हैदराबाद : पिछले दिनों ब्रिटिश सांसदों के एक समूह ने बीजिंग में 2022 में होने वाले शीतकालीन ओलंपिक खेलों का राजनीतिक बहिष्कार करने की मांग की थी. सांसदों का कहना था कि इस कदम से चीन सरकार पर शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों (Uighur Muslims) और अन्य जातीय समूहों के ‘नरसंहार’ रोकने के लिए दबाव बनेगा.
जब सांसद इंग्लैंड में अपनी यह मांग रख रहे थे, तभी कनाडा में ईस्ट तुर्किस्तान एसोसिएशन ऑफ कनाडा ( East Turkistan Association of Canada) के सदस्य चीन में उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न के खिलाफ मार्च कर रहे थे. इंटरनैशनल लेवल पर उइगरों को बचाने के लिए उठी आवाज के बीच चीन ने कुछ चुनिंदा लोगों को शिनजियांग (Xinjiang) क्षेत्र का दौरा कराया, जहां दुनिया के सबसे बड़े डिटेंशन सेंटर बनाए गए हैं.
चीन इन डिटेंशन सेंटरों को 'री-एजुकेशन' कैंप कहता है, जहां लोगों को प्रशिक्षण दिया जाता है. यह 220 एकड़ में फैला है, जहां 10 हजार लोग रखे जा सकते हैं. रिपोर्टस के अनुसार, कम्युनिस्ट सरकार ने देश के सुदूर पश्चिम में शिनजियांग में 1,014,883 कैदियों के लिए 347 परिसरों का निर्माण किया था. सैटेलाइट से ली गई तस्वीर में यह सामने आया था कि 2019 में दाबनचेंग डिटेंशन सेंटर में लगभग एक मील के इलाके में कई इमारतें बनाई गई हैं.
इन इमारतों में एक लाख से अधिक उइगर मुसलमान बंद हैं. आरोप है कि उन्हें यहां यातनाएं दी जा रही हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि शिनजियांग में जो लोग विदेश जाने या धार्मिक सभाओं में शामिल होते हैं, उसे चीन की सरकार डिटेंशन सेंटर में धकेल देती है.
कौन हैं उइगर मुसलमान : उइगर मुख्य रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यक तुर्क जातीय समूह हैं. उइगर मुसलमानों की उत्पत्ति मध्य और पूर्वी एशिया की मानी जाती है. उइगर समुदाय के लोगों की अपनी भाषा है, जो काफी हद तक तुर्की से मिलती-जुलती है. वे चीन में बोली जाने वाली भाषा मंदारिन नहीं बोलते. इसी तरह वह खुद को सांस्कृतिक तौर पर मध्य एशियाई देशों के करीबी बताते हैं. चीन सरकार के आंकड़े बताते हैं कि शिनजियांग में उइगर मुसलमानों की आबादी एक करोड़ 20 लाख है. मगर उइगर समूहों का दावा है कि शिनजियांग में उनकी आबादी 2 करोड़ से अधिक है.
1949 से शुरू हुई उइगरों की मुसीबत : शिनजियांग चीन के उत्तर-पश्चिम में चीन का सबसे बड़ा प्रांत है. यह पाकिस्तान से डेढ़ गुना और बांग्लादेश की तुलना में 12 गुना ज़्यादा बड़ा है. इस इलाके को स्वायत्त क्षेत्र (Uighur Autonomous Region) का दर्जा प्राप्त है. लेकिन सच यह है कि तिब्बत की तरह ही इस इलाके में चीन की मनमर्जी चलती है. बीजिंग से ही इसकी दशा और दिशा तय होती है. 1949 के बाद चीन ने यहां अपनी नीतियों को लागू करने के लिए मानवाधिकारों को ताक पर रख दिया. इसकी सीमाएं भारत, अफ़ग़ानिस्तान और मंगोलिया जैसे कई देशों से मिलती हैं. इसके कई इलाके पहले सिल्क रूट का हिस्सा रहे हैं.
उइगर कार्यकर्ताओं का आरोप, शिनजियांग में चीन कर रहा है जुल्म : उइगर कार्यकर्ताओं का आरोप है कि चीन की सरकार उनके समूह की संस्कृति को नष्ट करना चाहती है. इलाके की धार्मिक परंपराओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. वहां नमाज पढ़ने और रोजा रखने पर प्रतिबंध है. पुरुषों को दाढ़ी रखने और महिलाओं को बुर्का पहनने की इजाजत नहीं है. मस्जिद और मकबरों समेत उइगर समुदाय से जुड़े प्रतीक चिह्न ध्वस्त किए जा रहे हैं. साथ ही शिनजियांग प्रांत में हान चीनी ( बहुमत समुदाय के लोग) को रणनीतिक तौर से बसाया जा रहा है, ताकि उइगर इलाके में अल्पसंख्यक हो जाएं. फरवरी 2021 में अमेरिका पहुंचीं उइगर महिला तुरुसुने जियावुदुन ने दावा किया था कि डिटेंशन सेंटर में महिलाओं के साथ रेप भी हुआ. आरोप यह भी है कि चीन की सरकार उइगर महिलाओं और पुरुषों की नसंबदी करा रही है.
चीन की दलील, री-एजुकेशन कैंप में कर रहे हैं कट्टर लोगों को शिक्षित : चीनी अधिकारी इन आरोपों को मनगढ़ंत बताते हैं. बंदी और यातना शिविरों को यहां 'री-एजुकेशन' कैंप कहा जाता है. चीन सरकार का कहना है कि वह शिनजियांग प्रांत के री-एजुकेशन कैंप में लोगों की 'शिक्षित' कर रहा है. इन कैंपों का मकसद इस प्रांत के लोगों की विचारधारा बदलना है. चीन का दावा है कि वह शिनजियांग में इस्लामी चरमपंथ से लड़ रहा है. ये कैंप उन लोगों को शिक्षित करने के लिए हैं, जो धार्मिक कट्टरता से प्रभावित हैं.
आखिर उइगरों की हालत पर चुप क्यों है दुनिया ?
- ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा ने सीधे तौर पर चीन में चलाए जा रहे डिटेंशन कैंप के खिलाफ आवाज उठाई है. फरवरी 2021 में अमेरिका के विदेश विभाग ने देशों में मानवाधिकार की स्थिति पर वार्षिक रिपोर्ट जारी की थी. रिपोर्ट में चीन से संबंधित उइगर मुसलमानों का मुद्दा उठाया गया था. हालांकि अभी तक इसे संयुक्त राष्ट्र के स्तर पर नहीं उठाया गया है.
- पाकिस्तान समेत इस्लामिक देश भी उइगरों की हालत की अनदेखी करते हैं. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, एक जुलाई 2021 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि बीजिंग के साथ इस्लामाबाद की ‘बेहद निकटता और करीबी संबंध’ की वजह से पाकिस्तान चीन में उइगर मुस्लिम के साथ व्यवहार संबंधी आरोपों पर ‘चीन के बयानों’ को स्वीकार करता है.
- दुनिया के ज़्यादातर मुस्लिम देशों के चीन से व्यापारिक रिश्ते हैं. चीन के 'एक बेल्ट एक रोड' प्रोजेक्ट में 30 मुस्लिम देश शामिल हैं. चीन ने पाकिस्तान में 4.47 लाख करोड़ का निवेश किया है. इसके अलावा सऊदी अरब, ईरान, मलेशिया में भी चीन ने काफी निवेश कर रखा है. माना जा रहा है कि इन कारणों से मुस्लिम देश इस मुद्दे से परहेज करते हैं.
- अफगानिस्तान में मुस्लिम कानून लागू करने वाले तालिबान ने उइगरों से मुंह मोड़ लिया है. अफगानिस्तान में चल रहे ताजा घटनाक्रम के बीच तालिबान ने चीन को आश्वस्त किया है कि वह उइगर मसले पर प्रतिक्रिया नहीं देगा. तालिबान चाहता है कि उसके शासन के दौरान चीन अफगानिस्तान में निवेश करता रहे.
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