सूरत: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो संदेश के माध्यम से आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया (एएम/एनएस इंडिया) के हजीरा संयंत्र के विस्तार के अवसर पर सभा को संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस इस्पात संयंत्र के माध्यम से न केवल निवेश हो रहा है बल्कि कई नई संभावनाओं के दरवाजे भी खुल रहे हैं. प्रधानमंत्री ने बताया कि 60 हजार करोड़ से अधिक के इस निवेश से गुजरात और देश के युवाओं के लिए रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे. इस विस्तार के बाद हजीरा स्टील प्लांट में कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता 90 लाख टन से बढ़कर 1.5 करोड़ टन हो जाएगी.
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Participated in the Virtual Bhoomi Pujan Ceremony of ArcelorMittal Nippon Steel India Ltd. Expansion Plant at Hazira, Surat, graced by Hon'ble PM Shri @narendramodi ji and CM Shri @Bhupendrapbjp ji, @BJP4Gujarat President Shri @CRPaatil ji, Shri Lakshmi Mittal ji and others. pic.twitter.com/kAx9FgV73M
— Darshana Jardosh (@DarshanaJardosh) October 28, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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2047 तक एक विकसित भारत के लक्ष्यों की ओर बढ़ने में इस्पात उद्योग की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश में इस्पात क्षेत्र मजबूत होता है तो बुनियादी ढांचा क्षेत्र मजबूत होता है. इसी तरह इस्पात क्षेत्र का सड़कों, रेलवे, हवाई अड्डों, बंदरगाहों, निर्माण, मोटर वाहन, पूंजीगत सामान और इंजीनियरिंग उत्पादों में बहुत बड़ा योगदान है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस विस्तार के साथ-साथ भारत में एक पूरी तरह से नई तकनीक आ रही है जो इलेक्ट्रिक वाहन, ऑटोमोबाइल और अन्य विनिर्माण क्षेत्रों में बहुत बड़ी मदद होगी.
उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया की यह परियोजना मेक इन इंडिया के विजन में मील का पत्थर साबित होगी. यह विकसित भारत और इस्पात क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारे प्रयासों को नई ताकत देगी. भारत से दुनिया की अपेक्षाओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत तेजी से दुनिया का सबसे बड़ा विनिर्माण केंद्र बनने की ओर बढ़ रहा है और सरकार इस क्षेत्र के विकास के लिए आवश्यक नीतिगत माहौल बनाने में सक्रिय रूप से लगी हुई है.
उन्होंने कहा कि पिछले 8 वर्षों में सभी के प्रयासों के कारण भारतीय इस्पात उद्योग दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक उद्योग बन गया है. इस उद्योग में विकास की अपार संभावनाएं हैं. भारतीय इस्पात उद्योग को और बढ़ावा देने के उपायों के बारे में प्रधानमंत्री ने बताया. उन्होंने कहा कि पीएलआई योजना ने इस उद्योग के विकास के नए रास्ते निर्मित किए हैं. आईएनएस विक्रांत का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि देश ने उच्च श्रेणी के स्टील में विशेषज्ञता हासिल की है जिसका इस्तेमाल महत्वपूर्ण रणनीतिक अनुप्रयोगों में बढ़ रहा है.
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प्रधानमंत्री ने कहा कि डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने विमानवाहक पोत में इस्तेमाल होने वाले विशेष स्टील को विकसित किया है. भारतीय कंपनियों ने हजारों मीट्रिक टन स्टील का उत्पादन किया और आईएनएस विक्रांत स्वदेशी क्षमता व तकनीक के साथ पूरी तरह तैयार हुआ था. ऐसी क्षमता को बढ़ावा देने के लिए देश ने अब कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. वर्तमान में हम 154 मीट्रिक टन कच्चे इस्पात का उत्पादन करते हैं. हमारा लक्ष्य अगले 9-10 वर्षों में 300 मीट्रिक टन उत्पादन क्षमता हासिल करना है.
विकास के विजन के रास्ते में आने वाली चुनौतियों की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने इस्पात उद्योग के लिए कार्बन उत्सर्जन का उदाहरण दिया. उन्होंने बताया कि एक तरफ भारत कच्चे इस्पात की उत्पादन की क्षमता का विस्तार कर रहा है और दूसरी तरफ पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों के उपयोग को भी बढ़ावा दे रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत ऐसी उत्पादन तकनीकों को विकसित करने पर जोर दे रहा है जो न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम करती हैं बल्कि कार्बन को कैप्चर करके उनका पुन: उपयोग भी करती है.
उन्होंने आगे बताया कि देश में सर्कुलर अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दिया जा रहा है और इस दिशा में सरकार व निजी क्षेत्र मिलकर काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे खुशी है कि एएमएनएस इंडिया समूह की हजीरा परियोजना भी हरित प्रौद्योगिकी के उपयोग पर बहुत जोर दे रही है. अपने संबोधन के समापन में प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हर कोई किसी लक्ष्य की दिशा में पूरी ताकत से प्रयास करना शुरू कर दे तो उसे हासिल करना मुश्किल नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार इस्पात उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है. अंत में उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि यह परियोजना इस पूरे इलाके और इस्पात क्षेत्र के विकास को गति प्रदान करेगी.
हजीरा संयंत्र के विस्तार पर 60,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी एएमएनएस इंडिया: आर्सेलरमित्तल की इकाई एएमएनएस इंडिया गुजरात के हजीरा में अपने इस्पात संयंत्र की उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 1.5 करोड़ टन करने के लिए 60,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. कंपनी के चेयरमैन आदित्य मित्तल ने शुक्रवार को संयंत्र के विस्तार के लिए 'भूमि पूजन' के बाद कहा कि हम अपने संयंत्र की उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 1.5 करोड़ टन करने के लिए 60,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे. वर्तमान में इस संयंत्र की उत्पादन क्षमता 90 लाख टन है. उन्होंने कहा कि इस निवेश का इस्तेमाल इस्पात बनाने वाली प्रौद्योगिकी, नई पीढ़ी की मशीनरी की स्थापना और उत्पाद मिश्रण को बढ़ाने के लिए किया जाएगा.
हजीरा संयंत्र से बुलेट ट्रेन के लिए इस्पात आपूर्ति की योजना: आर्सेलरमित्तल की इकाई एएमएनएस इंडिया भारत में प्रस्तावित बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए उच्च क्षमता वाले विशेष इस्पात की आपूर्ति करने की योजना बना रही है. चेयरमैन ने कहा कि पहली बुलेट ट्रेन के वर्ष 2026 में सूरत और बिलिमोरा के बीच 50 किलोमीटर के खंड पर चलने की उम्मीद है और हमारा इस्पात उस ट्रेन के निर्माण में शामिल होगा. उन्होंने कहा कि हम ऐसी प्रौद्योगिकियां ला रहे हैं जो भारत में मौजूद नहीं हैं. हम ऐसे उत्पाद बनाएंगे जो यहां पर कभी नहीं बने.