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आवारा कुत्ते ने काटा तो उसको खाना खिलाने वाली महिला पर पड़ोसी ने कर दिया केस, नौ साल बाद हुआ समझौता - neighbor files case against woman

Neighbor files case against woman after dog bit her in Delhi: दिल्ली में कुत्ता काटने का 9 साल पुराना केस शुक्रवार को खत्म हो गया. दोनों पक्षों ने आपस में समझौता कर लिया, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया. दरअसल, 2014 में एक व्यक्ति को आवारा कुत्ते ने काट लिया था. इस पर उनसे पड़ोसी महिला पर केस दर्ज कर दिया था. पढ़ें, पूरा मामला

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 15, 2023, 3:33 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली नगर निगम से आवारा कुत्तों की समस्या के गंभीर मुद्दे पर तत्काल उचित कार्रवाई करने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि आवारा कुत्तों के खतरे का मुद्दा गंभीर मुद्दा है, जिसे संबंधित प्राधिकारी को तत्काल सुलझाने की आवश्यकता है. न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि उचित कार्रवाई के लिए इस आदेश की एक प्रति आयुक्त, एमसीडी को भेजी जाए.

अदालत ने सारिका पटेल के खिलाफ 2014 में दर्ज दो एफआईआर को रद्द करते हुए यह आदेश पारित किया. इसमें आरोप लगाया गया था कि उसके पालतू जानवर ने एक आदमी और उसके पिता को दो अलग-अलग अवसर पर काट लिया था. पिछले साल मई में दोनों पक्ष सौहार्दपूर्ण समझौते पर पहुंचे. दोनों पक्ष पड़ोसी हैं.

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पार्टियों के बीच विवाद मुख्यतः निजी प्रकृति का है और दोनों ने अपने सभी विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया है. न्याय के हित में इस विवाद को शांत करना बेहतर होगा. खुद को एक परोपकारी और पशु प्रेमी होने का दावा करने वाली सारिका पटेल ने कहा कि वह नियमित रूप से आवारा कुत्तों और अपने यहां अड़ोस-पड़ोस में रहने वाले छोटे पिल्लों को खाना खिलाती हैं.

यह भी पढ़ेंः कुत्ता काटे तो 15 मिनट तक साफ पानी और साबुन से धोएं, फिर जाएं अस्पताल..., जानें रेबीज से बचने के उपाय

उन्होंने यह भी कहा कि शिकायतकर्ताओं ने जिन कुत्तों को काटने का आरोप लगाया है, वे वास्तव में आवारा कुत्ते थे. न कि उनके पालतू जानवर और वह संभवतः आवारा कुत्तों पर कोई नियंत्रण नहीं रख सकती थीं. उनके वकील ने यह भी कहा कि चूंकि पक्षकार पड़ोसी थे, इसलिए वे अपने समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए शिकायतों को खत्म करना चाहते हैं.

कोर्ट में दलील दी गई कि उन्होंने मामला सुलझा लिया है और अब उन्हें एक-दूसरे से कोई शिकायत नहीं है. न्यायमूर्ति शर्मा ने शिकायतों को खारिज कर दिया और कहा कि दोषसिद्धि की संभावना कम होगी, यह देखते हुए कि समझौते के कारण पक्ष अपनी शिकायतों को आगे बढ़ाना नहीं चाहते हैं. मुझे समझौते को अस्वीकार करने का कोई कारण नजर नहीं आता.

यह भी पढ़ेंः International Dog Day: कठिन प्रक्रिया से पड़ता है गुजरना, जानिए कैसे होता है NDRF में रेस्क्यू डॉग्स का सेलेक्शन

यह भी पढ़ेंः 20 Crore Dog: बेंगलुरु के इस शख्स ने खरीदा 20 करोड़ का कुत्ता, वजह जानकार रह जाएंगे हैरान

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली नगर निगम से आवारा कुत्तों की समस्या के गंभीर मुद्दे पर तत्काल उचित कार्रवाई करने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि आवारा कुत्तों के खतरे का मुद्दा गंभीर मुद्दा है, जिसे संबंधित प्राधिकारी को तत्काल सुलझाने की आवश्यकता है. न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि उचित कार्रवाई के लिए इस आदेश की एक प्रति आयुक्त, एमसीडी को भेजी जाए.

अदालत ने सारिका पटेल के खिलाफ 2014 में दर्ज दो एफआईआर को रद्द करते हुए यह आदेश पारित किया. इसमें आरोप लगाया गया था कि उसके पालतू जानवर ने एक आदमी और उसके पिता को दो अलग-अलग अवसर पर काट लिया था. पिछले साल मई में दोनों पक्ष सौहार्दपूर्ण समझौते पर पहुंचे. दोनों पक्ष पड़ोसी हैं.

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पार्टियों के बीच विवाद मुख्यतः निजी प्रकृति का है और दोनों ने अपने सभी विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया है. न्याय के हित में इस विवाद को शांत करना बेहतर होगा. खुद को एक परोपकारी और पशु प्रेमी होने का दावा करने वाली सारिका पटेल ने कहा कि वह नियमित रूप से आवारा कुत्तों और अपने यहां अड़ोस-पड़ोस में रहने वाले छोटे पिल्लों को खाना खिलाती हैं.

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उन्होंने यह भी कहा कि शिकायतकर्ताओं ने जिन कुत्तों को काटने का आरोप लगाया है, वे वास्तव में आवारा कुत्ते थे. न कि उनके पालतू जानवर और वह संभवतः आवारा कुत्तों पर कोई नियंत्रण नहीं रख सकती थीं. उनके वकील ने यह भी कहा कि चूंकि पक्षकार पड़ोसी थे, इसलिए वे अपने समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए शिकायतों को खत्म करना चाहते हैं.

कोर्ट में दलील दी गई कि उन्होंने मामला सुलझा लिया है और अब उन्हें एक-दूसरे से कोई शिकायत नहीं है. न्यायमूर्ति शर्मा ने शिकायतों को खारिज कर दिया और कहा कि दोषसिद्धि की संभावना कम होगी, यह देखते हुए कि समझौते के कारण पक्ष अपनी शिकायतों को आगे बढ़ाना नहीं चाहते हैं. मुझे समझौते को अस्वीकार करने का कोई कारण नजर नहीं आता.

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