमें प्रतिबद्धता को गहरा करना चाहिए, वातावरण को नया रूप देना चाहिए और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर जीवन और सभी के भविष्य के लिए देखभाल को मजबूत करना चाहिए.'

पढ़ें- वक्त की जरूरत है मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता,World Mental Health Day 2022

नई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की प्रतिबद्धता का आह्वान किया (mental health care). नवीनतम राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में लगभग 14 प्रतिशत वयस्क मानसिक विकार से पीड़ित हैं. इसे देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को टेली मेंटल हेल्थ असिस्टेंस एंड नेटवर्किंग अक्रॉस स्टेट्स (टेली-मानस) पहल शुरू की है.

टेली-मानस की शुरुआत : केंद्र सरकार ने केंद्रीय बजट 2022-23 में राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NTMHP) की घोषणा की. Tele-MANAS का उद्देश्य पूरे देश में चौबीसों घंटे मुफ्त टेलीमेंटल स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है, विशेष रूप से दूरस्थ या कम सेवा वाले क्षेत्रों में. कार्यक्रम में 23 टेली मानसिक स्वास्थ्य केंद्र का एक नेटवर्क शामिल है, जिसमें निमहंस नोडल केंद्र है और अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान-बैंगलोर (आईआईआईटीबी) प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करता है.

एक अनुमान के मुताबिक देश में लगभग 56 मिलियन व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं या अवसाद से पीड़ित हैं. सभी क्षेत्रों के लोग मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के शिकार हो जाते हैं. चाहे सरकारी क्षेत्र से जुड़े हों या निजी क्षेत्र में, मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियों से प्रभावित हो सकते हैं. इस मामले के बारे में बात करते हुए, Makemyhouse.com की मानव संसाधन प्रमुख, अलीफिया जौहर (Alifiya Johar) ने कहा कि कोविड -19 के दौरान लोग ज्यादातर प्रभावित हुए थे.

उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं कार्यस्थल पर अनुपस्थिति को बढ़ा सकती हैं और इसका असर काम पर पड़ता है. उन्होंने कहा कि 'कर्मचारियों से ही कंपनी चलती है इसलिए हर कंपनी को एक जन केंद्रित संस्कृति का निर्माण करना चाहिए जो खुले संवाद और विचारों को साझा करने में मदद करे.'

मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर बात करते हुए दक्षिण पूर्व एशिया के लिए डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक, डॉ. पूनम खेत्रपाल ( Dr Poonam Khetrapal) ने कहा, 'डब्ल्यूएचओ दक्षिण पूर्व एशिया के सदस्य देशों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक गुणवत्तापरक पहुंच के लिए तेजी से प्रयास कर रहा है, इसके अनुरूप लोगों पर केंद्रित मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और सेवाओं के लिए सार्वभौमिक पहुंच पर हाल ही में पारो डेक्लरेशन (Paro Deceleration) को अपनाया.'

यह स्वीकार करते हुए कि मानसिक उपचार में अंतराल विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बड़ा था, डॉ खेत्रपाल ने कहा कि अनुमानित 7 में से 1 व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के साथ रहता था, और काउंटियों में जहां डेटा आरा उपलब्ध है, उपचार अंतराल 70 से 95 प्रतिशत तक था। .

निम्न और मध्यम आय वाले देशों में मानसिक उपचार में अंतर है इसको स्वीकार करते हुए डॉ. खेत्रपाल ने कहा कि 'अनुमानित 7 में से 1 व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के साथ रहता है. काउंटियों में जहां डेटा उपलब्ध है, उपचार अंतराल 70 से 95 प्रतिशत तक था.'

डॉ. खेत्रपाल ने कहा कि 2020 में प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार के मामलों में वैश्विक स्तर पर 37 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने का अनुमान है. चिंता-घबराहट विकारों (anxiety disorders) के मामलों में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. 2 अरब लोग पहले से ही मानसिक विकार के साथ जी रहे हैं. डॉ. खेत्रपाल ने कहा, 'मानसिक स्वास्थ्य के बिना किसी को स्वास्थ नहीं कहा जा सकता. Covid19 के बीच हमें प्रतिबद्धता को गहरा करना चाहिए, वातावरण को नया रूप देना चाहिए और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर जीवन और सभी के भविष्य के लिए देखभाल को मजबूत करना चाहिए.'

पढ़ें- वक्त की जरूरत है मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता,World Mental Health Day 2022

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