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ED action in Chhattisgarh: विधानसभा चुनाव 2023 पर ईडी छापे का कितना पड़ेगा असर, ईडी एक्शन से चुनाव में किसे मिलेगा फायदा ! - विधानसभा चुनाव 2023

छत्तीसगढ़ में चुनावी साल चल रहा है. कुछ ही महीनों में आचार संहिता भी लागू हो जाएगी. तमाम राजनेताओं ने अपने क्षेत्र में मेहनत करनी शुरू भी कर दी है. लेकिन इसी के साथ प्रदेश में अब ईडी का साया भी मंडरा रहा है. ईडी के अफसर अभी भी प्रदेश में डेरा जमाए हुए हैं. कांग्रेस नेताओं के घर छापेमारी के बाद कई दिग्गजों से पूछताछ के सिलसिला भी जारी है. कुछ लोग अब भी न्यायिक रिमांड पर जेल में है. Raipur latest news

ED action in Chhattisgarh
विधानसभा चुनाव 2023
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Published : Mar 11, 2023, 9:32 PM IST

ईडी की कार्रवाई का सियासी कनेक्शन !

रायपुर: विधानसभा चुनाव 2023 नजदीक है. हर कोई अपनी अपनी दावेदारी पेश कर रहा है. चुनावी माहौल बनाने में नेता से लेकर कार्यकर्ता जुट गए हैं. इन सबके बीच ईडी भी बड़ा फैक्टर है. ईडी का कार्रवाई कुछ पार्टियों के लिए फायदे वाली हैं तो कुछ के लिए खतरे की घंटी है. हाल फिलहाल की कार्रवाई के बाद ईडी जिन नेताओं से से पूछताछ कर रही है, सभी कांग्रेस नेताओं के करीबी माने जाते हैं. ईडी की कार्रवाई का असर क्या विधानसभा चुनाव में पड़ सकता है. किस पार्टी को इसका फायदा होगा और किसे नुकसान. पक्ष और विपक्ष इस कार्रवाई को किस तरह से देखते हैं. आइए जानते हैं क्या कह रहे हैं राजनीतिक जानकर.

विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है नुकसान: वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक जानकर उचित शर्मा कहते हैं कि "जो वर्तमान दृश्य हिंदुस्तान के लोकतंत्र का है, उसमें जिस राज्य में भी चुनाव होंगे, उसके पहले ईडी की एंट्री ऑटोमेटिक हो जाती है. निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ भी उसी तरफ आगे बढ़ रहा है. छत्तीसगढ़ में ईडी लगभग एक साल से काम कर रही है, लेकिन यह बात भी बहुत हद तक सत्य है कि जिनके यहां भी ईडी के छापे हो रहे हैं उसमें से कोई बहुत ईमानदार लोग हैं नहीं. अब ईडी के छापे सूर्यकांत तिवारी के यहां है या समीर विश्नोई के यहां हैं, जिनके यहां करोड़ों रुपए निकल रहे हैं. इससे भी नकारा नहीं किया जा सकता कि ईडी ने भ्रष्ट लोगों को टारगेट किया हुआ है."

यह भी पढ़ें: Crisis on existence of Jogi Congress: छत्तीसगढ़ में जोगी कांग्रेस के अस्तित्व पर संकट!

भाजपा ईडी कार्रवाई को बना रही मुद्दा: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि "छत्तीसगढ़ में ईडी की छापेमार कार्रवाई चल रही है, उसका कारण खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं. हम सब इस बात को जानते हैं कि जब पहले रेड हुई थी तो भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी ने यह कहा कि सरकार को अस्थिर करने के लिए ईडी और आईटी की रेड है. फिर कहा कि विपक्ष के राज्यों को टारगेट किया जा रहा है और हाल ही में कहा कि अधिवेशन से घबराकर यह रेड हुई है. वास्तव में जो सच्चाई है वह यह है कि पूर्व में जो आईटी और ईडी के रेड पड़े हैं, उसमें जो साक्ष्य मिले हैं, उसके आधार पर ईडी कार्रवाई कर रही है. यह सरकार पूरी तरह से भ्रष्टचारियों की सरकार है."

भाजपा का होगा सूपड़ा साफ: कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि "केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देशभर में विपक्ष को कमजोर करने के मकसद से ईडी की ओर से कार्रवाई हो रही है. इसके पीछे केंद्र में बैठी नरेंद्र मोदी की सरकार का हाथ है. छत्तीसगढ़ में भी भाजपा समझ चुकी है यह सरकार छत्तीसगढ़ियों की सरकार है. किसानों, गरीबों, युवाओं और यहां की सांस्कृतिक परंपरा और धरोहर को बचाने का काम हमारी सरकार कर रही है. भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है. इसलिए ईडी के माध्यम से भ्रम फैलाकर चुनावी मैदान में उतरना चाहती है. छत्तीसगढ़ की जनता समझ चुकी है कि यह कार्रवाई भाजपा के इशारे पर हो रही है. आगामी चुनाव में यहां से भाजपा का सूपड़ा साफ होने वाला है."

ईडी की कार्रवाई का सियासी कनेक्शन !

रायपुर: विधानसभा चुनाव 2023 नजदीक है. हर कोई अपनी अपनी दावेदारी पेश कर रहा है. चुनावी माहौल बनाने में नेता से लेकर कार्यकर्ता जुट गए हैं. इन सबके बीच ईडी भी बड़ा फैक्टर है. ईडी का कार्रवाई कुछ पार्टियों के लिए फायदे वाली हैं तो कुछ के लिए खतरे की घंटी है. हाल फिलहाल की कार्रवाई के बाद ईडी जिन नेताओं से से पूछताछ कर रही है, सभी कांग्रेस नेताओं के करीबी माने जाते हैं. ईडी की कार्रवाई का असर क्या विधानसभा चुनाव में पड़ सकता है. किस पार्टी को इसका फायदा होगा और किसे नुकसान. पक्ष और विपक्ष इस कार्रवाई को किस तरह से देखते हैं. आइए जानते हैं क्या कह रहे हैं राजनीतिक जानकर.

विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है नुकसान: वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक जानकर उचित शर्मा कहते हैं कि "जो वर्तमान दृश्य हिंदुस्तान के लोकतंत्र का है, उसमें जिस राज्य में भी चुनाव होंगे, उसके पहले ईडी की एंट्री ऑटोमेटिक हो जाती है. निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ भी उसी तरफ आगे बढ़ रहा है. छत्तीसगढ़ में ईडी लगभग एक साल से काम कर रही है, लेकिन यह बात भी बहुत हद तक सत्य है कि जिनके यहां भी ईडी के छापे हो रहे हैं उसमें से कोई बहुत ईमानदार लोग हैं नहीं. अब ईडी के छापे सूर्यकांत तिवारी के यहां है या समीर विश्नोई के यहां हैं, जिनके यहां करोड़ों रुपए निकल रहे हैं. इससे भी नकारा नहीं किया जा सकता कि ईडी ने भ्रष्ट लोगों को टारगेट किया हुआ है."

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भाजपा ईडी कार्रवाई को बना रही मुद्दा: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि "छत्तीसगढ़ में ईडी की छापेमार कार्रवाई चल रही है, उसका कारण खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं. हम सब इस बात को जानते हैं कि जब पहले रेड हुई थी तो भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी ने यह कहा कि सरकार को अस्थिर करने के लिए ईडी और आईटी की रेड है. फिर कहा कि विपक्ष के राज्यों को टारगेट किया जा रहा है और हाल ही में कहा कि अधिवेशन से घबराकर यह रेड हुई है. वास्तव में जो सच्चाई है वह यह है कि पूर्व में जो आईटी और ईडी के रेड पड़े हैं, उसमें जो साक्ष्य मिले हैं, उसके आधार पर ईडी कार्रवाई कर रही है. यह सरकार पूरी तरह से भ्रष्टचारियों की सरकार है."

भाजपा का होगा सूपड़ा साफ: कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि "केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देशभर में विपक्ष को कमजोर करने के मकसद से ईडी की ओर से कार्रवाई हो रही है. इसके पीछे केंद्र में बैठी नरेंद्र मोदी की सरकार का हाथ है. छत्तीसगढ़ में भी भाजपा समझ चुकी है यह सरकार छत्तीसगढ़ियों की सरकार है. किसानों, गरीबों, युवाओं और यहां की सांस्कृतिक परंपरा और धरोहर को बचाने का काम हमारी सरकार कर रही है. भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है. इसलिए ईडी के माध्यम से भ्रम फैलाकर चुनावी मैदान में उतरना चाहती है. छत्तीसगढ़ की जनता समझ चुकी है कि यह कार्रवाई भाजपा के इशारे पर हो रही है. आगामी चुनाव में यहां से भाजपा का सूपड़ा साफ होने वाला है."

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