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क्या है पेगासस स्पाइवेयर, जिसने भारत की राजनीति में तहलका मचा रखा है ? - zero click attack

पेगासस स्पाइवेयर ने इन दिनों भारत की सियासत में तहलका मचा रखा है. सोशल मीडिया से लेकर संसद तक इसी नाम का चर्चा है. आखिर क्या है ये पेगासस स्पाइवेयर. जानने के लिए पढ़िये पूरी ख़बर

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Published : Jul 19, 2021, 5:11 PM IST

हैदराबाद : भारतीय संसद के मॉनसून सत्र का आगाज सोमवार को भारी हंगामा के साथ हुआ. सत्र की शुरुआत होने से पहले ही पेगासस के जरिये जासूसी का ऐसा मुद्दा आ गया है, जिसने राजनीतिक भूचाल ला दिया है. इस मुद्दे पर विपक्ष संसद में चर्चा कराने पर अड़ा है. कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि, हमें पता है कि वह आपके फोन से सब कुछ पढ़ रहे हैं. दरअसल उनका निशाना पेगासस के जरिये जासूसी कराने के आरोपों पर था.

दरअसल एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन (international media organization) ने खुलासा किया है कि इजराइल के खुफिया साफ्टवेयर पेगासस के जरिए भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश समेत 300 लोगों की जासूसी की गई. पेगासस स्पाइवेयर डिवेलप करने वाली कंपनी एनएसओ ( NSO) इजराइल की है. कंपनी का दावा है कि वह सिर्फ सरकारों को अधिकृत रूप से यह सॉफ्टवेयर बेचता है.

इसका उद्देश्य आतंकवाद और अपराध को रोकना है. सवाल यह है कि क्या भारत सरकार ने एनएसओ (NSO) से यह सॉफ्टवेयर खरीदा था. हालांकि गार्जियन अखबार का कहना है कि एनएसओ (NSO) ने इस सॉफ्टवेयर को कई देशों की सरकारों को बेचा है. इस सॉफ्टवेयर के जरिए 50 हजार से ज्यादा लोगों की जासूसी की जा रही है.

  • The Pegasus Debate In Rajya Sabha https://t.co/DShxmOQzbH via @YouTube

    इसके बाद मैंने मंत्री जी को पत्र लिख कर जिन लोगों के फ़ोन हैक हुए थे वह सूचि उजागर करने का अनुरोध किया था जो वॉट्सअप ने उन्हें भेजी थी। आज तक मुझे मेरे पत्र का उत्तर नहीं मिला।

    — digvijaya singh (@digvijaya_28) July 19, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

राज्यसभा में 28 नवम्बर, 2019 को दिग्विजय सिंह ने सरकार से पेगासस (Pegasus) के विषय में सवाल पूछे थे. 18 जुलाई को भी उन्होंने इस बारे में ट्वीट किया और सरकार पर जासूसी कराने का आरोप लगाया. खुद बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने सरकार को चेतावनी दे डाली. उन्होंने कहा कि यह समझदारी होगी यदि गृह मंत्री संसद को बताएं कि मोदी सरकार का उस इजरायली कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है जिसने हमारे टेलीफोन टैप और टेप किए हैं. नहीं तो वाटरगेट की तरह सच्चाई सामने आएगी और हलाल के रास्ते बीजेपी को नुकसान पहुंचाएगी.

  • It will be sensible if the Home Minister tells Parliament that Modi Government has nor had any involvement with the Israeli company which tapped and taped our telephones. Otherwise like Watergate truth will trickle out and hurt BJP by halal route.

    — Subramanian Swamy (@Swamy39) July 19, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

क्या है पेगासस स्पाइवेयर ?

पेगासस एक पावरफुल स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाइवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रेकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.

संभल कर, जानिए कैसे होती है जासूसी ?

अगर यह पेगासस स्पाइवेयर आपके फोन में आ गया तो आप 24 घंटे हैकर्स की निगरानी में हो जाएंगे. यह आपको भेजे गए मैसेज को कॉपी कर लेगा. यह आपकी तस्वीरेों और कॉल रेकॉर्ड तत्काल हैकर्स से साझा करेगा. आपकी बातचीत रेकॉर्ड किया जा सकता है. आपको पता भी नहीं चलेगा और पेगासस आपके फोन से ही आपका विडियो बनता रहेगा. इस स्पाइवेयर में माइक्रोफोन को एक्टिव करने की क्षमता है. इसलिए किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले चेक जरूर कर लें.

कैसे फोन में आता है यह जासूस पेगासस ?

जैसे अन्य वायरस और सॉफ्टवेयर आपके फोन में आते हैं, वैसे ही पेगागस भी किसी मोबाइल फोन में एंट्री लेता है. इंटरनेट लिंक के सहारे. यह लिंक मेसेज, ई-मेल, वॉट्सऐप मेसेज के सहारे भेजे जाते हैं. 2016 में पेगासस की जासूसी के बारे में पहली बार पता चला. यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि उनके फोन में कई एसएमएस आए, जिसमें लिंक दिए गए थे. उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि स्पाईवेयर का लिंक है. एक्सपर्टस के मुताबिक, यह पेगागस का सबसे पुराना संस्करण था. अब इसकी टेक्नॉलजी और विकसित हो गई है. अब यह 'जीरो क्लिक' के जरिये यानी वॉइस कॉलिंग के जरिये भी फोन में एंट्री ले सकता है .

whatsapp ने किया था केस
whatsapp ने किया था केस

2019 में व्हॉट्स ऐप ने भी किया था खुलासा

एमनेस्टी इंटरनेशनल की बर्लिन स्थित सुरक्षा लैब में हुई जांच में सामने आया कि पेगासस को फोन तक पहुंचाने के लिए ई-मेल और मेसेज का सहारा लिया गया. 2019 में भी पेगासस सुर्खियों में था. अमेरिका की एक अदालत में मुकदमा करते हुए व्हाट्सऐप ने आरोप लगाया था कि इजरायल के एक NSO ग्रुप ने पेगासस की मदद से 1,400 पत्रकारों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के व्हाट्सएप की जानकारी उनके फोन से हैक की है.

व्हाट्सऐप ने NSO ग्रुप और Q साइबर टेक्नोलॉजी के खिलाफ मुकदमे में दावा किया गया था कि इन फोन में मिस्ड कॉल के जरिए पेगासस स्पाईवेयर को इंस्टॉल किया गया था. बताया जा रहा है कि हाल ही में NSO ने एपल (Apple) के आई मैसेज ( iMessage) सॉफ़्टवेयर में कमजोरियों का फायदा उठाना शुरू कर दिया है और पेगागस की पहुंच आई फोन तक (iPhones) तक हो गई. हालांकि कंपनी का दावा है कि वह इस तरह के हमलों को रोकने के लिए अपने सॉफ़्टवेयर को लगातार अपडेट कर रहा है.

संसद में पेगासस मामले पर हंगामा
संसद में पेगासस मामले पर हंगामा

राजनीति में जासूसी और फोन टैपिंग की कई कहानियां मशहूर हैं

भारतीय राजनीति में जासूसी और फोन टैपिंग की कहानियां हमेशा सामने आती रही हैं. 19 जनवरी 2006 को समाजवादी पार्टी के तत्कालीन महासचिव अमर सिंह ने आरोप लगाया था कि मनमोहन सरकार ने उनका फोन टैप कराया है. 17 अक्टूबर 2009 को ममता बनर्जी ने बंगाल की सीपीएम सरकार पर अपना फोन, ई-मेल टैप करने का आरोप लगाया था. 26 अप्रैल 2010 को संसद में फोन टैपिंग पर बड़ा हंगामा हुआ था. तब विपक्ष ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार कई बड़े कॉरपोरेट घरानों का फोन टैप करा रही है. 22 जून 2011 जब तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने पीएम मनमोहन सिंह को एक चिट्ठी लिखकर अपने दफ्तर की बगिंग के बारे में सीक्रेट जांच कराने का अनुरोध किया था. मार्च 2021 में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर फोन टैपिंग के आरोप लगे . कांग्रेस के विधायकों ने आरोप लगाया था कि सरकार अपने ही पार्टी के विधायकों के फोन टैप करा रही है. वेद प्रकाश सोलंकी ने आरोप लगाया कि फोन टैपिंग के साथ साथ विधायकों की जासूसी भी हो रही है

क्या कहता है भारत का कानून ?

भारत में इंडियन टेलिग्राफ ऐक्ट, 1885 के सेक्शन 5(2) के मुताबिक, केंद्र और राज्य सरकारों के पास सिर्फ फोन टैपिंग कराने का अधिकार है. अगर किसी सरकारी विभाग जैसे पुलिस या आयकर विभाग को लगता है कि किसी हालत में कानून का उल्लंघन हो रहा है, तो वह फोन टैपिंग करा सकती है. आईटी एक्ट के तहत, मोबाइल या कंप्यूटर में किसी वायरस और सॉफ्टवेयर के तहत सूचना लेना गैरकानूनी है. यह हैकिंग की श्रेणी में आता है, जो अपराध है. आईटी मंत्रालय ने अपनी सफाई में कहा कि सरकार अपने सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार के रूप में निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

ग्रीक कथा का नायक है पेगासस

अभी तो पेगासस ( Pegasus) अपनी जासूसी के लिए सुर्खियों में है. मगर ग्रीक मैथॉलॉजी में इसका मतलब है दिव्य शक्ति से युक्त पंखों वाला घोड़ा. ग्रीक मैथॉलॉजी में इसके अद्भुत कारनामे बताए जाते हैं. इजरायली कंपनी ने अपने स्पाईवेयर का नाम इस ग्रीक कहानियों के नायक के तौर पर रखा है. फिलहाल पेगागस भारत की राजनीति में धमाका कर रहा है. संसद में इसकी गूंज मॉनसून सत्र में रहेगी.

ये भी पढ़ें: व्हाट्सऐप के जरिए कैसे हुई 'जासूसी', आसान भाषा में समझें

हैदराबाद : भारतीय संसद के मॉनसून सत्र का आगाज सोमवार को भारी हंगामा के साथ हुआ. सत्र की शुरुआत होने से पहले ही पेगासस के जरिये जासूसी का ऐसा मुद्दा आ गया है, जिसने राजनीतिक भूचाल ला दिया है. इस मुद्दे पर विपक्ष संसद में चर्चा कराने पर अड़ा है. कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि, हमें पता है कि वह आपके फोन से सब कुछ पढ़ रहे हैं. दरअसल उनका निशाना पेगासस के जरिये जासूसी कराने के आरोपों पर था.

दरअसल एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन (international media organization) ने खुलासा किया है कि इजराइल के खुफिया साफ्टवेयर पेगासस के जरिए भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश समेत 300 लोगों की जासूसी की गई. पेगासस स्पाइवेयर डिवेलप करने वाली कंपनी एनएसओ ( NSO) इजराइल की है. कंपनी का दावा है कि वह सिर्फ सरकारों को अधिकृत रूप से यह सॉफ्टवेयर बेचता है.

इसका उद्देश्य आतंकवाद और अपराध को रोकना है. सवाल यह है कि क्या भारत सरकार ने एनएसओ (NSO) से यह सॉफ्टवेयर खरीदा था. हालांकि गार्जियन अखबार का कहना है कि एनएसओ (NSO) ने इस सॉफ्टवेयर को कई देशों की सरकारों को बेचा है. इस सॉफ्टवेयर के जरिए 50 हजार से ज्यादा लोगों की जासूसी की जा रही है.

  • The Pegasus Debate In Rajya Sabha https://t.co/DShxmOQzbH via @YouTube

    इसके बाद मैंने मंत्री जी को पत्र लिख कर जिन लोगों के फ़ोन हैक हुए थे वह सूचि उजागर करने का अनुरोध किया था जो वॉट्सअप ने उन्हें भेजी थी। आज तक मुझे मेरे पत्र का उत्तर नहीं मिला।

    — digvijaya singh (@digvijaya_28) July 19, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

राज्यसभा में 28 नवम्बर, 2019 को दिग्विजय सिंह ने सरकार से पेगासस (Pegasus) के विषय में सवाल पूछे थे. 18 जुलाई को भी उन्होंने इस बारे में ट्वीट किया और सरकार पर जासूसी कराने का आरोप लगाया. खुद बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने सरकार को चेतावनी दे डाली. उन्होंने कहा कि यह समझदारी होगी यदि गृह मंत्री संसद को बताएं कि मोदी सरकार का उस इजरायली कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है जिसने हमारे टेलीफोन टैप और टेप किए हैं. नहीं तो वाटरगेट की तरह सच्चाई सामने आएगी और हलाल के रास्ते बीजेपी को नुकसान पहुंचाएगी.

  • It will be sensible if the Home Minister tells Parliament that Modi Government has nor had any involvement with the Israeli company which tapped and taped our telephones. Otherwise like Watergate truth will trickle out and hurt BJP by halal route.

    — Subramanian Swamy (@Swamy39) July 19, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

क्या है पेगासस स्पाइवेयर ?

पेगासस एक पावरफुल स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाइवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रेकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.

संभल कर, जानिए कैसे होती है जासूसी ?

अगर यह पेगासस स्पाइवेयर आपके फोन में आ गया तो आप 24 घंटे हैकर्स की निगरानी में हो जाएंगे. यह आपको भेजे गए मैसेज को कॉपी कर लेगा. यह आपकी तस्वीरेों और कॉल रेकॉर्ड तत्काल हैकर्स से साझा करेगा. आपकी बातचीत रेकॉर्ड किया जा सकता है. आपको पता भी नहीं चलेगा और पेगासस आपके फोन से ही आपका विडियो बनता रहेगा. इस स्पाइवेयर में माइक्रोफोन को एक्टिव करने की क्षमता है. इसलिए किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले चेक जरूर कर लें.

कैसे फोन में आता है यह जासूस पेगासस ?

जैसे अन्य वायरस और सॉफ्टवेयर आपके फोन में आते हैं, वैसे ही पेगागस भी किसी मोबाइल फोन में एंट्री लेता है. इंटरनेट लिंक के सहारे. यह लिंक मेसेज, ई-मेल, वॉट्सऐप मेसेज के सहारे भेजे जाते हैं. 2016 में पेगासस की जासूसी के बारे में पहली बार पता चला. यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि उनके फोन में कई एसएमएस आए, जिसमें लिंक दिए गए थे. उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि स्पाईवेयर का लिंक है. एक्सपर्टस के मुताबिक, यह पेगागस का सबसे पुराना संस्करण था. अब इसकी टेक्नॉलजी और विकसित हो गई है. अब यह 'जीरो क्लिक' के जरिये यानी वॉइस कॉलिंग के जरिये भी फोन में एंट्री ले सकता है .

whatsapp ने किया था केस
whatsapp ने किया था केस

2019 में व्हॉट्स ऐप ने भी किया था खुलासा

एमनेस्टी इंटरनेशनल की बर्लिन स्थित सुरक्षा लैब में हुई जांच में सामने आया कि पेगासस को फोन तक पहुंचाने के लिए ई-मेल और मेसेज का सहारा लिया गया. 2019 में भी पेगासस सुर्खियों में था. अमेरिका की एक अदालत में मुकदमा करते हुए व्हाट्सऐप ने आरोप लगाया था कि इजरायल के एक NSO ग्रुप ने पेगासस की मदद से 1,400 पत्रकारों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के व्हाट्सएप की जानकारी उनके फोन से हैक की है.

व्हाट्सऐप ने NSO ग्रुप और Q साइबर टेक्नोलॉजी के खिलाफ मुकदमे में दावा किया गया था कि इन फोन में मिस्ड कॉल के जरिए पेगासस स्पाईवेयर को इंस्टॉल किया गया था. बताया जा रहा है कि हाल ही में NSO ने एपल (Apple) के आई मैसेज ( iMessage) सॉफ़्टवेयर में कमजोरियों का फायदा उठाना शुरू कर दिया है और पेगागस की पहुंच आई फोन तक (iPhones) तक हो गई. हालांकि कंपनी का दावा है कि वह इस तरह के हमलों को रोकने के लिए अपने सॉफ़्टवेयर को लगातार अपडेट कर रहा है.

संसद में पेगासस मामले पर हंगामा
संसद में पेगासस मामले पर हंगामा

राजनीति में जासूसी और फोन टैपिंग की कई कहानियां मशहूर हैं

भारतीय राजनीति में जासूसी और फोन टैपिंग की कहानियां हमेशा सामने आती रही हैं. 19 जनवरी 2006 को समाजवादी पार्टी के तत्कालीन महासचिव अमर सिंह ने आरोप लगाया था कि मनमोहन सरकार ने उनका फोन टैप कराया है. 17 अक्टूबर 2009 को ममता बनर्जी ने बंगाल की सीपीएम सरकार पर अपना फोन, ई-मेल टैप करने का आरोप लगाया था. 26 अप्रैल 2010 को संसद में फोन टैपिंग पर बड़ा हंगामा हुआ था. तब विपक्ष ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार कई बड़े कॉरपोरेट घरानों का फोन टैप करा रही है. 22 जून 2011 जब तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने पीएम मनमोहन सिंह को एक चिट्ठी लिखकर अपने दफ्तर की बगिंग के बारे में सीक्रेट जांच कराने का अनुरोध किया था. मार्च 2021 में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर फोन टैपिंग के आरोप लगे . कांग्रेस के विधायकों ने आरोप लगाया था कि सरकार अपने ही पार्टी के विधायकों के फोन टैप करा रही है. वेद प्रकाश सोलंकी ने आरोप लगाया कि फोन टैपिंग के साथ साथ विधायकों की जासूसी भी हो रही है

क्या कहता है भारत का कानून ?

भारत में इंडियन टेलिग्राफ ऐक्ट, 1885 के सेक्शन 5(2) के मुताबिक, केंद्र और राज्य सरकारों के पास सिर्फ फोन टैपिंग कराने का अधिकार है. अगर किसी सरकारी विभाग जैसे पुलिस या आयकर विभाग को लगता है कि किसी हालत में कानून का उल्लंघन हो रहा है, तो वह फोन टैपिंग करा सकती है. आईटी एक्ट के तहत, मोबाइल या कंप्यूटर में किसी वायरस और सॉफ्टवेयर के तहत सूचना लेना गैरकानूनी है. यह हैकिंग की श्रेणी में आता है, जो अपराध है. आईटी मंत्रालय ने अपनी सफाई में कहा कि सरकार अपने सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार के रूप में निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

ग्रीक कथा का नायक है पेगासस

अभी तो पेगासस ( Pegasus) अपनी जासूसी के लिए सुर्खियों में है. मगर ग्रीक मैथॉलॉजी में इसका मतलब है दिव्य शक्ति से युक्त पंखों वाला घोड़ा. ग्रीक मैथॉलॉजी में इसके अद्भुत कारनामे बताए जाते हैं. इजरायली कंपनी ने अपने स्पाईवेयर का नाम इस ग्रीक कहानियों के नायक के तौर पर रखा है. फिलहाल पेगागस भारत की राजनीति में धमाका कर रहा है. संसद में इसकी गूंज मॉनसून सत्र में रहेगी.

ये भी पढ़ें: व्हाट्सऐप के जरिए कैसे हुई 'जासूसी', आसान भाषा में समझें

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